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Tag: मनमोहन पालीवाल

ये पल ये दिन तुम याद रखना यारो
कविता

ये पल ये दिन तुम याद रखना यारो

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** ये पल ये दिन तुम याद रखना यारो हम रहे ना रहे खयाल रखना यारो एक पल का भरोसा हमारा नहीं सपना मेरा तुम संभाल रखना यारो कोई कब तुमसे अलविदा कह जाए ख़ुदा के लिये तुम तैयार रखना यारो गीत खुशियों के गाकर तुम अपने दिल मे सपना संभाल रखना यारो दुखी न हो कोई मुफ़लिसी में कोई गीरे न ऑसू तुम रूमाल रखना यारो विश्व हमारे चरण छूए यूगो यूगो तक हाथो मे ऐसा तुम चराग रखना यारो स्नेह हो अपनत्व हो जीवन तत्व हो सब के प्रती हृदय दयाल रखना यारो गम की आग मे जल न पाए कोई भी अपनी राहो मे ऐसी चाल रखना यारो कत्ल न हो पाएं अपनी नज़र से यारो ऑखो मे ऐसी जलाल रखना यारो सर्वेभवन्तूसूखीन की भावना लिये हो सदा साथ ऐसी मिशाल रखना यारो आज मिलकर इक संकल्प ले 'मोहन' संकोच का,तुम न सवाल रखना यारो प...
नव वर्ष हमारा
कविता

नव वर्ष हमारा

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** सबसे प्यारा नव वर्ष हमारा सारी दुनिया से न्यारा हर मजहब का करता स्वागत जिसको सब धर्मो ने स्वीकारा आशाएं फले फूले, घर-घर हो मंगलगान ये संकल्प हमारा उमंग और उत्साह ये दिलाता दिल से लगता कितना प्यारा अंगद, गौतम झूलेलाल आज के अवतरण, आँखों का तारा आर्यवृत भारत के हम वासी है न कर पाया हमे कोई न्यारा माँ शक्ति का महापर्व है आज मिले नोमी को राम अवतारा चारो पौरूषार्थ कामना का पर्व सुख समृध्दि का पर्व है सारा सृष्टि की रचना रच गए ब्रह्म देव ऐसा चैत्र प्रतिप्रदा २०८० हमारा मंगलमय हो मिले खुशियाँ अपार एक दूजे के हम बने मोहन सहारा परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं य...
तुम आगए
कविता

तुम आगए

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** अब तुम आगए सब रंग छागए नज़र क्या उठी दिल में समागए होली के बहाने, वो ओर करीब आगए क्या बोछार हुई गीत वो सुना गए बेरंग जो लगते कल आज हमें भीगा गए खार से लदी राहे थी आज हमें सजा गए जीने के ढ़ंग निराले मोहन गले लगा गए परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानिया...
कुछ शराफ़त बची हैं दरमियां अपने
ग़ज़ल

कुछ शराफ़त बची हैं दरमियां अपने

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** कुछ शराफ़त बची हैं दरमियां अपने या मुहब्बत बची हैं दरमियां अपने हर इक चेहरा नया, अभी प्यार हुआ कुछ नजाकत बची हैं दरमियां अपने वो मुहब्बत नहीं शायद नादानिया थी अपनी शरारत बची हैं दरमियां अपने चाँद तोड़ लाते थे मुहब्बत में लोग इक नदामत बची हैं दरमियां अपने कह न पाए आपस मे बारहा हम तुम यही शिकायत बची हैं दरमियां अपने जीना किसको हे ताअबद यहाँ पर एक कयामत बची हैं दरमियां अपने हम छुपा भी गए ख़ामोशियों को यही हकीकत बची हैं दरमियां अपने बारहा नज़र उठतो तेरी सूरत पर मेरो कोई चाहत बची हैं दरमियां अपने तेरा अतीत मेरी ज़िंदगी बन गई यारो यही इमारत बची हैं दरमियां अपने मेरे अलफ़्फ़ाज सुनाइ नहो देते मोहन यही मुसीबत बची हैं दरमियां अपने नजाकत-कोमलता नदामत-पश्चाताप ताअबद-अनंत काल तक...
हिन्दुस्तान की शान तिरंगा
कविता

