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Tag: संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया

हाँ-हाँ अब मैं बासठ की हो गई
कविता

हाँ-हाँ अब मैं बासठ की हो गई

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** हाँ-हाँ अब मैं बासठ की हो गई। अब पहले जैसी कार्य क्षमता कहॉं गई पता नहीं। ना तो सिर में अब पहले जैसे बाल हैं। ना ही अब पहले जैसे फूले हुए गाल हैं। अब तो घने बालों की लंबी चोटी भी नहीं। अब तो पिचके हुए गाल हैं। तरुण अवस्था में जो स्निग्ध, चिकनी त्वचायुक्त चेहरा था। वह भी तो लुप्त हो गया। अब तो मुख पर गहरी आड़ी-तिरछी, रेखाएं दिखाई पड़ती हैं। जैसे कोई उबड़-खाबड़, टूटी-फूटी सड़क। चेहरे पर झुर्रियां दिखने लगी। अब पहले जैसी तीव्र याददाश्त भी नहीं रही। शरीर की त्वचा भी ढीली हो लटकने लगी, मानो किसी ने बहुत ढीले वस्त्र पहन रखें हो। त्वचा तो छोड़ो अब तो शरीर की अस्थियां भी, गठिया रोग से ग्रसित हो गया, कभी हाथ, कभी पॉंव, कभी घुटना, कभी हाथों की उंगलियां, तो कभी पैरों की उंगलियों, म...
हिंदी हिंद देश की भाषा
कविता

हिंदी हिंद देश की भाषा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** हिंदी हिंदी देश-भाषा, हिंदी हैं हमारी मातृभाषा, हिंदी हैं हमारा मान, हिंदी हैं हमारा स्वाभिमान। हिंदी हैं हिंद देश की शान। हिंदी हैं हिंद का मान। हिंदी हैं हिंद देश की राजभाषा। हिंदी है हिंदी की सर्वोत्तम एकमात्र भाषा। सकल विश्व में सर्वोपरि हैं,हिंदी भाषा। हिंदी वर्णमाला आरंभ होती 'अ' से अनपढ़। हिंदी वर्णमाला अंत होती 'ज्ञ' से ज्ञानी। हिंदी हैं हर जन-जन की भाषा। आओ-आओ हम सब मिलकर, हिंदी भाषा का सम्मान करें। हर जन बोले हिंदी भाषा, हर जन पढ़ें हिंदी भाषा, हर जन लिखें हिंदी भाषा। हिंदी हिंद देश में उन्नति करें नित, हिंदी भाषा से ही हिंद देश विकास करें। हिंदी भाषी हम हिंदुस्तानी हैं। हिंदी भाषा ही हमारी जुबान हैं। हिंदी भाषा हिंद देश में अनेकता में एकता, हिंद देश में विवि...
भारत का इतिहास
कविता

भारत का इतिहास

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** कभी हम भारतवासियों ने एक, सपना देखा था,चंद्रमॉं पर तिरंगा फहराना, ये भारतीयों का सपना आज पूर्ण हुआ। तेईस अगस्त दो हजार तेईस संध्याकाल। चंद्रयान-तीन चॉंद के धरातल पर आया। भारत में चहुंओर और खुशियां लाया। भारतवासियों के उर अपार आनंद छाया। भारत में नव इतिहास रचाया। सकल विश्व में भारत का सिर गर्व से ऊंचा करवाया। आज अतीत में देखा स्वप्न पूर्ण हुआ। इसरो के वैज्ञानिकों का महत्वपूर्ण योगदान, इन सभी को देते भारतीय हार्दिक बधाई। सारे विश्व को चौका दिया दक्षिण ध्रुव पर, विक्रम को कुशलतापूर्वक पहुॅंचा कर। अब तो हम चाॉंद पर झंडा फहराकर, जन-गण-मन राष्ट्रगान गाऍंगे, राष्ट्रगीत वंदेमातरम गाऍंगे। जय हिंद,जय हिंद गाऍंगे। भारत विश्व गुरु कहलायेगा। भारत की सफलता से हम सब हर्षाऍंगे। हम सभी ...
प्रकृति संरक्षण
कविता

प्रकृति संरक्षण

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** प्रकृति का दोहन करते हो, और पर्यावरण दिवस मनाते हो, हम सबको मिलकर, प्रकृति संरक्षण करना है, पेड़-पौधे नित नव लगाना हैं, पेड़ काटने से रोकना हैं, वायु प्रदूषण रोकना हैं, व्यर्थ जल बहने से रोकना हैं, जल संरक्षण का संकल्प लेना हैं। अधिक से अधिक पेड़ लगाना हैं, जन्मदिन पर एक पेड़ अवशय लगाना हैं, यही नारा चहुंओर फैला कर, जन-जन को जागृत करना है, वैवाहिक वर्षगांठ पर, एक पौधा उपहार में भेट देना है, वायु प्रदूषण रोकना हैं, अपने मित्र के जन्मदिन पर, एक पौधा अवश्य भेंट करना है, जो भी फल खाएं, उसके बीज संभाल कर रखना हैं। जब कभी अपने शहर से बाहर जाएं, तो रास्ते में किनारे पर, फेंकते जाना है, अपनी कॉलोनी और पूरे मोहल्ले में संगठित हो, अधिक से अधिक को पौधे लगाना हैं। सारे भारत...
बारिश की बूॅंदें
कविता

बारिश की बूॅंदें

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** मैं हूॅं बारिश की बूंदें, मैं भी तो प्रभु की सुंदर रचना ही हूॅं। जब सावन की बरसात आती हैं, तब मैं गगन से चलकर। अठखेलियां करती हुई, धरा से मिलन करने आती हूॅं। मैं रिमझिम-रिमझिम वर्षा संग, सबके उर उमंग भरती हूॅं। मैं हूॅं बारिश की बूॅंदें, अति लघु जल कण, अल्पायु हूॅं। मैं धरा पर आकर स्वयं खुश हो, मानव के अधरों पर मुस्कान बिखेरती हूॅं, मैं जब रज में मिलूॅं, सौंधी सुगंध। माटी सी महकाती हूॅं, धरावासियों के तन भिगो रोमांच भरुॅं। मैं हूॅं बारिश की बूॅंदें, जब पेड़, लता, वृक्ष, पत्तों पर गिरती हूॅं। कुछ काल रहती हूॅं, तब भानु प्रकाश किरणें मुझे धवल, सूक्षम मोती सा चमका, मेरा सौन्दर्य बढ़ाती हैं। दादुर, मोर, पपीहा, कोयल, तोता, चिड़िया, मधुर गान करें। मैं हूं बारिश की बूॅंद...
हनुमान जन्म
भजन, स्तुति

हनुमान जन्म

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** चैत्र मास पूर्णिमा आई, हनुमान जन्मोत्सव अपने संग लाई। हम सबके उर में अपार आनंद पाई, चहुंओर हर्ष की लहर छाई। हम सब हनुमान जन्मोत्सव धूमधाम से मनाई। हे!हनुमान तेरे दर्शन को नैना तरस गए, हे!पवन पुत्र हनुमान। आज भारत भू जन्मे हो। हे! राम भक्त हनुमान, तुम्हें हम करबद्ध हो सादर करें प्रणाम। सबहि भक्त तेरे चरणों में लिपट जाए। हे!पवन पुत्र तुम तो शंकर अवतारी हो। अंजनी लाल हो जग के तुम, तेरी महिमा अति न्यारी, निराली अनंत। तुम सूरज निगल बजरंगी कहलाए हो। लंका जला सीता सूचना लाए, लक्ष्मण प्राण बचाने, पूरा पर्वत उठा लाए। हम सब तेरा गुणगान करें। ऐसा वरदान दो। घर-घर तेरा नाम करें, दुष्ट दलन तुम कहलाए, भक्तों के कष्ट हरने आए हो। दो शक्ति हमें इतनी अपार, हम तेरी सेवा निस्वार्थ भ...
नारी का समर्पण
कविता

