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बन्द आँखों में ख़्वाब जैसा है

नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार म.प्र.
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बन्द आँखों में ख़्वाब जैसा है।
जो नज़ारा सराब जैसा है।

भाव चेहरे के बूझने वालों,
क़ायदा ये क़िताब जैसा है।

नाम उसका बड़ा नहीं लेक़िन,
काम उसका नवाब जैसा है।

शर्म से हाथ मुँह पे रख लेना,
ये तरीक़ा नक़ाब जैसा है ।

दूर होकर भी हमको भाता है,
शख़्श वो माहताब जैसा है।

परिचय :- नवीन माथुर पंचोली
निवास – अमझेरा धार म.प्र.
सम्प्रति – शिक्षक
प्रकाशन – देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित।
सम्मान – साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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