हिन्दुस्तान की शान तिरंगा

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** हिन्दुस्तान की शान तिरंगा है मेरा अभिमान ये तिरंगा है *** शहीद जो हुए, उनकी याद, उनकी पहचान तिरंगा है *** पहन लिया केसरिया बाना वो यारो बलिदान तिरंगा है *** न जाने कितने गुमनाम हुए है उनका ये अफसाना तिरंगा है *** जाने कितनी मिटी कहानियाँ जिनपर करता गुमान तिरंगा है *** विजय विश्व तिरंगा प्यारा होठो का गुनगान तिरंगा है *** जगत गुरू विश्व में कहला कर हमारा ये स्वाभीमान तिरंगा हे *** लोहा मनवाले विश्व से अपना मोहन वो हिन्दुस्तान तिरंगा है *** परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप ...
जन्मदिवस पर अनंत शुभकामनाएं …
जन्मदिवस

जन्मदिवस पर अनंत शुभकामनाएं …

राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच www.hindirakshak.com के रचनाकार श्री मनमोहन पालीवाल (कांकरोली, राजस्थान) का आज २७ मई को जन्मदिवस है ... इस पटल के माध्यम से नीचे दिए गए कमेंट्स बॉक्स में संदेश भेजकर आप शुभकामनाएं दे सकते हैं…. आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर ...
दुनिया से अलविदा हो हम
कविता

दुनिया से अलविदा हो हम

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** दुनिया से अलविदा हो हम, शोर तुम न करना मेरै यार नफरत करनी थी इतनी, ऑख में ऑसूॅ न लाना मेरे यार ये ख़ामोशिया ये दूरियाँ अब सही न जाए मेरे यार जख़्म इतने कम न हो किसी को न गीनाना मेरे यार पागल बादल की तरह यहाँ ढुढ रहा हूॅ मे तो तुम्हे जुबां पर आए नाम कभी, हमे तुम न गुनगुनाना मेरे यार कोई पता पूछ भी ले मासूमियत मे कभी तुमसे हमारा जरूरी नही, कोई राज की बात, उन्हे न बताना मेरे यार सोए नही, हम भी रात रात भर, लेकर नाम तुम्हारा ऑखो मे हे ऑसू मेरे, खुद को न रूलाना मेरे यार खाक-ए-सूपूर्द हो, हम तेरी गली से ही निकलेंगे पिछे से तुम मुझको, कभी सदा न लगाना मेरै यार रफ्ता-रफ्ता आग के हवाले जब होने लगे मोहन सोच कर, उस मंज़र को, ख़ुद को न जलाना मेरै यार परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण ...
तुम हमारी तलब हो
कविता

तुम हमारी तलब हो

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** तुम हमारी तलब हो मेरे इश्क़ की नजर हो कूएयार में आग फैली तुम हमारी खबर हो क्या कहूॅ ओरों के लिये दिल को जब सबर हो तुम ही होंसला हो मेरा ओर तुम रहबर हो ये हुस्न, इश्क़ धोखा है पर तुम मेरा मुकद्दर हो सुख दूख के तुम साथी शायद मेरी तकदीर हो मेरा आशियाना ओर तुम ही मोहन ईश्वर हो परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, क...
प्रेम की गली
कविता