नारी का समर्पण

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** देखो-देखो नारी समर्पण, इस जग में सबसे न्यारा और प्यारा। इतिहास भी साक्षी है, हर नारी बोले, हर पुरुष नारी तोले, बिन बात पति बोले, पत्नी से हौले-हौले, तुम सारा दिन करती ही क्या हो ? प्रश्न सुन पत्नी का क्रोध खौलें, पत्नी कहे मत दिखाओ, नयनों के गोले, तुम कितने हो भोले, ऐसी कटु वाणी से रिश्ते हो जाते पोले। तुम सब पुरुष पहन लो मानवता के चोल़े, हर्ष से भर लो अपने-अपने झोले। जीवन नैया तुम्हारी क्यों डोले ? यह जानो और समझो। तुम बजाओ शहनाई, और सुंदर जीवन संगीत के ढोलक-ढोले। अपने-अपने अंतस भरे अहंकार कालिमा धौले। हटाओ घृणा, द्वेष, ईर्ष्या के फफोले। समझो नारी समर्पण का मोल, भस्म करो पंच विकार ज्ञान यज्ञों की अग्नि में, मत करो नारी से अति अपेक्षा का लोभ। अब जान भी जाओ और मा...
हरिहर संग खेले फाग
कविता

हरिहर संग खेले फाग

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** फागुन आयौ, होली लायौ। मस्ती भरो माहौल चहुंओर छायौ। आओ हम सब हरिहर संग। खेले फाग हम सब गोपियां बन। होली अंतस हर्ष हिलौरें ले अपार। आओ-आओ हम सब हरि संग। खेले ऐसे फाग। खूब ढोल, मंजीरा बजावे। मस्त हो नाचे-कूदे धूम मचावे। लाल, गुलाबी, हरा, पीला। गुलाल हरी मस्तक लगावै। आओ-आओ हम सब। हरिहर संग ऐसी होली खेले। मन मस्त हो। हम सब लाल, हरा, गुलाबी, नीला, पीला रंग पिचकारी। भर-भर हरी बसन पर डारे। हम सब हरिहर के पीछे रंग। डालने पिचकारी ले भागे। हरि हम सब गोपियों से बचने। छुप-छुप जावे। भीगने से बचने और चुपके से हम। गोपियों पर रंग रंगभरी पिचकारी मारे। कभी-कभी हम गोपियों को पकड़। हमारे गाल पर लाल गुलाल लगावे। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घ...
फागुन आया
कविता

फागुन आया

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** फागुन मास आया। संग फाग लाया। चहुंओर हर्ष छाया। होलिका दहन कराया। हम सब वसंतोत्सव मनाए। सकल भारतवासी होली उत्सव मनावै। हम सब लाल, गुलाबी, हरा, नारंगी रंग अरु। गुलाल एक-दूजे के गाल पर मल-मल। सब रंग भर-भर पिचकारी चलावे। होली आपस में प्रेम बढ़ावें। ब्रज, मथुरा, होली राधा-कृष्ण। होली याद दिलावे। ब्रज, गोकुल, वृंदावन, मथुरा। फूलों की होली खूब। धमाल मचावे। लठमार होली खूब धूम मचावै। होली पर शक्ति उर उमंग छावे। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित...
कालो के काल महाकाल
भजन, स्तुति

कालो के काल महाकाल

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** कालो के काल महाकाल शिव भोला महान महाकाल महिमा अपरंपार। आज महाशिवरात्रि आई। संग अपने अति उल्लास उमंग लाई। भारत-भू पर शिव भोले अवतरित हुए। हम सब भारतीयों के उर अपार हर्षाए। जन-जन के घट-घट में शिव समाए। हर भक्त शिव भोले। ओम नमः शिवाय की रट लगावे। सबही भक्त भोर से रात्रि तक। शिव भोले का जाप करें। शिव भोले भक्तों का कष्ट हरे। हर पल शिव भोले को सम्मुख पावे। सकल भारत वायुमंडल शिवमय बनावै। मंदिर-मंदिर, घर-घर घंटा-घंटी ध्वनि बाजे। शिव भजन-कीर्तन कर्णप्रिय मन भावे। भांग, धतूरा, आंकड़ा, बेलपत्र। दूध भक्त चढ़ावे। शिव भोले भक्तों के लिए संदेशा लाए। सभी भक्त अपने अंतस भरे। काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार। विकार तज विकारमुक्त पावन। जीवन बना, शिव भोले को पावे। परिचय :- श्रीमती संगीता ...
सुभाष चंद्र बोस
कविता

सुभाष चंद्र बोस

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** आज राष्ट्रीय पराक्रम दिवस आया। संग अपने सुभाष चंद्र बोस जयंती लाया। हम सबको नेता सुभाष चंद्र बोस याद दिलाया। ऐसा भारत मां का वीर सपूत महान देशभक्त कहलाया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम महानायक। बनके आया जिसको हम सब भारतीय। करें शत-शत नमन जिसने नारा लगाया। तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा। भारत के युवाओं के रक्त में जोश। जंग का जज्बा संग ऊर्जा भर। देशभक्ति को जन-जन में जगाया। उसने ही आजाद हिंद फौज बनाया। उसने अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने। दृढ़ संकल्प दिखाया। वह कोई साधारण मानव नहीं था। वह तो असाधारण कोई देवआत्मा बन आया था। भारत मां सुभाषचंद्र बोस जैसे वीर सपूत। आज भी अपनी धरा पर चाहती है। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत...
प्यासी आत्मा
कविता

प्यासी आत्मा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** प्रेम स्नेह की प्यासी आत्माएं। परमात्मा प्रेम बिन तरसे नित। बिन परमात्मा प्रेम। आत्माओं की प्यास बुझती ही कहां है। आत्माओं की अभिलाषा यही सदा। परमपिता परमात्मा से आत्माओं का मिलन। हो अद्भुत, अनमोल, अतुलनीय, अनुभूति। परमपिता परमात्मा हम। सब आत्माओं का पिता। उसके लिए सभी संतानों के लिए एक। समान प्रेम वह तो प्रेम का सागर है। परमपिता परमात्मा सदा ही सकल। आत्माओं को हर्षित देख-देख मुस्काए। प्रतिदिन मीठे बच्चे, प्यारे बच्चे कह। अमृतवेला वरदान देने आए नित। ज्ञान अमृत का प्याला पिला। प्यासी आत्माओं की प्यास बुझा कर। हर आत्मा को सशक्त, निश्चिंत और निर्भीक बनावे। परम पिता परमात्मा को जो नित पल-पल। स्मृत कर सत्कर्म करे। पंच विकार काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार तज पावन बने। तभी परमपिता पर...
मृत्यु की रात
लघुकथा

मृत्यु की रात

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** घर में निर्मला की मम्मी उसका भाई राजू छोटी बहन पिंकी घर में थे। पिता भोपाल से बाहर अपनी छोटी बहन की सगाई करने गए थे। तभी दो और तीन दिसंबर की रात १९८४ को मृत्यु की रात बन कर आई। निर्मला की मकान मालिक ने दरवाजा खटखटाया बोली धुआं-धुआं फैला है और आंखों में जलन हो रही है। जैसे ही दरवाजा खोला तो बाहर भीड़ दौड़े जा रही जान बचाने। निर्मला का भाई भी मोहल्ले वालों के साथ जान बचाने कहां गया पता ही नहीं। निर्मला की मां बहन छोटी अपनी सहेली के घर पहुंचे सहेली से बोली- "चलो हम भी कहीं चलते हैं।" सहेली के पति भी बाहर गए हुए थे। उनके तीन बच्चे थे। वह बोली- "हम कहीं नहीं जाते"। हम तो यही घर में रहते हैं। जिसको भी उल्टी आ रही है। उल्टी घर में ही कर लो, लेकिन घर में ही रहेंगे, तो कम से कम घर वालों को अपनी लाश मरने के ब...
गोवर्धन
कविता

गोवर्धन

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** आज आया गोवर्धन पर्व। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष एकम तिथि। हम सबके उर आनंद उपजाया। संग अपने हर्ष अपार लाया। चहुंओर उल्लास छाया। हे!कृष्ण मुरारी तुम हो। गोकुल, मथुरा, ब्रज जन उद्धारी। तुमरो जो सुमिरन करे। वाके संकट इक क्षण में दूर करें। हे! कृष्ण मुरारी गोपाल गिरधारी। तुम्ही इंद्रदेव पूजन। जन-जन तै तजवाई। गोवर्धन पूजन शुभारंभ करवाई। इंद्रदेव अहंकार तजवाई। हे! कृष्ण मुरारी, कान्हा। एक कनिष्ठ उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा इंद्र की अतिवृष्टि से। लोगों को बचाय कै। तुम गोवर्धनधारी कहलाए। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्...
भोर
कविता

भोर

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** अहा! देखो खिड़की से बाहर। कितना सुंदर दृश्य गगन पूर्व दिशा। उदित सूरज अपनी लालिमा युक्त। किरणें फैला भोर होने का संदेशा लेकर आया। रवि निशा की विदाई करे। अरु उषा अभिनंदन करें। सारे संसार में अंतरिक्ष स्थित हो। धरा पर उजियाला फैलाने रवि आया। दिनकर ने हम सबको निंद्रा से जगाया। हम सबको जागृत कर। जीवन चक्रानुसार कर्म पथ पर। कर्म करने हम सबके उर उमंग। ऊर्जा भर जीवन पथ पर अग्रसर करने आया। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्...
करवा चौथ
कविता

करवा चौथ

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** आई-आई करवा चौथ आई। संग चौथ माता आशीष देने आई। मैं तो चौथ माता से वरदान मांगू। अखंड सौभाग्य का। मैं तो चौथ माता की पूजन अर्चन करूं। मस्तक झुका अपना सर्वस्व अर्पण करूं। अपनी झोली वरदानो से भर पूर्ण करूं। मैं तो चौथ माता से वरदान मांगू। अखंड सौभाग्य का। मैं तो करवा चौथ पर सोलह सिंगार कर। सर्वस्व समर्पण कर सच्चे हृदय से वंदन करूं। चौथ माता को रिझाऊं अरू प्रसन्न। करने का प्रयत्न सर्वस्व करूं। मैं तो पति के दीर्घायु होने के लिए। निर्जला व्रत रखूं। रात्रि चंद्रोदय होने पर चंद्र को अधर्य दूं। पति को रोली, चंदन, अक्षत, टीका लगा वंदन करूं। पति से आशीष पाऊं। अरू पति नाम का टीका, सिंदूर, महावर, मेहंदी, बिंदी लगाऊं। पायल, बिछिया, चूड़ियां पति। नाम की पहनूं। सदा पहनने का आश...
दो अक्टूबर दो पुष्प
कविता

दो अक्टूबर दो पुष्प

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** भारत-भू पर दो अक्टूबर। दो पुष्प अवतरित हो। भारत उपवन में खिले। पहले लाल बहादुर शास्त्री। दूजे महात्मा गांधी। दोनों पावन आत्माएं। भारत-भू पर श्रेष्ठ कर्म। करने आई, दोनों महान। विभूतियां दोनों का व्यक्तित्व। अद्भुत गुणों की खान। लाल बहादुर शास्त्री। विनम्र स्वभाव धनी। गुदड़ी के लाल। जय जवान जय किसान। नारा लगा दोनों का सम्मान। सदा किया। गांधीजी चले सत्य। अहिंसा मार्ग बापू कहलाए। करो या मरो नारा अपना। मौन रह सत्याग्रह कर। भारत स्वतंत्र करावाएं। अंग्रेजों की गुलामी से। अंग्रेजों को भारत से बाहर। खदेड़ भारत बापू बन गए। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भ...
बिटिया
कविता

बिटिया

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** बिटिया तू है, अपने। परिवार की राजकुमारी। तू परिवार की राजदुलारी। तू आज बगिया की सुंदर। कली सम कल तू तरूणी। आज तू कली सम देवकन्या। रूप धर धरा पर आई। तू है परमपिता परमात्मा। प्रदत्त अद्भुत रचना। बिटिया तेरे रूप अनेक। बिटिया इस धरा पर जब भी। कोई तुझे कुत्सित भाव। संवाद करें या कुदृष्टि डाले। तो तू ऐसे दुष्कर्म करने वाले। दुष्टो का संहार करने के लिए। तत्काल तू काली अरू रक्तदंतिका बन जाना। बिटिया तू ईश्वर की रचना हैं । तू कोमलांगी हैं परंतु जब। विषम परिस्थिति में लज्जा। संकट में हो तब दुष्टों का सर्वनाश कर देना। कुकर्म करने वाले दुष्टों को। निसंकोच अस्त्र-शस्त्र से काट। देना तनिक संकोच मत करना। तू आज की अबला नारी नहीं। आज की सबला नारी है। बिटिया तू ही दुर्गा, तू ही काली...
रामधारीसिंह दिनकर
कविता

रामधारीसिंह दिनकर

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** दिनकर कवि बङे निराले। बिहार भू जन्मे। मानो गगन मध्य दिनकर। उदित धरा पर अपनी अरुणिमा। फैला ऊषा का अभिनन्दन करें। जाके तात रवि अरू माता। मनरूप, दिनकर अल्पायु में ही पितु। छत्रछाया से हुए विलग। वेदना की बदली छाई। स्नातक पश्चात शिक्षा हुई। अवरूद्ध। हुए आरुढ़ विविध पदों पर। प्रधानाचार्य पद पाया। हिंदी विभाग के उपकुलपति। संसद के राज्यसभा सदन सदस्य भी भए। दिनकर की कलम कमाल। दिन प्रतिदिन दिखाती चली। हिंदी सलाहकार बने। असंख्य अनमोल रचनाएँ। रच-रच दिनकर कलम ने। रचनाओं के खजाने बनाएँ । जिनमें मुख्य रचना रेणुका। हुँकार, कुरुक्षेत्र महाकाव्य। नाम अपार छाया। भारत सरकार से पद्मभूषण पदवी, ज्ञानपीठ पुरस्कार पाया। दिनकर उर अपार हर्ष छाया। दिनकर कवि की कविताएं। बङी निराली आज भी सबके।...
शिक्षक की महिमा
कविता

शिक्षक की महिमा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** जो शिक्षा दे, शिक्षक कहलाता। शिक्षा की महिमा अपरंपार। शिक्षक की गरिमा गाथा। अति निराली इतिहास में प्रमाण। शिक्षक वर्णों का ज्ञान प्रारंभ कर। छात्रों को व्यापक ज्ञान की ओर। ले जाता। एक प्रेरणा स्त्रोत बन। प्रगति मार्ग पर प्रशस्त कर। छात्र को कुम्हार सम गढ। उसे लक्ष्य तक पहुंचाता। शिक्षक अमूल्य ज्ञान प्रदाता। रत्न है, जो अज्ञान चक्षु खोल। ज्ञान का दिव्य प्रकाश देता। शिक्षक नैतिकता निधि नित। प्रदान कर छात्रों को महापुरुष। महावीर श्रेष्ठ गुण युक्त नागरिक। निर्माण कर भारत राष्ट्र को। सौंपता शिक्षक पुरातन। काल से ही उत्तम चरित्रवान। छात्र प्रदान कर पर्वत सम। बाधाओं से सामना करना। सिखलाता, रामायण काल में। राम और महाभारत काल में। कौरव पांडव को विद्या। प्रदान करने में वाल्मीकि, द...
कान्हा
कविता

कान्हा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** मास भाद्रपद कृष्ण पक्ष। अष्टमी तिथि आई संग कान्हा जन्म दिवस की उमंग। उत्साह लाई, देवकी सुत जायो। कन्हैया के तात वसुदेव कहाए। आयो आयो आज कृष्ण। जन्म दिवस आयौ भारत-भू पर चहुँओर सबहि उर अपार हर्ष। उमंग छायौ सबहि शुभ मंगल। गीत गायौ अरू अनंत आनंद। पायौ, कृष्ण लीला अति न्यारी। जन्म कारागार घोर अंधेरी। निशा भयो, जन्म होते ही बंदी। गृह सबहि द्वारपाल अति गहन। निंद्रा सोवत कारागृह द्वार। सबहि लगे ताले स्वतः टूटे। कंस के अत्याचार से बचाने देवकी वसुदेव स्व संतान। जीवन बचाने चले नंद गाँव। कान्हा को डलिया में रखकर। उफनती यमुना नदी पार कर। पहुंचे नंद गांव माता यशोदा। निकट कान्हा सुलाए अरू। यशोदा की कन्या अपने संग। कारागृह ले आए कान्हा ने। अपने जन्म की ऐसी निराली। रचना रची,सकल भारतवा...
मेरा प्यारा तिरंगा
कविता

मेरा प्यारा तिरंगा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** मेरा प्यारा तिरंगा सबसे न्यारा तिरंगा अब पिचहतरवाँ। स्वतंत्रता दिवस अमृतमहोत्सव मनाऊंगा। सकल भारत घर-घर तिरंगा। फहराऊँगा अमृतमहोत्सव...मनाऊंगा। आज का संपूर्ण भारत तिरंगा मय हो तीन रंगों से सजा घर-घर तिरंगा लहरा रहा, मैं भी जय हिंद, जय हिंद बोलूंगा। अपने घर को तिरंगे से सजाऊंगा पूरा भारत तिरंगे से सजा हुआ पाऊंगा। तिरंगायुक्त भारत बन अमृत महोत्सव मना। स्वतंत्रता दिलाने वाले वीर बलिदानियों को स्मृत कर भारत मां के प्रति सम्मान गर्व संग कर रहा। सभी भारतवासी भारत मां का सम्मान गर्व संग करेंगे। मैं तो भारत मां की जय बोलूंगा...वंदे मातरम बोलूंगा। सकल भारतवासी वंदे मातरम भारत माता की जय बोलेगा। जय हिंद, जय हिंद बोल संपूर्ण भारत तिरंगा लहराएगा अरु स्वतंत्रता दिवस पर गर्...
स्नेह बंधन
कविता

स्नेह बंधन

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** आज रक्षाबंधन पर्व आया। चहुँओर अपार छाया। भाई बहनों उर उमंग लाया। संपूर्ण भारत रक्षा बंधन पर्व मनाया। रक्षाबंधन पर्व कोई बंधन नहीं। भाई बहन स्नेह पर्व है, एक छोटा सा रेशम धागा बांध। बहन-भाई प्रति प्रेम कर बांधती। भाई कलाई पर राखी बँधवा। रक्षासूत्र भाई कलाई पर बाँधते ही। भाई अभिभूत हो अनुभूत करता। बहन रक्षा हर पल करना। बहन अपने सर भाई स्नेह सदा। पाने की आस कर रक्षाबंधन पर्व पर। राखी भाई कलाई बांधने का हर संभव। प्रयत्न कर आगे बढ़ती निरंतर। भाई-बहन एक-दूजे प्रति अथाह स्नेह सिंधु हिलौरे उर उपजाता। बहन और भाई एक-दूजे मुख। हर्षित उमंग संग एक-दूजे के अधरों। पर मुस्कान लाता। भाई-बहन के अंतस में प्रेम का। झरना बहता जाता। यही है रक्षाबंधन का पर्व। स्नेह-बंधन से भर जाता। जन्म सं...
भारत की सेना
कविता

भारत की सेना

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** भारत की सेना अमूल्य। धरोहर है, हमारी। एक-एक सैनिक भारत मां के भाल के मुकुट का सुंदर जड़ित हीरा है। भारत की सेना अमूल्य धरोहर है, हमारी। सेना का एक-एक सैनिक जोश, शौर्य, पराक्रम और वीरता की गाथा होता स्वयं मे। भारत की सेना अमूल्य। धरोहर है, हमारी भारत माँ का एक-एक सैनिक भारत मां के हृदय की धड़कन है, उसकी हर शवास-प्रशवास होती भारत के लिए। भारत की सेना अमूल्य धरोहर है, हमारी। भारत के सैनिकों के रक्त की एक-एक। बूँद भारत मां की रक्षा हेतु। बहती है। भारत की सेना अमूल्य। धरोहर हैं, हमारी दुश्मन देशो पर टूट पड़ती है कहर बन। भारत की सेनाअमूल्य धरोहर है हमारी। चीन की लद्दाख में सैन्य। झड़प में भारत के बीस सैनिकों ने भारत मां की रक्षा हेतु अपने प्राणों का बलिदान दिया। भारत की सेना ...
सावन सोमवार
भजन

सावन सोमवार

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** सावन सोमवार आया। संग शिव भोला धरा पर आया। सकल भूवासी मन हर्ष छाया। सारी धरा भक्ति भाव भाया। सभी भक्त प्रति सोमवार। भांग, धतूरा, आंकड़ा, बेलपत्र, शमीपत्र अरू पुष्प, चंदन, अक्षत चढावै भोले को प्रसन्न। कर मनोवांछित फल पावै। सबहि भारत भूवासी उमंग। संग स्व उर भक्ति भाव भरि। ऐसे भक्ति करे मानो सबहि। भक्त सुधबुध खो शिव भक्ति। समा शिवमय हो गए, ऐसो लगे। ज्यों परमपिता परमात्मा अरू। प्रति आत्मा मिलन हो एक ज्योतिरबिन्दु प्रकाशपुंज आभा समस्त भू लोक पर आलौकिक प्रकाश किरणें व्याप्त करी। जगमग कर दिव्य प्रकाशमय। धरा करि शिव भोले। आशीर्वाद देने धरा पर। अवतरित हुए। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह...