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मानवता केवल मानवता

डॉ. सत्यनारायण चौधरी “सत्या”
जयपुर, (राजस्थान)
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जाति धर्म के क्यों पीछे है पड़ता
इसमे केवल नेता ही जमता
उसी को शोभित है दानवता
मेरे लिए तो एक ही धर्म है…
मानवता…केवल मानवता।

अंत समय आता है तब
नही रह पाती पशुता
चाहे कहे लोग भला बुरा मुझे
मुझको जो जचता वो मैं करता
जिसके कर्मों में हो खोट
वही किसी से है डरता
मेरे लिए तो एक ही कर्म है
मानवता…केवल मानवता।

बहुत हुए ऋषि मुनि ज्ञाता
लेकिन आज तक समझ न आया
ये इन्सान कहाँ से आता
और कहाँ है जाता
ना मैं सोचूँ, ना मैं जानू,
मेरे लिए तो एक ही मर्म है
मानवता…केवल मानवता।

अपना लो जो तुम सभी मानवता

खत्म हो जाएगी दुनिया से दानवता
कहते हैं हर घट-घट में है ईश्वर बसता
मिट जाए सारे द्वंद फसाद
जो अपना लें सभी मानवता।
जो अपना लें सभी मानवता।
मानवता…केवल मानवता।।

परिचय :- डॉ. सत्यनारायण चौधरी “सत्या”
निवासी : जयपुर, (राजस्थान)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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