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हिन्दी है भारत की पहचान

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू
बालोद (छत्तीसगढ़)
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(१४ सितम्बर २०२१ को हिंदी दिवस पर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता सृजन प्रतियोगिता प्रतियोगिता विषय हिंदी और हम में तृतीय स्थान प्राप्त कविता।)

पंक्तियाँ – १९

हिंदी है गौरव गान की भाषा … हिंदी है हिदुस्तान की आशा …

वाचन में बेहद सरल हैं, लेखन में बहुत आसान हैं …
पठन में सहज सुबोध हैं, हिंदी ही मेरी पहचान हैं …
हिंदी है जन-संपर्क की भाषा….

हिंदी हमारी मान है, हिन्दी में ही राष्ट्रीय गान है …
हिंदी हमारी शान हैं, हिन्दी ही मानस वरदान हैं …
हिंदी है जन-संपर्क की भाषा….

हिंदी हमारी आत्मा है जो भावनाओं की साज़ है …
हिंदी विचारों की माला हैं जो अंतर्मन की आवाज़ है …
हिंदी है जन-संपर्क की भाषा….

हिंदी ही हमारी सहारा हैं, जो प्राणों में बहती धारा हैं …
हिंदी जय हिंद का नारा है, बोलो जयघोष हमारा है …
हिंदी है जन-संपर्क की भाषा….

हिंदी है तन-मन-वचन से भाती, हिंदी एकता पाठ पढ़ाती …
हिंदी है युवा शक्ति को आगे बढ़ाती, हिंदी ही प्रगति कराती …
हिंदी है जन-संपर्क की भाषा….

हिंदी है संस्कृति की गरिमा, गाएँ हम हिंदी की महिमा …
हिंदी में ही योग-साधना, श्रवण की सुमंगल कामना …
हिंदी है जन-संपर्क की भाषा….

परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू
निवासी : भानपुरी, वि.खं. – गुरूर, पोस्ट- धनेली, जिला- बालोद छत्तीसगढ़
कार्यक्षेत्र : शिक्षक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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