देखो ओ काल्या की काकी
किरण पोरवाल
सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
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देखो ओ काल्या की काकी
उमड़ घुमड़ कर बादल आए
पनिहारीन पानी हे चाली
गाय तो में दुवा ने जाऊं
बोकड़ा तो छोरा है लईग्या
गाय तो चरवा मैं हूं लई जाऊ
मक्कयां तो पाकन है लागा
कागला आईने तू है उड़ाय
कड़वा नीम की डाली पे देखो
छोरिया झूला दे रे लगाए
देखो काल्या की काकी
उमड़ घुमड़ कर बादल आए
टापरो ऊपर मै तो ढाकू
कवेलू तू मने झेलाए
छाछ तो मैं बिलोवन लागी
छोरा हाको देरे लगाए
आबा पर तो मोड़ है अईग्या
कोयलड़ी है शोर मचाए
देखोओ काल्या की काकी
उमड़ घुमड़ कर बादल आए
खेत पर मैं तो हूं जाऊं
रोटा लइने तु हे आए
छोरा छोरी आंगण में खेले
प्रेम घणो उनमें है आए
पड़ोसी मिल बाता में लागी
छोरा छोरी टेर लगाएं
चालो मिल झूला है झूला
आपस में है गीत सब गाय
किरण तो मालवी है बोले
प्रेम घणों इनमें ...
























