Thursday, December 4राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

लघुकथा मानव मूल्यों की संकल्पना को सतत तराशने का प्रयास करती है।

नगर की साहित्यिक संस्था क्षितिज के द्वारा एक आभासी लघुकथा गोष्ठी आयोजित की गई। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार ज्योति जैन ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि, “आज लघुकथा हिंदी की सबसे चर्चित और विवादास्पद साहित्यिक विधा है। चर्चित इसलिए कि वर्तमान समय की सभी पीढ़ियों के लेखक इसे निसंकोच स्वीकार करते हैं। विवादास्पद इसलिए कि जब भी साहित्य में किसी नई विधा ने जन्म लिया और कुछ कदम चलकर अपना आकार बुना तो परंपरागत विधाओं के लेखक उसे हेय दृष्टि से देखने लगे। लघुकथा के साथ भी आरंभ में ऐसा ही हुआ। ऐसा हिंदी में पहली बार नहीं हुआ। आधुनिक हिंदी की विधाओं के उदभव और विकास का इतिहास जिन्होंने पढ़ा है, वह जानते हैं कि जब भी किसी नई विधा को नया रूप देने का प्रयास होता है, उसे कठिन विरोधों का सामना करना पड़ता है। हमें समझना होगा कि नवीनता समाज व साहित्य को गति प्रदान करती है, नई पीढ़ी को सार्थक और ऊर्जावान बनाती है। लघुकथा के चर्चित होने के मूल में यही कारण है कि पिछले तीन दशकों में युवाओं ने अपनी रचनाधर्मिता का मूल आधार लघुकथा को बनाया है।”
उन्होंने कहा कि, ‘लघुकथा कहानी का संक्षिप्त विवरण मात्र नहीं है। वस्तुतः वह ऐसी त्रिआयामी लघु रचना कही जा सकती है जिसमें एक ओर व्यक्ति तथा समाज के द्वंद की अभिव्यक्ति रहती है वहीं दूसरी और अतीत व वर्तमान के संघर्ष की अनुगूंज और तीसरी त्रिज्या मानव मूल्यों की संकल्पना को तराशने का सतत प्रयास करती है। वर्तमान समय में लेखन केवल पाठकों के लिये नही, श्रोताओं और दर्शकों के लिये भी लिखा जा रहा है। इसलिये हम अपने लेखन के अलावा उसके प्रस्तुतिकरण को लेकर भी सचेत रहे, यह समय की मांग है। आज साहित्य अनेक तरीकों से अपने लक्ष्य तक पहुंच रहा है। इन सारे माध्यमों की बेहतर जानकारी और अपने आप में संबंधित बदलाव करना आज हमारे अस्तित्व के लिये आवश्यक हो गया है।’
इस कार्यक्रम में चर्चाकार के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार सुश्री अंतरा करवड़े और वरिष्ठ साहित्यकार श्री संतोष सुपेकर उपस्थित थे। सुश्री अंतरा करवड़े ने लघुकथा पर चर्चा करते कहा कि, “हमने हमेशा से यह सुना है कि समर्थ रचना अपने पाठक खोज ही लेती है। यह एक सीमा तक सही है। लेकिन आज के समय को देखें, तो आज जैसा काल कभी भी सामने नही आया है। अब ये हमारा कर्तव्य है कि हम काल के अनुसार अपने नवीन सिद्धांतों को गढ़ें। इसलिये यह आवश्यक है, कि संख्यामक के स्थान पर गुणात्मक हो सके। इस समय को लेकर रचा गया साहित्य, विभाजन के समय की त्रासदी के समान, विश्व युद्ध की विभीषिका के समय के समान ही प्रासंगिक रहेगा। इसलिये हमारा एक एक शब्द हमारे कर्तव्य के समान बन जाता है। गंभीरता की आवश्यकता है और गहराई की भी।”
श्री संतोष सुपेकर ने लघुकथा पर चर्चा करते हुए कहा कि, “लघुकथा, अंतर्मन को आंदोलित कर देने वाली, जीवन की विसंगतियों को उजागर करती, साहित्य जगत की प्रमुखतम विधा है। जो सूक्ष्म है, जो सार्थक है, जो जीवन के क्षण विशेष को चित्रित करे वही लघुकथा है। हर विधा की तरह लघुकथा में भी विवेचन, विश्लेषण अत्यावश्यक है। सांगोपांग विवेचन ही सृजन की बारीकियों को उजागर कर सकता है। रचनाओं के गुण दोष पर गहन विश्लेषण सृजन के प्रासाद में नई सम्भावनाओं के द्वार खोलता है। आज के कार्यक्रम में प्रस्तुत रचनाओं को सुनकर लगता है कि हमारे लघुकथाकार सामयिक रूप से अत्यंत सचेत हैं, लघुकथा चैतन्य हैं। विषय वैविध्य उन्हें आकर्षित करता है, तभी वे लिव इन रिलेशनशिप, नारी शक्ति, किसान आंदोलन, सड़े हुए रिवाजों के प्रति आक्रोश, संयुक्त परिवार का महत्व, बाज़ारवाद , श्रम का सम्मान, कोरोना काल की कठिनाइयों, हड़प की अपसंस्कृति जैसे अनेक ज्वलन्त विषयों पर सफलतापूर्वक लिख रहे हैं।”
इस गोष्ठी में राममूरत राही ने सेल्फी, जितेंद्र गुप्ता ने आखिर क्यों?, चंद्रा सायता ने शब्दवध, विजय सिंह चौहान ने स्वामिनी, आर.एस. माथुर ने प्रदर्शन, विनीता शर्मा ने आत्मसंतोष, सीमा व्यास ने अपना-अपना रिवाज़, आशागंगा शिरढोणकर ने ऐसा कैसे, कोमल वाधवानी “प्रेरणा” ने नीयत, दिलीप जैन ने रिश्तों का भविष्य, दिव्या शर्मा ने नमः, कनक हरलालका ने अधूरा सच, हनुमान प्रसाद मिश्र ने हे राम !, पवन शर्मा ने डूब की ज़मीन का दु:ख, पवन जैन ने बाज़ारवाद लघुकथाओं का पाठ किया। इस आयोजन में सर्वश्री सतीश राठी, सुरेश रायकवार, महेश राजा, बालकृष्ण नीमा, सतीश शुक्ल, निधी जैन, मधु जैन, अजय वर्मा, अनुराग आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सुश्री सुषमा व्यास ‘राजनिधि’ ने किया एवं कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन संस्था सचिव श्री दीपक गिरकर ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *