Monday, May 20राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

अपने घर सा ना ही कोई द्वार देखा है 

**********

रचयिता : वंदना शर्मा

  अपने घर सा ना ही कोई द्वार देखा है
  घूम-घूम  कर मैने  संसार देखा है |
पर अपने घर सा ना ही कोैई द्वार देखा है ||
पूरब से लेकर पश्चिम तक |
उत्तर से लेकर दक्षिण तक|
बस एक सा ही हाल हर ओर देखा है ||………….||1||
घर के अँगने  से सड़कों तक |
धरती से लेकर अम्बर तक |
रोते ही सबको मैने हर हाल देखा है ||……..||2||
कुटिया से लेकर बँगले तक |
नीडो़ से लेकर महलों तक |
बस सबको ही जाने क्यों परेशान देखा है ||……||3||
स्कूल से लेकर संसद तक |
चपरासी  से  मंत्रीजी तक |
सबको अपनी ही जेबों  की चिंता करते देखा है ||…………..||4|
सारे जग में घूम -घूम कर के मैने ये जाना है |
अपने अनुभव के दम पर मैने तो ये पहिचाना है |
बस माँ के आँचल में ही सच्चा प्यार देखा है ||……………||5||

लेखीका परिचय :- 
नाम – वंदना शर्मा आत्मजा श्री देवकी नंदन शर्मा
जन्म – ३ नवंबर, १९९१
निवासी – अकलेरा, जिला- झालावाड़ (राजस्थान)
शिक्षा – स्नातकोत्तर
लेखन कार्य – जब पहली बार देवास से आए शशीकांत यादव सर को सुना, बस तभी से ईशवर की ये अनुपम दौलत मुझे मिली |
रूची – डेकोरेशन क्राफ्ट बनाना ,लेखन
लेखन – व्यंग्य, कविता, एकांकी

आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर कॉल करके सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि पढ़ें अपने मोबाइल पर या गूगल पर www.hindirakshak.com सर्च करें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा (SHARE) जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com  कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने मोबाइल पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक के ब्राडकॉस्टिंग सेवा से जुड़ने के लिए अपने मोबाइल पर पहले हमारा नम्बर ९८२७३ ६०३६० सेव के लें फिर उस पर अपना नाम और प्लीज़ ऐड मी लिखकर हमें सेंड करें…

विशेष सूचना-लेख सहित विविध विषयों पर प्रदर्शित रचनाओं में व्यक्त किए गए विचार अथवा भावनाएँ लेखक की मूल भावना है..http://hindirakshak.com पोर्टल 
या हिंदी रक्षक मंच ऐसी किसी भी कृति पर होने वाले किसी विवाद और नकल (प्रतिलिपि अधिकार) के लिए भी बिल्कुल जिम्मेदार नहीं होगा,इसका दायित्व उक्त रचना
सम्बंधित लेखक का रहेगा। पुनः स्पष्ट किया जा रहा है कि, व्यक्त राय-विचार सम्बंधित रचनाकार के हैं, उनसे सम्पादक मंडल का सहमत होना आवश्यक नहीं है। 
धन्यवाद। संस्थापक-सम्पादक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *