बस इतनी सी चाह
सोनल सिंह "सोनू"
कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़)
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बस इतनी सी चाह,
चल सकूं नेकी की राह।
ईमानदारी से हो जीवन निर्वाह,
लूं न किसी बेबस की आह।
अच्छाइयों को लूं मैं अपना,
बुराइयों का करूं मैं दाह।
प्रेम का हो मन में प्रवाह,
घृणा को दूं मैं जला।
ईश्वर की बनी रहे कृपा,
सत्य की राह चलूं सदा।
जीवन में बना रहे उत्साह,
परपीड़ा में उठूं मैं कराह।
बेईमानी की पड़े न मुझ पर छाँह,
काबिलियत पर कर सकूं मैं वाह।
गुणों को सभी के सकूं मैं सराह,
अपनों की कर सकूं मैं परवाह।
मिलती रहे सज्जनों की सलाह,
दुर्जनों से मैं दूर ही भला।
बस इतनी सी चाह।
परिचय - सोनल सिंह "सोनू"
निवासी : कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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