दामिनी की आवाज
श्रीमती निर्मला वर्मा
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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लगता है पौरुष की
परिभाषा बदल रही है
बहन बेटी की रक्षा और
दुलार की जगह हवस की
भावना पनप रही है
लगता है पौरुष की
परिभाषा बदल रही है
क्या वक्त, क्या जगह,
क्या उम्र, क्या ब्याहता,
कुमारी कन्या या वृद्धा
सभी पर वासना
कहर ढा रही हैं
लगता है पौरुष की
परिभाषा बदल रही है
एक "शक्ति" का प्रतीक
पर छः छह दानवों ने
अपनी घिनौनी
ताकत दिखाई
पुरुष होने की
क्रूर से क्रूरतम
हैवानियत दिखाई
नारी की सुरक्षा
खतरे में दिख रही है
लगता है पौरुष की
परिभाषा बदल रही है
उन दरिंदों के लिए
अबला असहाय होने लगी,
किंतु उसकी "कराह"
सिहिनी की गर्जना बनी
दामिनी नाम दिया है
उसकी आह को
क्योंकि दामिनी
जब कड़कती है
गरजती है तो
आसमान से धरती को
हिला देती है
आज इस धरती की
"दामिनी" ने हिला दिया है
देश को
क्षण भर की ...























