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Tag: प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे

क़ीमत यहाँ इंसान की
गीत

क़ीमत यहाँ इंसान की

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** गिर रही है रोज़ ही, क़ीमत यहाँ इंसान की बढ़ रही है रोज़ ही, आफ़त यहाँ इंसान की न सत्य है, न नीति है, बस झूठ का बाज़ार है न रीति है, न प्रीति है, बस मौत का व्यापार है श्मशान में भी लूट है, दुर्गति यहाँ इंसान की। गिर रही है रोज़ ही, क़ीमत यहाँ इंसान की।। बिक रहीं नकली दवाएँ, ऑक्सीजन रो रही इंसानियत कलपे यहाँ, करुणा मनुज की सो रही ज़िन्दगी दुख-दर्द में, शामत यहाँ इंसान की। गिर रही है रोज़ ही, क़ीमत यहाँ इंसान की।। लाश के ठेके यहाँ हैं, मँहगा है अब तो कफ़न चार काँधे भी नहीं हैं, रिश्ते-नाते हैं दफ़न साँस है व्यापार में पीड़ित यहाँ इंसान की। गिर रही है रोज़ ही, क़ीमत यहाँ इंसान की।। एक इंसाँ दूसरे का, चूसता अब ख़ून है भावनाएँ बिक रही हैं, हर तरफ तो सून है बच सकेगी कैसे अब, इज्जत यहाँ इ...
महारानी लक्ष्मीबाई
दोहा

महारानी लक्ष्मीबाई

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** लक्ष्मीबाई नाम था, वीरों की थी वीर। राज्यहरण उसका हुआ, तो चमकी शमशीर।। ब्रिटिश हुक़ूमत से भिड़ी, रक्षित करने राज। नमन आज तो कर रहा, देखो सकल समाज।। शौर्यवान रानी प्रखर, जिसका मनु था नाम। उसके कारण ही बना, झाँसी पावनधाम।। स्वाभिमान को धारकर, छेड़ दिया संग्राम। झाँसी दे सकती नहीं, हो कुछ भी अंज़ाम।। रानी-साहस देखकर, घबराये अंग्रेज़। यहाँ-वहाँ भागे सभी, लखकर रानी तेज।। घोड़े पर चढ़ भिड़ गई, चली प्रखर तलवार। दुश्मन मारे अनगिनत, किए वार पर वार।। पर दुश्मन बहुसंख्य था, कैसे पाती पार। गति वीरों वाली हुई, करो सभी जयकार।। मर्दानी थी लौहसम, अमर हुआ इतिहास। लक्ष्मीबाई को मिली, जगह दिलों में ख़ास।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : २५-०९-१९६१ निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश) शिक्षा : एम.ए (इतिहास...
घाव बहुत गहरे हैं
कविता

घाव बहुत गहरे हैं

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** रोदन करती आज दिशाएं, मौसम पर पहरे हैं। अपनों ने जो सौंपे हैं वो, घाव बहुत गहरे हैं।। बढ़ता जाता दर्द नित्य ही, संतापों का मेला। कहने को है भीड़,हक़ीक़त, में हर एक अकेला।। रौनक तो अब शेष रही ना, बादल भी ठहरे हैं। अपनों ने जो सौंपे वो, घाव बहुत गहरे हैं।। मायूसी है,बढ़ी हताशा, शुष्क हुआ हर मुखड़ा। जिसका भी खींचा नक़ाब, वह क्रोधित होकर उखड़ा।। ग़म,पीड़ा औ' व्यथा-वेदना के ध्वज नित फहरे हैं। अपनों ने जो सौंपे हैं वो घाव बहुत गहरे हैं।। व्यवस्थाओं ने हमको लूटा, कौन सुने फरियादें। रोज़ाना हो रही खोखली, ईमां की बुनियादें।। कौन सुनेगा,किसे सुनाएं, यहां सभी बहरे हैं। अपनों ने जो सौंपे है वो घाव बहुत गहरे हैं।। बदल रहीं नित परिभाषाएँ, सबका नव चिंतन है। हर इक की है पृथक मान्यता, पोषित हुआ...
मर्यादा की महत्ता
दोहा

