Thursday, May 1राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: किरण पोरवाल

संस्कार
कविता

संस्कार

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** बच्चों के आप दोस्त बने, करे दोस्त सा व्यवहार, मजा उसी मै आयगा, सदा साथ व्यवहार। खुलकर रहे वो भी सदा, करे मन-तन की हर बात। अब मात-पिता पर आती है, कैसे दिये संस्कार। नींव यदि मजबूत हे, डिगा ना सके कोई माय का लाल। मात-पिता दृढ़ निश्चय हे, चले कदम वह साथ। हिम्मत मेहनत दिन रात कर, बढता समय के साथ। साथ रहे वह हर पल, हर दम उसके साथ। दुख सुख की सब बात करे, दोस्त बने रहे साथ। संस्कार और संस्कृति का, मान और सम्मान का, आदर और सत्कार का, प्यार और व्यवहार का। दिया हे तुमने ज्ञान, सबके मन को जीतेगा, उसका यह व्यवहार। चाहे (प्यार करे) उसको, हर पल हर दम, उसका ही व्यवहार। आगे बढाते जायेगा, उसका यह स्वभाव। परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र :...
प्रभु की चाह
स्तुति

प्रभु की चाह

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** ईर्ष्या नहीं ईश्वर चाहिए, द्वेष नहीं द्वारकाधीश चाहिए। कपट नहीं कन्हैया चाहिए, छल नहीं छलिया श्री कृष्ण चाहिए। राग नहीं राघवेंद्र चाहिए, भेद नहीं भगवान चाहिए। घृणा नहीं घनश्याम चाहिए, क्रोध नहीं कान्हा चाहिए। मन में मेल नहीं कृष्ण सुदामा सा दोस्त चाहिए। लोभ नहीं लट घुंघराले श्याम चाहिए, मोह नहीं मोहन चाहिए, मद नहीं मन मोहक कृष्ण चाहिए। तृष्णा नहीं तीराने वाला राम चाहिए। अंधकार नहीं किरण चाहिये, गम नहीं मुस्कान चाहिये। युद्ध नहीं गीता का ज्ञान चाहिये, हार नहीं विजय चाहिये। परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी...
ठहाके जनकपुर में
कविता

ठहाके जनकपुर में

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** जनकपुरी में सखी करें मजाक, राम लखन से करें तकरार। दशरथ के घर एक अचंभा? बिना पिता के भये संतान, खीर खाए पैदा बेटा भये, एक नहीं चार चार महाराज।। सखी सहेली करे ठिठोली, गजब खीर से हुए हैं पुत्र रत्न, दशरथ घर भयी संतान। हंसी मस्करी कर लक्ष्मण मुस्काने, गजब अचंभा जनक के घर का, हमरे तो माता के भय ललना, तुमरे जनक में नहीं माता-पिता से, पैदा भयी देखो संतान।। तुम्हारे यहां तो धरती उपजे है, खेती कर निबजे संतान। ले ठहाका लक्ष्मण मुस्काने, राम लला मंद-मंद मुसकाने, सखियों के चेहरे कुमलाने, सखी राम सब करें मजाक, जनकपुर में गारी खावे हे राम। "किरण विजय" कहे जनक सखी यू, हंसी-खुशी रहे युगल जोड़ी सरकार।। परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं य...
प्यारी बेटी
कविता

प्यारी बेटी

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** मां के मन का भाव है बेटी, पिता के दिल का अहसास है बेटी। आत्मा की आवाज है बेटी, चित ज्ञान और विवेक हे बेटी। घर की रौनक हे बेटी, आंगन में बहार है बेटी। मां की जिगरी दोस्त है बेटी, पिता का मनोबल है बेटी। दुख का साथ बेटी, सुख का मार्ग है बेटी। निस्वार्थ भाव है बेटी, घर का मान है बेटी। घर का सम्मान है बेटी, घर की आन बान और शान है बेटी। पिता का सम्मान है बेटी, घर मौहल्ला और समाज देश की नाक हे बेटी। "इसे हम क्यों मारे गर्भ मैं" फिर सीता राधा अनुसूया, लक्ष्मी इंदिरा सुषमा अहिल्या। ललिता प्रतिभा द्रोपदी, और किरण विजय के होंठो की, "मुस्कान" कहां से लाएगे हम। बेटी को बचाए हम, "बेटी है तो कल है, बेटी है तो सकल है" परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ...
देखो ओ काल्या की काकी
आंचलिक बोली, कविता

देखो ओ काल्या की काकी

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** देखो ओ काल्या की काकी उमड़ घुमड़ कर बादल आए पनिहारीन पानी हे चाली गाय तो में दुवा ने जाऊं बोकड़ा तो छोरा है लईग्या गाय तो चरवा मैं हूं लई जाऊ मक्कयां तो पाकन है लागा कागला आईने तू है उड़ाय कड़वा नीम की डाली पे देखो छोरिया झूला दे रे लगाए देखो काल्या की काकी उमड़ घुमड़ कर बादल आए टापरो ऊपर मै तो ढाकू कवेलू तू मने झेलाए छाछ तो मैं बिलोवन लागी छोरा हाको देरे लगाए आबा पर तो मोड़ है अईग्या कोयलड़ी है शोर मचाए देखोओ काल्या की काकी उमड़ घुमड़ कर बादल आए खेत पर मैं तो हूं जाऊं रोटा लइने तु हे आए छोरा छोरी आंगण में खेले प्रेम घणो उनमें है आए पड़ोसी मिल बाता में लागी छोरा छोरी टेर लगाएं चालो मिल झूला है झूला आपस में है गीत सब गाय किरण तो मालवी है बोले प्रेम घणों इनमें ...
युद्ध
कविता

युद्ध

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** गुलामी की दास्तां को हमसे है कोई पूछें कितने जुल्म को सहना यह भारत से वह पूछे नहीं कोई साथ है देता नहीं कोई साथ ही रहता, अपने मुल्क की आजादी यही स्वाभिमान है अपना, किसी कमजोर से लड़ना यह ताकत नहीं उसकी सहारा दे उठाकर फिर चलना मर्दागी है उसकी गुलामी की जंजीरों में जकड़ कर इस तरह रहना, इससे तो यही बेहतर की थोडे मै है खुश रहना, किसी भी मुल्क पर हमला तबाही और मंजर है, सकुन तुम को नहीं मिलता, सुकून किस को नहीं मिलता, कितने घर तो हे उजड़े, कितने बेघर को वह समझे किसी ने बाप खोया है किसी का सिंदूर है उजड़े एक दौलत के है खातिर हजारों लाश देखी है, इन्हें इतिहास के पन्ने किस निगाहों से देखेगा, एक देश भक्ति से हे पूजे, एक अत्याचार से जाने, किरण ! हम उस शक्ति से पहचाने, जिसे संसार है पूजे, भारत श...
बेटा और बेटी
कविता

बेटा और बेटी

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** बेटा और बेटी तराजू के २ पलड़े हैं बेटी प्रकृति का वरदान है। बेटी प्रभात की किरण की मुस्कान है। बेटी ना होती तो दुर्गा पूजा कहां होती। बेटी तू दुर्गा है बेटी वृषभान दुलारी है बेटी जनक नंदिनी है बेटी मीरा भक्ति का वरदान है, बेटी कृष्ण की कर्मा हे। बेटी लक्ष्मी बाई तलवार की धार है। बेटी तो प्रतिभा की खान है, बेटी इंदिरा है तो बेटी सुनीता विलियम है। बेटी शक्ति है तो बेटी साहस हैं, बेटी मर्यादा है तो बेटी विनम्रता की मूरत है। बेटी ललिता और रमन है, बेटी तो मां की आत्मा है और पिता के दिल का टुकड़ा है बेटी बिन जग अधूरा है बेटी ज्योति है तो बेटी माधुरी है बेटी ममता की छांव है बेटी तो लाल चुनरी में दीपक का प्रकाश है, बेटी निधि है तो बेटी आयु है। बेटी तो आंगन में तुलसी की शोभा है, बेटी तो राखी क...