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बहिन भाई का संबंध

संजय जैन
मुंबई

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छोटी बड़ी बहिनों का,
हमे मिलता रहे प्यार।
क्योकि मेरी बहिना ही,
है मेरी मातपिता यार।
जो मांगा वो लेकर दिया,
अपने आपको सीमित किया।
पर मांग मेरी पूरी किया,
और मेरे को खुश करती रही।
मेरी गलतियों को छुपाती रही,
और खुद डाट खाती रही।
पर मुझे हमेशा बचती रही,
ऐसी होती है बहिना।
उन सब का उपकार में,
कभी चुका सकता नहीं।
अपनी बहिनों को मैं,
कभी भूला सकता नहीं।
रहेंगी यादे सदा उनकी,
मेरे दिल के अंदर।
जो कुछ भी हूँ आज में,
बना बदौलत उनकी ही।
ये कर्ज हमारे ऊपर उनका
जिसको उतार सकता नही।
मैं अपनी बहिन को जिंदा,
रहते भूल सकता नही।
रक्षा बंधन पर बहिना से,
मिलना तो एक बहाना है।
वो तो मेरी हर धड़कन में,
बसती क्योंकि बहिन हमारी है।
इसलिए टूट सकता नही,
भाई बहिन का ये बंधन।
इसलिये भूल सकता नही,
रक्षा बंधन रक्षा बंधन।।

उपरोक्त मेरी कविता सभी भाइयों की ओर से बहिनों के लिए समर्पित है।
रक्षा बंधन की आप सभी लोगो को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ – साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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