मर्यादा की महत्ता

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** मर्यादा से मान है, मिलता है उत्थान। मिले सफलता हर कदम, हों पूरे अरमान।। मर्यादा से शान है, रहे सुरक्षित आन। मर्यादा को जो रखें, वे बनते बलवान।। मर्यादा से गति मिले, फैले नित उजियार। मर्यादा रहती सदा, बनकर जीवनसार।। मर्यादा है चेतना, जाग्रत करे विवेक। मर्यादा से पल्लवित, सदा इरादे नेक।। मर्यादा को साधता, वह हो जाता ख़ास। कभी न उसकी टूटती, पलने वाली आस।। मर्यादा में रीति है, जिससे निभती लाज। कर सकते इससे सदा, सबके दिल पर राज।। मर्यादा में देव हैं, बसे हुए भगवान। मर्यादा का विश्व में, होता है यशगान।। मर्यादा संस्कार है, अनुशासन का रूप। जिससे मिलती ताज़गी, और सुहानी धूप।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : २५-०९-१९६१ निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश) शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल्डर), ए...
छठ मैया
मुक्तक

छठ मैया

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** ( मुक्तक ) छठ पूजा के पल पुष्पित हैं, रवि को नमन् करें। हर विकार जो अंतर में है, उसका दहन करें। मैया छठ की करुणा लेकर, निज जीवन महकाएँ, दुख,पीड़ा और शोक हरण कर, ग़म का शमन करें।। फूल और फल, सजा मिठाई, मंगल गान करें। रीति, नीति, अच्छाई लेकर, सबका मान करें। हर्ष मिलेगा, प्रमुदित हो मन, छठ माता की महिमा, नदिया के तट पर जाकर हम, प्रभु का ध्यान करें।। सच्ची श्रद्धा, भक्ति सजा लें, पायें फल चोखा। रहे निष्कलुष सबका जीवन, किंचित नहिं धोखा। रहे समर्पण छठ मैया प्रति, तो आनंदित पल, सुखमय जीवन होवे, नहीं कोय रोका।। सूरज की पूजा होती है, अर्घ्य दे रहे लोग। पूजन के कारण ही देखो, परे हटें सब रोग। आओ! पूजन सभी सँभालें, लेकर शुभ-मंगल, छठ मैया का हो जयकारा, और लगाएँ भोग।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : २५...
सत्य की राह
दोहा

सत्य की राह

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** सत्य साधकर गति करो, तब ही बनो महान। केवल सच से ही बने, इंसाँ नित बलवान।। सत्य चेतना को रखे, जिसमें रहे विवेक। रीति-नीति को साध ले, रखकर इच्छा नेक।। सत्य बड़ा गुण जान ले, इसका हो विस्तार। जीवन में खिलते सुमन, बनकर के उपहार।। सत्य सदा ही जीतता, गाता मंगल गीत। इसको हम अब लें बना, अपने मन का गीत।। सत्य सदा हित साधता, लाता है उत्थान। जो चलता सद राह पर, सदा पूर्ण अरमान।। सत्य धर्म का रूप है, जिसमें हैं भगवान। सच के पथ पर जो चले, उसका हो यशगान।। सत्य दमकता सूर्य-सा, देता जो आलोक। जिससे होता दूर नित, जीवन का हर शोक।। सत्य सुहाता है जिसे, उसकी हो जयकार। कभी सत्य हारे नहीं, होकर के लाचार।। सत्य एक है साधना, साधक हरदम वीर। वक़्त संग परिणाम है, देखो बनकर धीर।। सत्य सनातन मान्यता, सत्य बड़ा इक युद्...
प्रकाशोत्सव की कुंडलिया
कुण्डलियाँ

प्रकाशोत्सव की कुंडलिया

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** दीवाली का आगमन, छाया है उल्लास। सकल निराशा दूर अब, पले नया विश्वास।। पले नया विश्वास, उजाला मंगल गाता। दीपक बनकर दिव्य, आज तो है मुस्काता।। नया हुआ परिवेश, दमकती रजनी काली। करें धर्म का गान, विहँसती है दीवाली।। अँधियारे की हार है, जीवन अब खुशहाल। उजियारे ने कर दिया, सबको आज निहाल।। सबको आज निहाल, ज़िन्दगी में नव लय है। सब कुछ हुआ नवीन, नहीं थोड़ा भी क्षय है।। जो करते संघर्ष, नहीं वे किंचित हारे। आलोकित घर-द्वार, बिलखते हैं अँधियारे।। दीवाली का पर्व है, चलते ख़ूब अनार। खुशियों से परिपूर्ण है, देखो अब संसार।। देखो अब संसार, महकता है हर कोना। अधरों पर अब हास, नहीं है बाक़ी सोना।। दिन हो गये हसीन, रात लगती मतवाली। बेहद शुभ, गतिशील, आज तो है दीवाली।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : २५-०९-१९६१ ...
प्रकृति का मौन संदेश
दोहा

प्रकृति का मौन संदेश

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** बहुत हुई इस बार तो, मानसून की मार। इंसानों की बस्तियाँ, गईं आज हैं हार।। दिया प्रकृति ने देश को, चोखा इक संदेश। छेड़-छाड़ हो प्रकृति से, तो भोगो आवेश।। बिगड़े किंचित संतुलन, तो होगा आघात। मौन संदेशा प्रकृति का, सौंप रहा जज़्बात।। मानसून की मार का, रहा न कोई छोर। घबराये इंसान सब, पीड़ित हैं घनघोर।। मानसून की मार से, देखो हाहाकार। मेघों ने बेहद किया, हम पर अत्याचार।। मानसून की मार का, व्यापक है आवेग। क्रोधित होकर काल ने, मारी तीखी तेग।। कौन करेगा आज तो, हम सब पर उपकार। मानसून की मार ने, किया हमें लाचार।। हे!ईश्वर तुम रुष्ट हो, हम सबका अपराध। मौन आपकी बात को, किंचित सके न साध।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : २५-०९-१९६१ निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश) शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल...
तर्पण की हकीकत
कविता

तर्पण की हकीकत

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** मात-पिता प्यासे मरे, अब कर रहे हैं तर्पण। यह तो ढोंग ही दिखता है, दिखावा है अर्पण।। जब जीवित थे मात-पिता तब ही सब ज़रूरत थी। आज तो यह सारी दिखावे से भरी हुई वसीयत है।। जीवित की सेवा का ही तो होता सच्चा मोल है। बाद में दिखती कर्मों में लम्बी, गहरी पोल है।। अब मात-पिता जल कैसे पी सकेंगे, सोचो। अब मात-पिता कैसे भोजन कर सकेंगे, बाल नोचो।। अब तो श्राद्ध करना पूरी तरह से मिथ्या, बेमानी है। यह तो पाखंड भरी हुई एक निरर्थक कहानी है।। सेवा, सु‌श्रूषा जीवित अवस्था की ही बस सच्ची है। नहीं तो सब कुछ बेकार, झूठी और कच्ची है।। जीवन में तो मात-पिता होते हैं देव समान। इसलिए उनके जीवित रहते में ही करो उनकी सेवा-सम्मान।। मात-पिता प्यासे मरे, अब कर रहे तर्पण। ज़रा देखो संतानो तुम आज तो सच का दर्पण।। परिचय :- प्...
पितृ नमः
गीत

पितृ नमः

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** आशीषें देने धरती पर, पितर पहुँच ही जाते। श्राद्ध पक्ष में पिंडदान से, पितर तृप्त हो जाते। पितर देव रूपों में होते, सदा भला ही करते। आशीषों से सदा हमारा, पल में घर वो भरते।। साथ सदा ही देखो अपने, शुभ-मंगल ले आते। श्राद्ध पक्ष में पिंडदान से, पितर तृप्त हो जाते।। क्वार मास का पखवाड़ा तो, पितरों को है लाता। श्रद्धा और नेह के सँग में, पितरों से मिलवाता।। पितर हमारे कोमल दिल के, बस मंगल बरसाते। श्राद्ध पक्ष में पिंडदान से, पितर तृप्त हो जाते।। रीति-नीति कहती है हमसे, हम चोखे हो जाएँ। भाव सँजो लें उर में अपने, श्रद्धा के गुण गाएँ।। जीवन का हर क्षण महकेगा, शुभ के पल हैं आते। श्राद्ध पक्ष में पिंडदान से, पितर तृप्त हो जाते।। तर्पण-अर्पण,पूजा-वंदन, अभिनंदन की बेला। देवलोक के पितर धरा पर, आकर भरते मेला।। ख़...
हिन्दी मस्तक की बिंदी
गीत

हिन्दी मस्तक की बिंदी

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** हिन्दी हितकर है सदा, हिन्दी तो अभियान है। हिन्दी है मस्तक की बिंदी, हिंदी तो सम्मान है।। हिन्दी में तो आन है, हिन्दी में तो शान है। हिन्दी नित उत्कृष्ट है, हिन्दी सदा महान है।। हिन्दी अपनायें सभी, यही आज अरमान है। कला और साहित्य है, भरा हुआ यशगान है।। हिन्दी गीत, कुंडलिया, कविता, चौपाई की शान है। हिन्दी है मस्तक की बिंदी, हिंदी तो सम्मान है।। हिन्दी में है उच्चता, मनुज सभी इसको मानें। हिन्दी का उत्थान सदा हो, हिन्दी को सब ही जानें।। हिन्दी पर अभिमान हमें हो, हिन्दी अपनायें सब। हिंदी से हम प्रीति लगा लें, मंगलगीत सुनायें सब।। वह हर हिंदी के पथ में जो सचमुच चतुर सुजान है। हिन्दी है मस्तक की बिंदी, हिंदी तो सम्मान है।। हिन्दी में सामर्थ्य भरा है, हिन्दी में है वेग भरा। हिन्दी में ...
तर्पण की हकीकत
कविता

तर्पण की हकीकत

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** मात-पिता प्यासे मरे, अब कर रहे हैं तर्पण। यह तो ढोंग ही दिखता है, दिखावा है अर्पण।। जब जीवित थे मात-पिता तब ही सब ज़रूरत थी। आज तो यह सारी दिखावे से भरी हुई वसीयत है।। जीवित की सेवा का ही तो होता सच्चा मोल है। बाद में दिखती कर्मों में लम्बी, गहरी पोल है।। अब मात-पिता जल कैसे पी सकेंगे, सोचो। अब मात-पिता कैसे भोजन कर सकेंगे, बाल नोचो।। अब तो श्राद्ध करना पूरी तरह से मिथ्या, बेमानी है। यह तो पाखंड भरी हुई एक निरर्थक कहानी है।। सेवा,सु‌श्रूषा जीवित अवस्था की ही बस सच्ची है। नहीं तो सब कुछ बेकार, झूठी और कच्ची है।। जीवन में तो मात-पिता होते हैं देव समान। इसलिए उनके जीवित रहते में ही करो उनकी सेवा-सम्मान।। मात-पिता प्यासे मरे, अब कर रहे तर्पण। ज़रा देखो संतानो तुम आज तो सच का दर्पण।। परिचय :- प्र...
गुरु तुम दिव्य
कविता

गुरु तुम दिव्य

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** शिक्षक तुम तो हो गुरू, तुम से ही उत्थान। गुरु बन तुम ने ही रचा, जीवन का सम्मान।। शिक्षक से आलोक है, शिक्षक से संसार। शिक्षक से ही शिष्य को, मिलता है उपहार।। तुमने दिया विवेक तो, हुआ सत्य का भान। तुमसे ही है दिव्यता, गुरुवर ऐ भगवान।। खिलता है जीवन तभी, जब गुरुवर हैं संग। कर देते जो ज़िन्दगी, सचमुच में नवरंग।। यदि गुरुवर हैं संग तो, मैं नित ही बलवान। उनसे ही तो बल मिले, हो जीना आसान।। बिना ज्ञान नहिं चेतना, जीवन जाता हार। गुरु हैं जहाँ, रहे वहाँ, नित चोखा उजियार।। गुरु देते संस्कार नित, कर देते निर्माण। नहीं कभी लगते यहाँ, मानव को तब बाण।। हर दुर्गुण को दूर करे, लाते मंगलगान। गुुरु से ही जीवन हँसे, रह पाती है आन।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : २५-०९-१९६१ निवासी : मंडला, (मध्य प्रद...
गणेश-वंदना
स्तुति

गणेश-वंदना

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** हे! विघ्नविनाशक, बुद्धिप्रदायक, नीति-ज्ञान बरसाओ। गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ।। कदम-कदम पर अनाचार है, झूठों की है महफिल। आज चरम पर पापकर्म है, बढ़े निराशा प्रतिफल।। एकदंत हे ! कपिल-गजानन, अग्नि-ज्वाल बरसाओ। गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ।। मोह, लोभ में मानव भटका, भ्रम के गड्ढे गहरे। लोभी, कपटी, दम्भी हंसते हैं विवेक पर पहरे।। रिद्धि-सिद्दि तुम संग में लेकर, नवल सृजन सरसाओ। गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ।। जीवन तो अब बोझ हो गया, तुम वरदान बनाओ। नारी की होती उपेक्षा, आकर मान बढ़ाओ।। मंगलदायी, हे ! शुभकारी, अमिय आज बरसाओ। गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ।। भटक रहा मानव राहों में, गहन तिमिर का आलम। आया है पतझड़ जोरों पर, पीड़ा का है मौसम।। प्रथम पूज...
भाई-बहन का प्यार
दोहा

भाई-बहन का प्यार

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** राखी की फैली महक, बँध जाने के बाद। रक्षा की थी बात जो, फिर से वह आबाद।। नेहभाव पुलकित हुए, पुष्पित है अनुराग। टीका, रोली, आरती, सचमुच में बेदाग।। मीलों चलकर आ गया, इक पल में तो पर्व। संस्कार मुस्का रहे, मूल्य कर रहे गर्व।। अनुबंधों में हैं बँधे, रिश्तों के आयाम। मानो तो बस हैं यहीं, पूरे चारों धाम।। सावन तो रिमझिम झरे, बाँट रहा अहसास। बहना आ पाई नहीं, भैया हुआ उदास।। एक लिफाफा बन गया, आज हर्ष-उल्लास। आएगा कब डाकिया, टूट रही है आस।। भागदौड़ बस है बची, केवल सुबहोशाम। धागे ने सबको दिया, नवल एक पैग़ाम।। खुशियों के पर्चे बँटे, ले धागों का नाम। बचपन है अब तो युवा, यादें करें सलाम।। दीप जला अपनत्व का, सम्बंधों के नेग। भावों का अर्पण "शरद", आशीषों का वेग।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म...
श्रीकृष्णावतार
दोहा

श्रीकृष्णावतार

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** कृष्ण जन्मदिन मांगलिक, एक सुखद उपहार। बिखरा सारे विश्व में, गहन सत्य का सार।। कृष्ण जन्म दिन दे खुशी, सौंपे हमको धर्म। देवपुरुष सिखला गए, करना सबको कर्म।। कृष्ण जन्मदिन रच रहा, गोकुल में उल्लास। जिसने सबको सीख दी, रखना हर पल आस।। कृष्ण जन्मदिन सत्य का, बना एक उद्घोष। कंस हनन कर हर लिया, कान्हा ने सब दोष।। कृष्ण जन्मदिन कह रहा, चलो सत्य की राह। नहीं धर्मच्युत हो कभी, तभी बनोगे शाह।। कृष्ण जन्मदिन मति रचे, देता व्यापक न्याय। है दुष्टों पर वार जो, रचे नवल अध्याय।। कृष्ण जन्मदिन पूज्य है, वंदन का है पाठ। बालरूप में चेतना, निश्छल मन का ठाठ।। कृष्ण जन्मदिन रच रहा, राधाजी से नेह। अंतर का आवेग बस, दूर सदा ही देह।। कृष्ण जन्मदिन सदफलित, गीता का नव सार। उजियारे की वंदना, अँधियारे की हार।। कृष्ण ...
भारत माता का वंदन
गीत

भारत माता का वंदन

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** अंधकार में हम साहस के, दीप जलाते हैं। आज़ादी के मधुर तराने, नित हम गाते हैं।। चंद्रगुप्त की धरती है यह, वीर शिवा की आन है। राणाओं की शौर्य धरा यह, पोरस का सम्मान है।। वतनपरस्ती तो गहना है, हृदय सजाते हैं। आज़ादी के मधुर तराने, नित हम गाते हैं।। अपना सब कुछ दाँव लगाकर, जिनने वतन बनाया। अपने हाथों से अपना ही, जिनने कफ़न सजाया।। भारत माता की महिमा की, बात सुनाते हैं। आज़ादी के मधुर तराने, नित हम गाते हैं।। आगे बढकर, निर्भय होकर, जिनने फर्ज़ निभाया। वतनपरस्ती का तो जज़्बा, जिनने भीतर पाया।। हँस-हँसकर जो फाँसी झूले, वे नित भाते हैं। आज़ादी के मधुर तराने, नित हम गाते हैं।। सिसक रही थी माता जिस क्षण, तब जो आगे आए। राजगुरू, सुखदेव, भगतसिंह, बिस्मिल जो कहलाए।। ब्रिटिश हुक़ूमत से टकराकर, प्राण गँवाते हैं। ...
रोटी की महिमा
कविता

रोटी की महिमा

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** भूख से बड़ी वेदना नहीं है यह तो समझो। मिल जाए रोटी यही कामना, यह तो समझो।। भूख तो मानव जीवन का ही है हिस्सा। पेट को भरने का ही तो है देखो सब किस्सा।। पेट भरा हो तो दुनिया लगती अति प्यारी है। भूख के आगे यह सारी दुनिया ही हारी है।। भूख ही तो दुनिया से देखो सारे पाप कराती है। भूख ही तो नित सारे यह संताप बढ़ाती है।। कहते हैं कि कभी भूखे भजन न होय गोपाला। सही बात है रोटी का ही तो सब गड़बड़झाला।। रोटी के आगे तो देखो सब कुछ ही बोना है। रोटी से ही उजला लगता घर का हर कोना है।। रोटी मिलना बहुत देखो भाई बड़ा वरदान है। मिलती रहे सबको रोटी यही आज अरमान है।। भूख से बड़ी वेदना नहीं है, यह तो समझो। रोटी देने से बड़ी संवेदना नहीं है, यह तो समझो।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : २५-०९-१९६१ निवासी :...
नागपंचमी
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नागपंचमी

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** नागपंचमी पर्व का, सुंदर बहुत विधान। संस्कारों की देह में, नैतिकता के प्रान।। नाग पूजकर पुण्य ले, खुश होते हैं ईश। मिले प्रकृति का साथ नित, मिलता है आशीष।। नाग जीव सादा-सरल, जीने का अधिकार। जब तक छेड़ो मत उसे, देता नहिं फुंफकार।। दूध पिला पूजन करो, वंदित हो अब नाग। सब जीवों से हम रखें, नित चोखा अनुराग।। पान-बेल का मान कर, चौरसिया दिन ख़ास। गहो पान उपयोगिता, ले चोखे अहसास।। बीन बजे मौसम बने, खुश होता परिवेश। नाग-कृपा से नित रहे, परे सतत् ग़म, क्लेश।। हलुआ-पूरी कर ग्रहण, गाओ मंगल गीत। नागपंचमी आपको, देती है नित जीत।। हिन्दू का तो पर्व यह, रखता बहुत विवेक। पूजन को अब साधकर, बने मनुज तुम नेक।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : २५-०९-१९६१ निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश) शिक्षा : एम.ए (इतिह...
एक  चिंतन
कविता

