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मेरी जगह कहाँ है…?

दीप्ता नीमा
इंदौर (मध्य प्रदेश)

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कौन हूँ मैं नादान समझ न पाऊं,
कहाँ मेरी जगह है ढ़ूंढ़ न पाऊं,
सदियों तलक चुपचाप रही,
हर जुल्म को खामोश सहती रही,
कलकल नदिया सी बहती रही,
हर दर्द में भी मुस्कुराती रही।।१।।
कोई दर्दे दिल की बात नहीं समझता,
बिना कहे कोई जज़्बात नहीं समझता,
हर ताने पर बीच में मायका आता है,
मेरे मात-पिता को हर कोई सुनाता है
और दिल मेरा जख्मी हो जाता है।।२।।
क़ोई भी घर में कुछ गलत करने लगे,
तो सब गलतियों पर नाम उसका लगे,
कोई भी कभी किसी से पीछे न रहे,
हर तरह के आरोप उसके ऊपर लगे,
पति उनके साथ सोने पे सुहागा लगे।।३।।
वो तो एक के पीछे घरबार छोड़ आती है,
जन्म के नाते और पीहर छोड़ आती है,
वो तो अपना सर्वस्व न्योछावर करती है,
न जाने क्यों दुनिया उसे धिक्कारती है।।४।।
हर बेटी के लिए मेरी यही है तमन्ना,
अपने पैरों पर तुम खड़ी हो जाना,
किसी के आगे कभी न हाथ फैलाना,
दुनिया में तुम अपना नाम कमाना,
और अपनी पहचान बनाना।।५।।

परिचय :- दीप्ता नीमा
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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