प्रेम की गली

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** प्रेम की गली हमें दिखाई तो होती इश्क़ क्या हे हमें सिखाई तो होती फिजाओं में बिखरे हे रंग तेरे जो एक बारगी हमें दिखाई तो होती ज़ज़्बातो का महल हमने बनाया खूशबू कहीं-कहीं तो उड़ाई होती तेरे दर पर सजदे करने आते रोज काश हमारी दुनिया सजाई होती वादा जो बकाया चल रहा हमारा पूरा होता तो ये, न, रूसवाई होती तन मन मे अनुराग भर गया यारो सूरत उसकी हमे भी दिखाई होती कितने लोग पूछ गए पते हमसे भी मोहन प्यार की पाती लिखाई होती परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, ल...
साल बदल गया
कविता

साल बदल गया

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** साल बदल गया लेकीन जिंदगी थम सी गई नाम बदल ओमीक्रोम, जिंदगी थम सी गई ** कई अपने पराएँ अपनों को छोड़ चले गए सूर्य उदय ओर रात भी, जिंदगी थम सी गई *** न कुछ बदले हे नही कुछ बदलेगा यहां पर पाप पुण्य राब्ते भी रहे जिंदगी थम सी गई ** प्यार के दो लफ़्ज बोल लो तुम यारो न समय तुम गवांओ जिंदगी थम सी गई ** मुश्किलो सी जीवन पाया है हमने, इस साल के साक्षी बनो जिंदगी थम सी गई ** मिलेगी हमें तो फ़कत तारीख ही तारीख नए रोजगार नहीं हे जिंदगी थम सी गई ** मोहन ने गीने जिंदगी के साल अट्ठावन नये पुराने अफसाना में जिंदगी थम सी गई ** परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्...
आज नही रहे
कविता

आज नही रहे

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** आज नही रहे विपिन रावत कर गये हैं सभी को आहत समय का पहिया चला हे वर्ना नही थी उनको इजाजत जल थल सेना के थे नायक कर रहे थे देश की हिफाजत जीवन जिसका देश हीत रहा बने रहे वो दुश्मनो के आफत हिले न ड़ूले बढते रहे आगे वो नही हुए वो पथ से विचलीत बस याद मुझे रखना तुम यारो रहूंगा सदा जुबा पर मे चर्चित शेरो का देश हे ये यारो मेरा इसकी फ़िक्र न करना किंचित जाबांज जिसके कण कण मे ऐसी दे गए मोहन वो विरासत परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय...
हर रोज तुम
कविता

हर रोज तुम

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** हर रोज तुम ख्वाबों में आया करो रोज की तरह तुम हमें सताया करो गलती से रूठ भी जाएं हम कभी रोज की तरह तुम हमें मनाया करो पल दो पल की दूरियाँ खलती हे करीब आकर, तुम सहलाया करो परेशां हो जाते हे कभी मानलो खूशबू-ए-गुलाब तुम ले आया करो बे खबर हो जाएं जिंदगी से कभी करीब आकर तुम जगाया करो तुम्हारे होने से हमारी ये सांसे रहती ओर बातों मे हमें न फंसाया करो जहां रहता हो उस चाँद का पहरा मोहन वही रात मेरे लाया करो प्यार तुम से किया हे ज़माने से नहीं ओर का ड़र बताकर डराया न करो परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित ...
आओ प्यार का दीप जलाए
कविता

आओ प्यार का दीप जलाए

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** आओ प्यार का दीप जलाए हर चेहरो पर मुस्कान लाए ** निर्धन हो या अमीर तुम यारो हर दुखियों के साथी बनजाएं ** विश्व में नया सवेरा लाकर हम घर घर का गुलशन महकाएं ** रावन बन बैठै आज भी लोग दीपक बन कर राह दिखाए ** राग द्वेष भूला कर आपसी खुशियो का हम दीप जलाएं ** रह जाए गर कही अंधेरा यारो हम उनके घर भी चल आए ** भूखे नंगे सो रहे मोहनआज उन घरो का अंधेरा दूर भगाएं ** परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र...
कोई पत्थर दिल अपना
ग़ज़ल

कोई पत्थर दिल अपना

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** कोई पत्थर दिल अपना कैसे बन सकता है हे नही अपना सपना कैसे बन सकता है देखा नही हे अभी तक जिसको हमने भी यारो वो मेरा ही दीवाना कैसे बन सकता है गुन गुनाया नहीं कभी लफ़्जो मे हमने उसे महफ़िल-ए-मेरी तराना कैसे बन सकता है बीता नही हे यारों अभी तक कुछ भी साथ यारो मेरा वो अफसाना कैसे बन सकता है अभी तो ऑखें हमने खोली है उनके लिये वो ओर का मयखाना कैसे बन सकता है दूरियाॅ हे नहीं जिससे मुलाकात होने वाली किसी ओर का जमाना कैसे बन सकता है घबरा रहा हूॅ मोहन सब कुछ सोच कर मै मुहब्बत का केसाआशियाना बन सकता है परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्ष...
वो रो रहे थे
कविता

वो रो रहे थे

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** वो रो रहे थे हम देख रहे थे अजीब सा आलम देख रहे थे ** उन्हे हुस्न पर नाज था शायद न जाने किस पर इतरा रहे थे ** शूरूर योवन का गुजर चुका वो फिर भी ठोकरे खा रहे थे ** हुरूर उन्हे किसी का रहा नही खामोश खड़े वो मुस्करा रहे थे ** जिंदगी तिश्नगी मे गुजर चूॅकी आड़ मे खड़े होकर ताक रहे धे ** हमने तो किनारा नहीं काटा फिर भी दर्द हमें जता रहे थे ** कहानी का अंत क्या होगा मन ही मन सोचे जा रहे थे ** खुदको इतना ना सताओ मोहन हरकोई इसे तमाशा बता रहे थे ** शुरूर--नशा हुरूर-डर, भय, ख़ोफ़ परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचि...
गजानंद करो कल्याण
स्तुति

गजानंद करो कल्याण

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** गजानंद करो कल्याण गजानंद करो कल्याण घर म्हारे पधारो घर म्हारे पधारो मोदक का भोग लगाऊं रोज उतारूं आरती मैं गजानंद करो कल्याण गजानंद करो कल्याण बहुरे नाम है आपके स्वामी काम सँवारे सबके हो स्वामी गंजानंद करो कल्याण गंजानंद करो कल्याण शिव पार्वती के होकर सुत शिवा नंदन कहलाए तुम कौन बड़ा,भाई भाई के झगडे में कर प्रदक्षिणा मात पिता की ब्रह्माण्ड बताया आपने उनको प्रथम पूज्य कहलाये देव गंगानंद करो कल्याण गंगानंद करो कल्याण देवो में प्रथम देव तुम कहलाए दीन दुखी के तुम दुख सहलाए मूषक है आपकी सवारी प्रथम देव है आपकी बारी जिसने तुम को पूजा है जीवन सुखमय बना उसका है मैं भी क्या राह अपनाऊं चरण आपके मै भी पाऊं गंगानंद करो कल्याण गंगानंद करो कल्याण गर्दिशों में, मैं घूमा हूं कैसे मंज़िल मेरी प...
गुरू चरणों मे  समपिॅत
कविता

गुरू चरणों मे समपिॅत

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** गुरू चरणों मे बहती अमृत धार जन-जन का अज्ञान मिटाकर गुरू दिखाते सच्ची राह हैः बरसती है जिस पर गुरू कृपा उनको देते है गुरू ज्ञान अपार एक लश्य गुरू भेदन हैं सुखमय हो सारा संसार गुरू चरणो में बहती अमृतधार पा जाएं वो भव सागरपार ज्ञान ज्योति हम सब पाएं खूद जलकर करतै है सपने साकार गुरू चरणोकी अनूकंपा से सत्य पथ पर बढते जाए गुरू चरणो मे बहती अमृतधार कभी न थकै कभी न रूकै हो आभायमान सारा संसार तपती धूप ढ़लती ये छाया जब पाये आश्रय ये संसार झुके ये नतमस्तक "मोहन" गूरू चरणो मै हो भवसागर पार परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह ...
जब खत को लीखा
कविता

जब खत को लीखा

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** पहली बार जब खत को लीखा खत में तेरी मुहब्बत को लीखा खत में यारो मैने भी अपनी कहीं उन सब हकीकत को लीखा कट जाता है वक्त मेरा बातों मे मेरे उस उल्फ़त को लीखा याद है वो सब बातें तुम्हारी उन बातों की शरारत को लीखा पहले नज़र मीली तुमसे यहाॅ उसमे अपनो चाहत को लीखा इश्क़ खुदा की सौगात हैं यारों उस में मेरी इबादत को लीखा जब वक्त आया इज़हार का, राहों की कयामत को लीखा वो ख़त जब सरे आम हुआ था मैने दिल की आहत को लीखा खुदा के दर कबूल हुई दुआ मोहन आहसास- ए- इशरत को लीखा मेरी मंजिल मुकम्मल हुई "मोहन" ख़त मे अपनी किस्मत को लीखा परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रम...
इश्क को
कविता

इश्क को

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** हरीफ़ इश्क को कुचलने मे लगे है वो मस्ती में मचलने में लगे है ** ख़्वाब हमारे सभी पलने लगे है क्यों हमें पिछे से छलने लगे है ** कामयाबी की ओर धीरे-धीरे बढे दिल ही दिल अपने जलने लगे है ** हर पल साथ रहने के वादे करते थे वो भी आज हमसे दूर रहने लगे है ** शिकायत नहीं की अब तक कहीं नजर बचा कर वो निकलने लगे है ** किस पर यकीं करूं किस पे नहीं सोच - सोच वो बुदबुदाने लगे है ** माफी भी शायद दे सकू या नही मै क्योंकि सरेआम वो कुचलने लगे है ** लाख बन जाएं भले वो गुलाब पर मेरी ऑखो मे वो अब चुभने लगै है ** जब बूलंदीयो को हम छुने लगे है मोहन हरिफ़ो के सुर बदलने लगे हे ** परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्र...
मै झूक जाऊंगा
कविता

मै झूक जाऊंगा

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** वक्त ओर हालात के आगे मै झूक नही पाऊंगा तेरे हर इम्तां के आगे मै झूक नही पाऊंगा इसां की लाशों के ढेर का हो रहा हे अपमान पत्थर न हो, इंसां के आगे मै झूक नहीं पाऊंगा सियासत बड़ी या इंसा की पड़ी हुई ख़ाक दे इंसाफ़, उस ख़ाक के आगे मै झूक पाऊंगा तूने तो बनाया ये संसार, रूठ गया हे क्यूं आज मेरे यार जवाब दे सब के आगे मै झूक पाऊंगा बस तेरे ही बंदो का ख्याल करले ए मालिक हैसियत नहीं, अपनो के आगे मै रूक पाऊंगा झोली फेला दुआ करता हे ये "मोहन" अब ये कलयुग समेट ले तेरे आगे मै झूक जाऊंगा परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताए...
हे मां
कविता

हे मां

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** हे मां हे मां तुझे ढुढु कहां तु थी तो था संसार मेरा हे मां हे मां गोद तेरी लगती प्यारी थक हार सो जाता गोद तेरी थकान सब दूर हो जाती हे मां हे मां इश्वर से भी कद ऊंचा तेरा वजूद मेरा नही है हे वजूद तुझसे मेरा पकड़ उॅगली चलना सीखाया पहला निवाला तुझसे पाया गीरता रहता जब भी मै उंगली पकड़ कर चलना सीखाया हे मां हे मां इतना आसां नही हे कर्ज तेरा जग मे चुकाना हूंआज जो भी मै प्यार हे ये तेरा पाया हर दम जाना मेरी चाहते तूने पर मेने नही पूछा चाहत तेरी क्या हे हे माॅ हे मां सत्य पथ तूने बताया भूखे रह कर सपने साकार कराया हूट अभागा बैठा तेरा वक्त जब मेरा आया तीन बेटो की कहानी व्रधाश्रम तुझको बताया हे माॅ हे मां जब थी तू चुभती थी बेटो को ऑखों मे आज ऑखे नम हो रही हे हे माॅ हे माॅ सो जन्म लेलूं माॅ मै न पा सकूंगा तूझको मै माॅ हे माॅ हे माॅ म...
किताब तो किताब है
कविता

किताब तो किताब है

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** किताब तो किताब है अपनो का प्यार है बीते युग का इतिहास है यही गीता ओर पुराण है दो प्यार करने वालो का छुपा इसमे कई राज है जो अफ़साने बन गए है यह उन्ही का तो ताज है संस्कारो को पाठशाला है गिरता नही कोई वज्रपात मौके हे खुद सम्हलने का अज्ञानियों का मधुमास है किताब, वक्त-ए-मदरसे है बनते यही राम, रावण है पढते-पढते थक जाओगे मोहन जीवन का सार है परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी क...
तेरा आज यूॅ मुस्कराना
कविता

तेरा आज यूॅ मुस्कराना

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** तेरा आज यूॅ मुस्कराना हमें मिला है यूॅ खज़ाना बहारो का भी खीलना दो दिलो का यूॅ मिलना हजार महफिल हो सजी ओर तुम्हारा यूॅ संवरना तेरे दीदार का होना ही हमारे दिल का यूॅ हंसना तुम हो दिल का खजाना कहता हे सब, ये जमाना तुम्हारा यूॅ खिले रहना ओर मेरा यूॅ गुन गुनाना तस्वीर सजाई हे "मोहन" मानो दिल का यूॅ सपना परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित कर...
पहली होली
कविता

पहली होली

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** खेलूंगी-खेलूंगी मै तो पहली होली कान्हा जी के संग...। खेलूंगी-खेलूंगी मै तो पहले होली कान्हा जी के संग....। कान्हा जी के संग कान्हा जी के संग छोड़-छाड़ मे सबको आई ढोल बजाऊ ओर चंग नाचूंगी गाऊगी मेतो कान्हा जी के संग....। थोड़ा इठलाऊगी थोड़ा शरमाऊगी कभी मुस्काऊगी रंग लगवाउंगी देखो गाल गुलाबी करवाउंगी ओर मालवाउंगी सब अंग हंस कर बोले कान्हा रंग खेलोगे मेरे संग उड़ान गुलाबी रंग बुलाओ तुम सखियाँ .........। खेलूंगी-खेलूंगी मै तो कान्हा जी के संग पहली होली कान्हा जी के संग ...। इत इत देखूं उत उत देखूं पाऊ ग्वाल बाल संग कान्हा बजाने बासूरिया सखा बजावे चंग सखा बजावे चंग खेलूंगी खेलूंगी मै तो कान्हा जी के संग मौका पाकर कान्हा आये खूब उठाये रंग गाल मले हे ओर मले सब अंग खेलूंगी खेलूंगी मै तो कान्हा जी के संग अंग अंग मेरो योवन झ...
कविता क्या है
कविता

कविता क्या है

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** कविता क्या है यह एक माया है शब्दो का झाल कलम की माला दिल का प्यार मधु की हाला समझ जाए तो यह मधु शाला प्रेमियो मे पैगाम भक्तो की काया बंद जुबा मे यह एक इशारा उम्र -ए-हदो पर जीने का सहारा कवीवर के लीये सरस्वती का जाया इतिहास जानो तो इसमे हे खुशिया नव रसो का संगम मोहन ने पाया दिल के जज्बातो कई एक ज्वाला जो समझे वो पाया न समझे वो पगला परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कव...