नववर्ष
रेखा कापसे "होशंगाबादी"
होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)
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दो हजार बाईस के, कुछ ही दिन है शेष।
आया है नववर्ष यह, ले पावन अनिमेष।। (१)
शुचि संदल नववर्ष है, दो हजार बाईस।
खुशियों की दस्तक रहे, प्रति घंटे चौबीस।। (२)
अंतस से शुभकामना, जनमानस मन भाव।
आगंतुक नव वर्ष में, संचित प्रीति लगाव।। (३)
स्वागत करते है सभी, आनन खिलता हर्ष।
मनुज भाव नववर्ष में, हृदय रुचिर उत्कर्ष।। (४)
पथ कंटक सब दूर हो, हटे तमस का जाल।
संदल शुचि नववर्ष में, खुशियाँ मालामाल।। (५)
आया है नव वर्ष शुभ, हर्षित मन के तार।
संकल्पित मन भावना, जनहित मन आधार।। (६)
सत्य नेक शुचि हो डगर, राग द्वेष छल त्याग।
रिश्तों की मनुहार ले, हृदय रहें अनुराग।। (७)
शिथिल उदर की तृप्तता, जन मानस की चाह।
तन पर सबके हो वसन, आलय अन्न अथाह।। (८)
प्रण कर नूतन वर्ष में, अधर मृदुल हो बोल।
करुणा दया निदा...