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दुनिया से अलविदा हो हम

मनमोहन पालीवाल
कांकरोली, (राजस्थान)
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दुनिया से अलविदा हो हम, शोर तुम न करना मेरै यार
नफरत करनी थी इतनी, ऑख में ऑसूॅ न लाना मेरे यार

ये ख़ामोशिया ये दूरियाँ अब सही न जाए मेरे यार
जख़्म इतने कम न हो किसी को न गीनाना मेरे यार

पागल बादल की तरह यहाँ ढुढ रहा हूॅ मे तो तुम्हे
जुबां पर आए नाम कभी, हमे तुम न गुनगुनाना मेरे यार

कोई पता पूछ भी ले मासूमियत मे कभी तुमसे हमारा
जरूरी नही, कोई राज की बात, उन्हे न बताना मेरे यार

सोए नही, हम भी रात रात भर, लेकर नाम तुम्हारा
ऑखो मे हे ऑसू मेरे, खुद को न रूलाना मेरे यार

खाक-ए-सूपूर्द हो, हम तेरी गली से ही निकलेंगे
पिछे से तुम मुझको, कभी सदा न लगाना मेरै यार

रफ्ता-रफ्ता आग के हवाले जब होने लगे मोहन
सोच कर, उस मंज़र को, ख़ुद को न जलाना मेरै यार

परिचय :- मनमोहन पालीवाल
पिता : नारायण लालजी
जन्म : २७ मई १९६५
निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान
सम्प्रति : प्राध्यापक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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