एक चिंतन

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** कर्म बड़ा या जाति प्रश्न‌ यह तो चोखा है। कर्म बड़ा होता मानो, नहीं कोई धोखा है।। कर्म से जीवन बनता, यह ही सब मानो। कर्म की गति-मति को, सब ही पहचानो।। ऊँचनीच में रखा नहीं कुछ, सब बेमानी। समता को धारण करने की क्यों न है ठानी।। आज नया चिंतन, नव जीवन लाना होगा। जुड़ गया जो गुलशन फिर महकाना होगा।। ईश्वर की सब रचनाएँ सब हैं अति सुंदर। आज बना पावनता से घर को मंदिर।। कर्म सदा शोभित होता है विजय उसी की। जिसने नैतिकता नहीं मानी,है क्षय उसकी।। सोच सही होगा तब ही जीवन महकेगा। होगा सब का भला और जीवन चहकेगा।। सभी आदमी सदा बराबर, यह ही साँचा। यह कहते वे, जिन ने गीता ग्रंथ को बाँचा।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : २५-०९-१९६१ निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश) शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल्डर), ए...
दुर्योधन का हास
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दुर्योधन का हास

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** हुआ महाभारत तभी, वजह बहुत थी खास। द्रुपदसुता ने था किया, दुर्योधन का हास।। कभी न करना और का, तुम किंचित उपहास। वजह बनेगी हो कलह, टूटेगा विश्वास।। दुर्योधन का अति कपट, झगड़ा लाया ख़ूब। वजह यही थी युद्ध की, सूखी नेहिल दूब।। पाप वजह बनता सदा, रच देता संताप। अन्यायी आवेग को, कौन सकेगा माप।। रीति, नीति से गति मिले, बनते ये शुभ नेग। झूठ बने नित ही वजह, चले युद्ध की तेग।। किया शकुनि ने छल बहुत, हुआ इसलिए युद्ध। यही वजह टकराव की, हुए कृष्ण भी क्रुद्ध।। झूठ वजह अवसान की, अपनाओ नित साँच। जो सत् के पथ नित चलें, उन पर कभी न आँच।। नित अधर्म बनकर वजह, रच देता है शोक। इसीलिए तो धर्म नित, देता हमको देता रोक।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : २५-०९-१९६१ निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश) शिक्षा : एम.ए ...
हरदम पिता महान
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हरदम पिता महान

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** हिमगिरि जैसे भव्य हैं, रहते सीना तान। वेदों ने भी तो कहा, हरदम पिता महान।। पिता उच्च आकाश से, संतानों के ईश। जब तक जीवित हैं पिता, कभी न झुकता शीश।। सुख-दुख में अविचल रहें, आँसू का है त्याग। जेब भरी खाली रहे, पर हाँ से अनुराग।। पिता रूप संघर्ष का, संरक्षक का वेग। कैसे भी हालात हों, पिता मांगलिक नेग।। बुरी नज़र पर मार हैं, हर संकट पर वार। पिता दिवाकर से लगें, फैलाते उजियार।। नेह भरे रहते पिता, दिखते सदा कठोर। संतानों का भाग्य है, नाचे मन का मोर।। पिता सुरीला राग हैं, भजन, आरती गान। जब तक जीवित हैं पिता, संतानों में जान।। एक दिवस केवल नहीं, युगों-युगों सम्मान। पिता करें संतान के, पूरे सब अरमान।। पिता प्रेम का नाम है, पिता नाम कर्तव्य। सकल जगत में आज तो, पितु गाथा है श्रव्य।। पितु को खोना...
ससुराल के बीते दिन
दोहा, हास्य

ससुराल के बीते दिन

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** स्वर्णिम युग ससुराल का, याद करे दामाद। पर अब कुछ भी है नहीं, केवल है अवसाद।। ख़ातिरदारी है नहीं, अब सूना मैदान। बिलख रहे दामाद जी, रुतबे का अवसान।। स्वर्णिम युग पहले रहा, खाते थे पकवान। अब तो सारे मिटे गए, ससुराली अरमान।। कितना प्यारी थी कभी, जिनको तो ससुराल। उनको दुख अब सालता, अब वह गुज़रा काल।। अब ख़ातिरदारी नहीं, शेष बची है याद। अब मुरझाने लगे गया, पौधा तो बिन खाद।। स्वर्णिम युग ससुराल का, केवल है इतिहास। दर्द घिरे दामाद जी, जीते अब बिन आस।। पहले हलुआ, पूड़ियाँ, रबड़ी, काजू, खीर। अब तो केवल हाथ है, कसक, कष्ट सँग पीर।। स्वर्णिम युग ससुराल का, शायद आता लौट। जैसा पहले दौर था, वैसा हो फिर हौट।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : २५-०९-१९६१ निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश) शिक्षा : एम.ए ...
सदाचार के पथ पर
चौपाई

सदाचार के पथ पर

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** सदाचार के पथ पर चलना, कभी न फिर तुम आँखें मलना। जीवन में अच्छाई वरना, हर दुर्गुण को नित ही हरना।। कभी काम खोटा नहिं करना, नेह-नीर होकर तुम झरना। हरदम ही बनना उजियारा, करना दूर सकल अँधियारा।। नैतिकता के होकर रहना, मानवता का पथ ही वरना। सबकी सेवा में जुट जाना, जीवन अपना धन्य बनाना।। सच्चाई से जीवन बनता, दुर्गुण तो खुशियों को हनता। चाल-चलन मर्यादित रखना, कभी नहीं कड़वे फल चखना।। सदाचार से प्रभु खुश होते, ऐसे जन बिलकुल नहिं रोते। गिरे हुए तुम कर्म न करना, बस अच्छाई को ही वरना।। मन को शोधित करते रहना, गंगाजल बनकर के बहना।। पापों को बिलकुल तज देना, सद्कर्मों को तुम गह लेना।। नैतिकता से खुशहाली हो, उपवन महकें,खुश माली हो। सद्चरित्र से सद्गति होती, मानवता किंचित नहिं रोती।। नैतिकता से सं...
आतंक और विनाश
दोहा

आतंक और विनाश

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** आतंक मिटाता ज़िन्दगी, करता सदा विनाश, यह समझें हैवान यदि, तो बदलेगा मौसम। ख़ूनखराबा कब तक होगा, बतलाओ तुम मुझको, पहलगाम जैसी जगहों पर होगा कब तक मातम।। जिसने तुमको भड़काया है, समझो उनकी करनी, मूर्ख बनाकर वे यूँ सबको, करें मौत का खेला। नहीं जान लेने में हिचकें, चिंतन है शैतानी, बरबादी भाती है जिनको, करते रोज़ झमेला।। लानत है आतंक कर्म पर, मौत का जो उत्सव है, कब तक लाशें और गिरेगीं, कब तक सब रोएंगे। असुर मनुज की बस्ती में हों, तो कैसे सुख-चैना, कैसे हम सब शांत चित्त हो, फिर तो सो पाएंगे।। यही चेतना, संदेशा है, अविलम्ब जागना होगा, अब तो इस आतंक को हमको, अभी रोकना होगा। यही जागरण, वक़्त कह रहा, आतंक की अब इतिश्री हो, नगर-गांव में हर्ष पले अब, शौर्य रोपना होगा।। आतंक मानसिकता हैवानी, म...