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हवाओं में कैसा घुला ये ज़हर है

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’
जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
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हवाओं में कैसा घुला ये ज़हर है
गलियाँ हैं ख़ामोश सूना शहर है

उजड़ने लगे हैं चमन औ बगीचे
गमगीन चेहरे हैं सूनी नज़र है

शमशान ख़ाली न क़ब्र में जगह है
जिधर देखिए बस क्रंदन क़हर है

न देखा किसी ने कभी ऐसा मंजर
हैं मायूस आँखें तड़पता जिगर है

जमाख़ोरों का है सतत खेल जारी
गरम उनकी जेबें मरे दुनिया सारी

कफ़न नोच कर बेंच देते दुबारा
गिद्धों का ये झुंड कितना निडर है

कोविड जनक मुस्कराता ख़ुशी में
मगन हो रहा है औरों की बेबसी में

है मारीच सदृश मायावी जिनपिंग
न साहिल किसी का न कोई फ़िकर है

परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’
निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश
सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कविता, ग़ज़ल, १०० शोध पत्र प्रकाशित, मनोविज्ञान पर १२ पुस्तकें प्रकाशित, ११ काव्य संग्रह सम्पादित, अध्यक्ष साहित्यिक संस्था जौनपुर उत्तर प्रदेश
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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