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बीत गया यह वर्ष..

महेन्द्र सिंह कटारिया ‘विजेता’
सीकर, (राजस्थान)
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बीत गया यह वर्ष,
साल दो हज़ार इक्कीस।
अपनों के गिला शिकवों की,
अविस्मरणीय रहेगी टीस।…

जिंदगी की सोच में,
गहरा बदलाव आया।
हमें समय की पुकार ने,
संघर्ष करना सिखाया।
निर्धनता की आड़ में,
बुज़ुर्ग जीये किन हालातों में।
समय-चक्र है कैसे फिरता,
सीखा कोरोना विपदाओं में।
जनमानस भूलेगा ना इसकी चीस।
बीत गया यह वर्ष…….।

घर बाहर स्वच्छ रखना,
है कितना ज़रूरी।
आसपास की सफाई में,
रखो ना कभी मगरूरी।
हर तबके की जिंदगी में,
यह कैसा पड़ाव आया।
अबलों की रोजी-रोटी पर,
काला बादल छाया।
आपस में रखी ना कोई खीस।
बीत गया यह वर्ष……।

हे! सृष्टि के नियामक,
जनता पर उपकार करों।
रखो कृपादृष्टि अब,
और ना अधीर करों।
हर्षोल्लास का जनजीवन में,
माता तुम शीघ्र भाव भरो।
जीवन विपदा के सागर से,
अनुगतो का उद्धार करों।
सबका उल्लासपूर्ण हो,
नववर्ष बाईस।
बीत गया यह वर्ष…….।

परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया ‘विजेता’
निवासी : सीकर, (राजस्थान)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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