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Tag: माधवी तारे

वजन
लघुकथा

वजन

माधवी तारे लंदन ******************** एयरपोर्ट के लाउंज में बैठे-बैठे दिमाग में अभी-अभी काउंटर पर एक यात्री और एयरलाइन स्टाफ के बीच हुआ वाद-विवाद घूम रहा था। यात्री का सामान बस एक किलो ज्यादा था और स्टाफ उसे बिना पैसे दिये लेने को तैयार नहीं था। यात्री अपनी परेशानी बड़ी शिद्दत के साथ बताने की कोशिश कर रहा था औऱ स्टाफ उसकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं था। इतने में लाउंज के टीवी पर एक समाचार दिखाया जाने लगा जिसमें यात्री के ज्यादा वजन पर टिकट की कीमत बढ़ाने पर रिपोर्ट आ रही थी। ज्यादा वजन, हमारे समाज में वैसे भी बहुत आलोचना का विषय रहा है, किसी भी मोटे व्यक्ति को तरह-तरह से जलील किया जाता है और उसका सरेआम मजाक भी उड़ाया जाता है। सारी दुनिया फिटनेस के पीछे लगी हुई है। सुबह का व्यायाम, जिम, डायट और भी न जाने क्या-क्या। बावजूद इसके दुनिया में मोटापा एक महामारी के रूप में फैल रहा है। समस्या क...
सवाल
कविता

सवाल

माधवी तारे लंदन ******************** आज जागृत मंच ने किया खड़ा एक सत् सवाल साहित्य जगत में क्या जल सकेगी कृत्रिम बुद्धिमत्ता की मशाल स्मरण रहे इसे मत भूलना जहां सच्चाई ही खपाना नहीं होता इतना आसान वहां कैसे चमक सकेगी कृत्रिम बुद्धिमत्ता की शान भूल गए क्या गीत पुराना खुशबू आ नहीं सकती है कागज के फूलों से सिखा गए हैं राजेश खन्ना अद्भुतता से भरा रहता है विज्ञान क्षेत्र का सदा खजाना फिर भी असंभव सा होता है दैवी आपदाएं रोकना साहित्य जगत के प्रांगण में अनिवार्य है मानव संवेदना कैसे बाधित कर सकती उसे फिर कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भावना परिचय :-  माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) अध्यक्ष : अंतर्राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (लन्दन शाखा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
ऑपरेशन सिंदूर २०२५
कविता

ऑपरेशन सिंदूर २०२५

माधवी तारे लंदन ******************** ऑपरेशन सिंदूर की लाली देखो फैली रणभूमि पर रक्त-रंजित लाली छाई शत्रु पटल पर। शल्यक्रिया में लाल होती मेज भी इस सिंदूर की लाली है पर कुछ हटकर। शौर्य गाथा देश के जवानों की सब की जुबान पर सिंदूर तो दूर दुश्मनों की आँख नहीं उठेगी अब देश पर। भागे हुए जंगलों, गुफाओं की छाँह में, क्या जाने महत्ता सिंदूर की धर्म पूछ मारने वाले कायर, नहीं जानते ताकत सिंदूर की। खैर, अब उनकी जान की कोई खैर नहीं खड़े हैं सब अर्जुन सज्ज गांडीव पर हाथ धर। श्रीकृष्ण बन रहे हैं देश के पालनहार सीमा पर पर चक्र सुदर्शन सज्ज कर। परिचय :-  माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) अध्यक्ष : अंतर्राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (लन्दन शाखा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
स्वयं ही स्वयं को पहचानिये
आलेख

स्वयं ही स्वयं को पहचानिये

माधवी तारे लंदन ******************** बचपन से एक मराठी गीत रेडियो पर सुनना अच्छा लगता था। सुधीर फडके जी के स्वरों में वह गीत बहुत मधुर लगता। उसका अर्थ कुछ ऐसा था कि मानव जन्म में ही मनुष्य से देवत्व प्राप्त करने किया जा सकता है यही तुलसी रामायण का एक मुख्य तत्व है। यह लेख भी कुछ ऐसे ही विचारों से भरपूर है। हम अक्सर देखते हैं कि मनुष्य को स्वर्ण की बहुत चाह होती है। और इसी से आंका जाता है कि व्यक्ति कितना संपन्न है। इस शरीर के सौंदर्य में स्वर्ण और चांदी चार चांद लगाते हैं। लेकिन हम ये अक्सर भूल जाते हैं कि इस ईश्वर प्रदत्त शरीर की कीमत सोने चांदी से कहीं अधिक है और बहुत मूल्यवान है। लेकिन मनुष्य चौर्यमयी सोने का अधिक जतन करता है और शरीर रूपी सोने को बिलकुल भूल जाता है। हमें यह ध्यान रखना चाहिये कि अनेक योनियों में भटकने के बाद हमें मनुष्य जन्म की प्राप्ति हुई है। सोने की लंका के गुणग...
अपेक्षा भंग
लघुकथा

अपेक्षा भंग

माधवी तारे लंदन ******************** कई सौ परिवारों से भरपूर एक सोसायटी की एक बहुमंजिला इमारत में एक दंपति रहता था। वो पति पत्नी इतने कंजूस थे कि मक्खी के चाय में गिरने पर मक्खी को चूस कर चाय पी सकते थे। जाहिर है उनकी न तो इमारत में, न ही सोसायटी में कोई दोस्ती थी न तो वो रिश्तेदारों से मिलते थे न ही रिश्तेदार उनके यहां आते थे। उनकी बिल्डिंग के लोग उन्हें देखते ही उनसे दूर ही भागते थे कि कहीं कुछ मांग न लें। प्रकृति का विनाश कर बनी ये सीमेंट कंक्रीट की इमारतें जैसी भावना शून्य होती हैं वैसे ही ये दोनों थे, घर में भी वह हर संभव कंजूसी करते थे। बचत और कम सामान में जीवन यापन करने की कला इनके पास कुछ ज्यादा ही थी वो इस डर से कहीं आते जाते नहीं थे कि कहीं पैसा न खर्च हो जाए। अच्छी नौकरी से रिटायरमेंट के बावजूद इन्होंने किसी शौक, जरूरत पर कम से कम पैसा खर्च करने पर ही जोर दिया बेवजह कटौती की...
संतकृपा
संस्मरण

संतकृपा

माधवी तारे लंदन ******************** अपनापन खो जग में अपना मिलता है जग सपना भी अपने को सोकर ही मिलता है जब हार न पाया मैं अपनापन जगने में तब जग को अपनी जीत सुनाना चाहती हूं सबको ऐसा अनुभव जीवन के किसी न किसी मोड़ पर आता ही है. कॉलेज की पढ़ाई पूरी करके, रोज कहीं न कहीं नौकरी की अर्जी देना, साक्षात्कार के लिये जाना ये सिलसिला मुझे आज भी याद है। पीएससी के इंटरव्यू के लिये नागपुर गई थी। तब सोलह सोमवार जैसा कड़क व्रत मेरा था। मां ने हजारों सूचनाओं से मेरा दामन भर दिया था। ये नहीं खाना, वो नहीं करना ऐसी अनेक सूचनाएं पल्लू में भरकर में गाड़ी में बैठ गई। किसी ने सहृदयता से भी कुछ दिया तो हाथ में लेना नहीं। मां के कहे अनुसार आचरण करते हुए और भगवान की कृपा से इंटरव्यू का नतीजा भी अच्छा रहा। प्रथम नौकरी पुरुषों के डीएड कॉलेज में मिली। वरिष्ठ अधिकारी ने आश्वासन दिया था कि दो-तीन महीने मुझे म...
आत्मवंचना
कविता

आत्मवंचना

माधवी तारे लंदन ******************** पंचतत्व में विलीन मनमोहन मत सुनो जनता की वलगना आयु सागर में डुबकी लगा कर प्रशंसा के स्तुति मौतिक लाए ये जन बंधवा दिए इन्होंने स्तुति के पुल। दुनिया की है यह रीति पुरानी जीते जी तो करे मनमानी श्मशानभूमि पर करे वंदना स्तुतिसुमनों की उछाले रचना। विपक्ष जब खोले शब्द खजाना उम्र और पद का रखे न पैमाना संविधान की करे अवमानना जब सत्तांध का मद चढ़े सातवें आसमाना। तुष्टिकरण का चुनावी बाणा मुक्त हस्त से बांटे जन मेहनताना अर्थनीति के दम को तोड़ना देशभक्ति का पहन कर जामा। लाए उबार आप राष्ट्र कोष मौन की बहुत उड़ाई खिल्ली काम किए पर मिली न प्रशंसा जाने पर दौड़ी वाहवाही को दिल्ली। इसलिए कहते हैं कवि दुनिया की सबसे बड़ी सेवा खुद को संतुष्ट कर खुश रहना दे श्रद्धा सुमन जो दिल से उन्हें ही आप सच्चा मानना। परिचय :-  माधवी तारे वर्तमा...
चांद की टीस
कविता

चांद की टीस

माधवी तारे लंदन ******************** चांद आधा आज गगन में कहता है धरती को मन में क्यों मैं पूरी चमक दिखाऊं जब श्रद्धा ही न हो विश्व में जनता भटके भ्रमण ध्वनि में समय नहीं है उनको घड़ी पल बंद कमरे में वीडियो गेम पर देखा करते कृत्रिम चांद बेदर्द पड़े दिल सर्द पड़े भटक-भटक ये कहां चले मुझ पर न किसी की नज़र पड़े कहता है चांद मायूसी में सत्ता की धुन में खोए कुछ अमर्यादित चाल चले ऐश्वर्य का संचयन करते-करते कुमार्ग का चयन कई लोग करें कैसे चमकूं पूरा मैं फिर भारत की संस्कृति छूटी चलते सब पश्चिमी पथ पर कैसे चमकूं पूरा अब मैं यह सोच रहा है चांद मन में अकूत ऐश्वर्य का था वो मालिक स्वयं रहा सदा सादगी में विकास के उस रतन को आखिरी नमन करने आधा ही आया मैं नभ में परिचय :-  माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) अध्यक्ष : अंतर्राष्ट्रीय ह...
अनाथों की मोक्षदात्री
लघुकथा

अनाथों की मोक्षदात्री

माधवी तारे लंदन ******************** बंद कमरे की खिड़की की मद्धम रोशनी में बैठकर मैं उस ठंडी शाम को ऊर्जा और प्रेरणा से ओतप्रोत थी। विश्वमांगल्य नाम की एक पत्रिका मेरे हाथ में थी और उसमें मैं एक अतिविलक्षण महिला डॉ. भाग्यश्री के बारे में पढ़ रही थी जिसने एक अलग ही तरीके से अपने जीवन को सार्थक किया है। वैसे तो स्त्री शक्ति ने अपनी ताकत का और सफलता का परचम आज चूल्हे-चौके का दायरे सहित आसमान तक फहराया है। तभी तो घर ही क्या सारी दुनिया कहती है कि तुलसी बिना आंगन सूना वैसे स्त्री बिना घर सूना। आज तक एक ही क्षेत्र स्त्री के लिये कोमलांगी, भावनाशील, समझकर अछूता रखा गया था वह स्थान है श्मशान। वैसे आज वहां भी स्त्रियां जाती हैं। लेकिन इंदौर की इस प्रतिभाशाली महिला ने तो अपना कार्यक्षेत्र ऐसी जगह को बनाया है जहां सामान्य लोग जाने का विचार भी नहीं करते. इस प्रेरणास्पद नायिका का विवाह एक चतुर्थ श...
कुरुक्षेत्र में
कविता

कुरुक्षेत्र में

माधवी तारे लंदन ******************** अब की बार चुनावी कुरुक्षेत्र में चाकू, खंजर, तीर, तलवार खूब लड़ रहे थे आपस में कौन ज्यादा गहरा जख्म दे शब्द पीछे बैठे मुस्कुरा रहे थे जिव्हा की लेकर तेज तलवार आई थी महिलाएं भी मंच पर चतुरतर पद की गरिमा भूलकर अपनी वाणी की कला दिखाने और शब्द पीछे बैठे मुस्कुरा रहे थे कुछ सत्तांधों ने एक होकर किया भ्रमण था देश भर सिंहासन की चाह पकड़कर झूठे वादों की वर्षा करने माहौल बिगाड़ने वाले मनोरुग्णो ने चपत मुंह की खाई आखिर सत्य पीछे बैठा मुस्कुरा रहा था... पूर्वकालीन कारनामों को होना था उजागर देश भर तभी तो रामलला ने तीसरी बार कर दिया मोदी जी का बेड़ा पार सनातनता जागृत हो पीछे मुस्कुरा रही थी पक्ष-विपक्ष तो हैं लोकतंत्र की दो सुदृढ़ बाहें वैचारिक मेल-मिलाप से देश को उन्नति के पथ पर लाए फिर क्यों प्रथमग्रासे मक्षिका पतन करने उतावले...
एक चेहरे पर कई चेहरे
आलेख

एक चेहरे पर कई चेहरे

माधवी तारे लंदन ******************** जब भी भारतीयों की प्रगति की बात होती है, विदेशों में बसे भारतीयों के गुणगान गाने को तत्पर रहते हैं और विदेशी लोगों को आमंत्रित करने का मौका हम ढूंढते रहते हैं। वहां रहने वाले भारतीय इस अवसर को संपन्न करवाने में हम जी जान से मदद करते हैं। लेकिन विदेशी समाज में रहकर खुद को साबित करना, अच्छे पद कर काम करना आसान नहीं होता. गलतियां ढूंढने को तैयार लोगों की घाघ नज़रों के बीच हर दिन अपने आप को प्रमाणित करना पड़ता है। कई देशों में भारतीय नर्सें काम करती हैं और उनके काम को काफी सराहा जाता है। लेकिन कई बार ऐसा भी सुनने में आता है कि आप्रवासी नर्से सारी तैयारी करके रखती हैं लेकिन उसका सारा श्रेय स्थानीय नर्सें ले जाती है, डॉक्टरों को जानबूझकर दिखाया जाता है कि स्थानीय कर्मचारी ही बेहतर हैं। अक्सर आयोजन में देखा जाता है कि आज भी हमारी गुलामगिरी की मानसिकता गई न...
मौसम ने करवट क्यों बदली
आलेख

मौसम ने करवट क्यों बदली

माधवी तारे लंदन ******************** भारी गर्मी में सूरज के ताप से हैरान गौरेया जैसे बेसुध हो कर गिर जाती है। वैसे ही आज इंसानों की हालत है। कुछ साल पहले का हरे-भरे बैंगलोर का मौसम खुशमिज़ाज था। वृंदावन गार्डन देखकर मन खुश हुआ था लेकिन आज वही बैंगलोर पानी की बूंद-बूंद के लिये तरस रहा है। अब इंदौर की भी हालत ऐसी ही हो रही है। पिछले ६०-६५ साल में आज जैसी गर्मी देखने को नहीं मिली है। सौ-सौ साल पुराने पेड़ सड़क के नाम पर कुरबान हो रहे हैं और नए लगाए नहीं जा रहे जबकि पूरे के पूरे पेड़ दूसरी जगह लगाने की तकनीक भी आज उपलब्ध है। फिर भी बागीचे उखाड़ कर अट्टालिकाएं रोपी जा रही हैं। इंसान भी चिड़ियों की तरह चलते-चलते ना टपके इसके लिये हरियाली चाहिये। सीमेंट कांक्रीट के रास्तों के आसपास नालियां नहीं हैं और अगर हैं तो पानी वहां से प्रवाहित हो जमीन में नहीं जाता, बह जाता है। बहुमंजिला इमारतें अपनी प्...
महिला दिवस पर स्लोगन
कविता

महिला दिवस पर स्लोगन

माधवी तारे लंदन ******************** १. तुलसी बिना आंगन सूना, नारी बिना नर जीवन सूना। २. त्रिभुवन की ही संजीवन शक्ति, एक ही है महिला शक्ति। ३. गृहस्थाश्रम के नभाकाश की, है स्त्री शीतल चांदनी प्रसंग पड़ता जब बांका, बन जाती है वह शेरनी। ४. है स्त्री दैवी ही धर्मज्योति, गृहस्थाश्रम की अमोल शक्ति बिना उसके नहीं मिलती, प्रपंच-रथचक्र को गति। ५. वो गुणवान संस्कारी वह निडर करारी. परिचय :- माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अप...
रामरस
कविता

रामरस

माधवी तारे लंदन ******************** ये क्या हुआ कब हुआ, क्यों हुआ जब हुआ, तब हुआ ओ छोड़ो, ये न सोचो हम क्यों शिकवा करें झूठा जो हुआ वो अच्छा हुआ सपना पुराना था मोदी जी ने पूरा किया फिर क्या हुआ? हमने तो सुना था, जाना था मामला पांच सौ साल पुराना था, नेताओं ने भी उस पर चुनावी जामा चढ़ाया, रामलला को भी उन्होंने टेंट में बिठा दिया था... फिर क्या हुआ? न्यायविदों ने जब न्याय का आदेश दिया तब जा के बाईस जनवरी का शुभ-दिन आया फिर क्या हुआ? मंदिर बन के तैयार हुआ रामलला को भी विधि से मंदिर में बिठा दिया फिर क्या हुआ? देश सारा राम रस में डूबता चला गया दीवाली जैसा माहौल विश्व में फैल गया विश्व में फैल गया... परिचय :- माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एव...
भीति … मराठी कविता
आंचलिक बोली

भीति … मराठी कविता

माधवी तारे लंदन ******************** मला वाटते ही कसली भीति, ना चोरा ची न अंधारा ची, अथाह साहित्य सागरातूनी गवसेल कसा मज सुषमानुकूल शब्द मोती? वालुकामयी समुद्र किनारी पाहुनी वेगमयी लाट उसळती, भय पतनाचे मम नेत्र मिटती. दुर्गम असे मज सादा शिंपला नी मोती. कुशल अशा रचनाकारांना नवे आव्हान मायमावशी देती होतं शब्दांची साहित्य निर्मिती त्यात कशी टिकावी हीच भीति पणती माझी मिणमिणती… परिचय :- माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु ...
लोकतंत्र का पर्व
लघुकथा

लोकतंत्र का पर्व

माधवी तारे लंदन ******************** “ये लोकतंत्र का पर्व है सामने काल खड़ा है तू वोट कर, तू वोट कर” आशुतोष राणा जी की प्रभावी वाणी में ये कविता सुनते-सुनते मुझे १९९८ में लोकसभा मतदान का दिन याद आ गया। सड़कों पर समूहों में चर्चा करते हुए लोग, बूथ पर जाकर मतदान कर रहे थे। तो कई लोग इसे छुट्टी का दिन समझ कर घूमने भी चले गए थे। सुहासिनी के घर के सभी लोग मतदान कर आए थे। उसके पति कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे थे और कमजोरी और दर्द से कराहते हुए बिस्तर पर लेटे थे। वह उनके जागने से पहले ही मतदान कर आई थी। कुछ समय के बाद सुहासिनी ने उनकी आवाज सुनी – “अरे मेरा सफारी सूट तो लाओ जरा मैं मतदान के लिये जाने का सोच रहा हूं कहीं मेरे एक मत का अभाव पार्टी पर भारी न पड़ जाए।” उसने कहा – “आप कैसे जा सकते हैं, ज़रा खुद की स्थिति तो देखिये” पर आत्मविश्वास से वे बोले- “मेरी जाने की इच्छा है” “दो तीन म...
स्त्री और रंग
कविता

स्त्री और रंग

माधवी तारे लंदन ******************** दुनिया की आधी आबादी की, अटल अमिट शान है स्त्री जीवन को रंगीन बनाने वाली, चिर प्रेरणादायिनी है स्त्री कभी चांद सी शीतल, कभी सूर्य सी दाहक, प्रेम इज़हारी, दंडदायिनी है स्त्री. कभी पदार्थाभाविनि, रसस्वादिनी, पाकगृह की कुशल, स्वामिनी है स्त्री शिव की शक्ति, हरि की चरण दासी, समर क्षेत्र में रणरागिणी है स्त्री संत विद्वानों की जन्मदात्री, रत्न प्रसविनी है स्त्री रंग उसका हो कौन सा भी, रस रंगहीन है स्त्री बिन जिंदगी प्रातः स्मरणीय पंच कन्याओं की स्मृति, पंच रंगयुता पाप विनाशिनी है स्त्री परिचय :- माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट...
मानवीयता
लघुकथा

मानवीयता

माधवी तारे लंदन ******************** कई साल से विदेश में मरीजों की सेवा करने वाले प्रख्यात चिकित्सक अपने अस्पताल की ड्यूटी खत्म होने के बाद अपनी क्लिनिक में आकर बैठे। वहाँ भी मरीजों की कतार लगी थी। एक-एक मरीज लाइन से आकर अपने समस्या बताकर दवाई की पर्ची ले जा रहा था। अभी लाइन खत्म ही नहीं हुई थी कि एक वृद्ध महिला के चीखने चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। उसके पैर में गहरा जख्म था, वेदना असह्य हो रही थी। वह बहुत ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी उसके साथ उसकी बेटी थी, चिल्लाने की आवाज सुनकर डॉक्टर अपनी सीट छोड़कर बाहर आए और पूछा – “क्या हुआ बेटा” ? परिस्थिति की गंभीरता देखकर डॉक्टर ने लोगों से उस महिला को टेबल पर लिटाने को कहा, बाकी मरीजों को छोड़कर डॉक्टर उस महिला के जख्म का इलाज करने लगे। फिर डॉक्टर दूसरे मरीजों को देखने चले गए और उस महिला को और क्लिनिक के पलंग पर लेटे रहने दिया, महिला की स्थिति को देख...
लोकतंत्र का पवित्र मंदिर हूं मैं
कविता

लोकतंत्र का पवित्र मंदिर हूं मैं

माधवी तारे लंदन ******************** (नया संसद भवन २८ मई २००३) आज की रवि किरणों से चमकता हुआ न कोई गगन से उतर कर आया फरिश्ता परतंत्रता का चोला उतार, अपनों के परिश्रम से निर्मित स्वतंत्र देश के अमृत महोत्सव का प्रतीक हूं मैं. देश का विकास या समस्या का हो मसला या विदेश का हो कोई मामला सबसे खुली चर्चा करके, हल निकालने वाला हलधर हूं मैं न तो मैं विदेश में स्थापित होने वाला न ही देश की हर बात जग भर फैलाने वाला दूरदर्शन का कोई चैनल हूं मैं सब देशवासियों की रगों में देशभक्ति स्रोत जगाने वाला निर्मल बहता हुआ निर्झर हूं मैं गीता का वचन है ”यो माम् यथा प्रपद्यन्ते, ताम् तथैव भजाम्यहम ” मंत्रोच्चार से स्थापित लोकतंत्र का पवित्र मंदिर हूं मैं प्रस्तुति - एक वरिष्ठ भारतीय महिला नागरिक (वर्तमान निवास लंदन) परिचय :- माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवास...
प्रश्न का उत्तर
कविता

प्रश्न का उत्तर

माधवी तारे लंदन ******************** (काव्य रचना, श्रद्धेय स्वामी विवेकानंद के चरित्र के आधार पर) एक दिन विवेकानंद जी से पूछ लिया एक मासूम ने मात पिता का संतान पर अपने रहता है न समान अधिकार? तो फिर मां का ही गुणगान जरा ज्यादा होता रहता संसार भर बोले स्वामी-बालक का प्रश्न सुनकर सामने दिखी ईंट को ले आ तू सत्वर मिल जाएगा फिर तुम्हें तुम्हारे प्रश्न का उत्तर गया ईंट लाने बच्चा दौड़कर कहे स्वामी, इसे अब बांध लो तुम्हारे पेट पर खाना, पीना, सोना, उठना, बैठना करते रहो नौ घंटे ऐसा ही रहकर आज्ञाकारी बालक कर बैठा कहे अनुसार अल्पकाल में ही असहनीय कष्ट से हुआ बेहाल पछताकर बोला मन में-क्यों गया मैं स्वामी जी को प्रश्न पूछने ! समय पूर्व आते बालक को देखकर तकलीफ उठाते हुए आते उनके घर पर मुस्कुराते बोले स्वामी, मिल गया लगता है तुम्हें तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दर्द भरी...
ये दाग़ कौन धोएगा…?
आलेख

ये दाग़ कौन धोएगा…?

माधवी तारे लंदन ******************** लंदन में यहां की संसद में राहुल गांधी का वक्तव्य सुन कर मन द्रवित हो गया। आज तक कितनी बार मैं यहां आई हूं पर ऐसा अनुभव मुझे कभी नहीं हुआ। भारत के लोकतंत्र का चीरहरण और खासकर देश के प्रधानमंत्री की बुराइयां, बीबीसी जैसे ख्यात न्यूज चैनल पर सुनकर मुझे गुस्सा आया। परदेश की सर जमीं, जहां पर अपने ही देश का मूल निवासी जो उच्च पद पर आसीन है, उनके सम्मुख देश के लिये अपमानजनक शब्दों को सुन कर गुस्सा नहीं आएगा क्या? परदेश में अपने देश की बुराई सुनकर मैं शर्मसार हो गई। गुस्से में मैंने मेरे बेटे को टीवी बंद करने को कह दिया। एक साधारण सा सांसद, जिनके पूर्वजों ने ७० साल तक इस देश की बागडोर संभाली और अनिर्बंध रूप से शासन चलाया। उनके एक शख्स का देश के प्रजातंत्र पर कुठाराघात करते हुए आलोचना करना, हमारे जैसे भारतीयों की नाक कटवाने जैसा है। वर्तमान में अपना सर उ...
धर्म और विज्ञान
आलेख

धर्म और विज्ञान

माधवी तारे लंदन ******************** धर्म: रक्षति रक्षित: ऐसा एक वाक् प्रचार है जिसका भावार्थ है धर्म ही धर्म की रक्षा करने वाले का रक्षण करता है। प्राचीन ग्रंथों और पुराणों ने यह बात सिद्ध करके दिखाई है। हमें उनकी चर्चा में आज नहीं पड़ना है। वास्तविक बात यह है कि ज्ञान विज्ञान और अध्यात्म या धर्म दोनों ही मनुष्य को आत्मोन्नति के मार्ग पर चलने में सहायक होते हैं। एक अंदर से या मन-मस्तिष्क से तो दूसरा भौतिकता से या बाह्य जगत के ज्ञान से, दोनों के रास्ते अलग-अलग हैं परंतु खोज उत्कर्ष अथवा स्व की उन्नति को ही महत्व है। सारांश यह है कि विज्ञान बाह्य रूप से और धर्म अंतर स्वरूप से ब्रह्मांड की खोज करने की कोशिश में लगे रहते हैं। राक्षसों द्वारा डूबी पृथ्वी को धर्म ने संवारा तो उसका हर तरह से विकास करना विज्ञान में संभव कर दिखाने की ठानी है। कहां पैदल यात्रा भ्रमण करने वाले, कहां पैदा, कह...
कर्तव्यबोध
लघुकथा

कर्तव्यबोध

माधवी तारे लंदन ******************** दरवाजे की बेल बजी– “आंटीजी दरवाजा खोलो मैं आई हूं” ये कामवाली की आवाज थी. द्वार खोलते ही मैंने उससे कहा – “अरे... तुम्हारे पति शांत हो गए हैं न ... तुमने अपनी जगह दूसरी बाई दी थी। वो दो दिन से अच्छी तरह से काम कर रही है फिर तुम आज कैसे?” “आंटीजी माफ करना, काहे का पति, और काहे का बच्चे का पिता... आज २५ साल पहले बिना कहे वो मुझे और मेरे चार साढे चार साल के बेटे को बेसहारा छोड़ कर गया था... हमें नहीं मालूम, तब से आज तक उसने ये तक न पूछा कि हम जिंदा हैं कि मर गए... अपने कर्तव्य से मुंह फेर कर गुलछर्रे उड़ा रहा था... पर कर्म ने किसे छोड़ा है क्या ! २५-२७ साल तक न उन्हें हमारी याद आई न अपने परिवार की.... पर अबकी बार बीमार हो कर अपनी बहन के घर आ गया।” ननंद जी को मैंने कहा कि “आपने मुझे क्यों बताई ये बात... जबसे गया तभी से मैंने बेटा बड़ा किया, उसकी प...
कालांतर
कविता

कालांतर

माधवी तारे लंदन ******************** बड़ी हुई तब एक दिन पूछा अपनी माँ से मैंने, कितनी पीड़ा सह ली तूने देकर हमको छह बहनें? धीरे से तब बोली माता पुरुषों की तब चलती ज्यादा, थी औरत तो केवल अबला कौन सुनता उनकी भला? कालचक्र का घूमता पहिया बदलता गया सारी दुनिया, कुल दीपक की बढ़ती चाह ने नारी मन का छल किया। वंश की वृद्धि, मुक्ति की इच्छा सर पर चढ़ बलवान हुई , तब जबरन भ्रूण हत्या समाज मन पर छाती गई। बुझाकर ज्योति की पवित्र बाती दीपक की लौ जलने लगी, मातृत्व प्राप्ति की सारी खुशियाँ आंसुओं में बहने लगी। अमौलिक कन्या रत्न की कमी जन अनुपात बिगाड़ गई, मानवीयता पाशवी वृत्ति के आगे शर्मसार होती ही गई। नफरत भरी आँधी से सूज्ञ नरों की नींद खुली, भ्रूण हत्या को जाकर तब से अक्षम्य गुनाह श्रेणी मिली। परिचय :- माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश...
हंसिका
कविता

हंसिका

माधवी तारे लंदन ******************** हिंदी रूठ गई, अपनी मां से बिखरित करके केश कहे मुझे दो, बिंदी लाके तभी मैं सवांरूं केश परिचय :- माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com...