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“मैथिली” पथ प्रदर्शक

विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)

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दशा दिशा समाज सुधार जगत की
बहुधा टूटी बिखरी है हर बार

भूतल को ही स्वर्ग सदृश्य बनाने
‘मैथिली’ स्वप्न भूल चुके हैं यार

मत भूलो इस देश समाज का
तब तलक ना होगा पूर्ण उद्धार

जलन स्वार्थ विवादों का पूर्ण अंत
जड़ सहित मिटाना अबकी बार।

दायित्वों का कैसा उपभोग किया
अधिकारों का मनमाना उपयोग किया

सामाजिक पद और रिश्तों को
कटुता कलंक के पन्नों का रोग दिया

पदों की गरिमा का हासिल क्या था
जो पाया वो भी डूबा मझधार

जलन स्वार्थ विवादों का पूर्ण अंत
जड़ सहित मिटाना अबकी बार।

सप्तम स्वर में स्व महिमा गुणगान
लेकिन नेतृत्व क्षमता का अधकचरा ज्ञान

लकीर घटाने की ओछी फितरत ने
दिखलाई समाज को झूठी शान

खोए संस्कारों को अब गली-गली
पुनः रोपण कर खूब बढ़ाएं पैदावार

जलन स्वार्थ विवादों का पूर्ण अंत
जड़ सहित मिटाना अबकी बार।

रौशन चिराग सम प्रतिभाशाली बच्चा
समाज आधार और परिवार ही सच्चा

गरीबी लाचारी की ये उचित सीख
कृतत्व समाज कल्याण नहीं है भीख

बेटे बेटी भविष्य रचेता सुबह-शाम
जिन्हें गर्व से हम बतलाते कर्णधार

जलन स्वार्थ विवादों का पूर्ण अंत
जड़ सहित मिटाना अबकी बार।

चाल चलन ऐसा मानो पूरे ठेकेदार
समाज जरूरत है,नहीं हमारा कारोबार

गुण विशेषता से ही बनते भागीदार
तब ही होता उन पर सारा दारोमदार

औरों की खुशियों से ना रखें जो सरोकार
सामाजिक पतवार थमने ये कैसा किरदार

जलन स्वार्थ विवादों का पूर्ण अंत
जड़ सहित मिटाना अबकी बार।

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति :१९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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