Saturday, May 11राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

हां मैं बेटी हूं

मुस्कान कुमारी
गोपालगंज (बिहार)
********************

हां मैं बेटी हूं
जिससे ये
दुनिया चलती है
मुझसे है
सभी को नफरत
जिससे उनकी
पीढ़ी चलती है।

जब छोटी थी तो
हर ख्वाब
दिखाया गया
थोड़ी सी बड़ी हुई
तो हर ख्वाब
अधूरा सा रह गया
जब जिद्द की पूरा
करने की तो
घर में मुझे
बिठाया गया
अभी उलझने बहुत है
किसी तरह
जिंदगी चलती है
हां मैं बेटी हूं
जिससे ये
दुनिया चलती है।

पापा कहते समाज को
देखकर चलना है
मैंने कहा हमे ही तो
समाज को बदलना है
पापा ने कहा
समाज को तुम नहीं
समाज को देखकर
तुम्हे बदलना है।

मैंने कहा पापा
मुझे कुछ करने दो
पढ़ लिख कर
कुछ बनने दो
पापा ने कहा
तुम बेटी हो रहने दो
मैंने कहा पापा
अभी रहने दो
मुझे अभी रहना है
सबकी निगाहों में
पापा ने फिर वही कहा,
तुम बेटी हो तुम्हे
जाना है ससुराल में
फिर मैं इस घर को छोड़
दूसरे घर को चलती हूं
वहां पे भी दुख, दर्द,
डर सब सहती हू
हाँ मै बेटी हूं जिससे
ये दुनिया चलती है।

परिचय :- मुस्कान कुमारी
निवासी : गोपालगंज (बिहार)
शिक्षा : इंटर सेकेंडरी, सेंट्रल हिंदू गर्ल्स स्कूल वाराणसी

घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … 🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak manch👈🏻 … राष्ट्रीय हिन्दी मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *