Monday, May 20राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

जीवन का हर एक लम्हा

विवेक रंजन ‘विवेक’
रीवा (म.प्र.)

********************

जीवन का हर एक लम्हा,
दूर कितना इतना तनहा।
गुम हुई आवाज़ दिल की,
खो गया है साज़ मन का।

दूर कुहुकती कोयल का स्वर,
घावों को तो सहलाता।
पर हौले से रिसता अम्बर,
जाने क्या बूँदों से कह जाता।
और छलक उठती हैं आँखें,
अक्स बिखर जाता दरपन का।
गुम हुई आवाज़ दिल की,
खो गया है साज़ मन का।

सब यादें सीने में हैं चुप,
मत उनको आवाज़ लगाओ।
खुश हूँ अपनी खामोशी में,
रह रह मत नूपुर खनकाओ।
अब सुनता और बुनता हूँ,
संगीत उदासी की धड़कन का।
निष्ठा से प्रेम समर्पण का,
खुशियों से अपनी अनबन का।

जीवन का हर एक लम्हा,
दूर कितना इतना तनहा।
गुम हुई आवाज़ दिल की,
खो गया है साज़ मन का।

.

परिचय : विवेक रंजन “विवेक”
जन्म –१६ मई १९६३ जबलपुर
शिक्षा- एम.एस-सी.रसायन शास्त्र
लेखन – १९७९ से अनवरत…. दैनिक समय तथा दैनिक जागरण में रचनायें प्रकाशित होती रही हैं। अभी हाल ही में इनका पहला उपन्यास “गुलमोहर की छाँव” प्रकाशित हुआ है।
सम्प्रति – सीमेंट क्वालिटी कंट्रोल कनसलटेंट के रूप में विभिन्न सीमेंट संस्थानों से समबद्ध हैं।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak mnch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *