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कलमकार की कलम

विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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अवसर अलग सजधज कर, दमखम रखकर आता है
जैसी सोच हृदय मे रखता, साम्राज्य वैसा ही पाता है।

बहुतों को देखा बहुधा बिना दवा के भी काम चलाते
तन को बीमारी से बचाने खुद अपनी क्षमता बढ़वाते

असाध्य कष्ट हो जाने पर चिकित्सक को बतलाता है
पांसा कभी सीधा होता और कभी उल्टा पड़ जाता है

जैसी सोच हृदय में रखता, साम्राज्य वैसा ही पाता है।
अवसर अलग सजधज कर, दमखम रखकर आता है।

जीवन में देखा गधों को बाप किस तरह बनाया करते
काम निकल जाने पर कितनी बुरी तरह हटाया करते

बस यूं समझ लेना प्यासा ही तो कुएं के पास जाता है
कई बार कुआं भी तो निज सड़ांध छिपा रख जाता है

जैसी सोच हृदय में रखता, साम्राज्य वैसा ही पाता है।
अवसर अलग सजधज कर, दमखम रखकर आता है।

पानी में सभी उतरने वाले कभी तैराक हुआ नहीं करते
पानी की दलदल गहराई पथरीला ज्ञान भी नहीं रखते

सिद्धहस्त गोताखोरों को शव कभी मोती मिल पाता है
अब सेल्फी की परंपरा से मौत अनजाने गले लगाता है

जैसी सोच हृदय में रखता, साम्राज्य वैसा ही पाता है।
अवसर अलग सजधज कर, दमखम रखकर आता है।

एक, एक से भले दो तर्ज मान कुछ तसल्ली पा सकते
समस्या की गहराई इतनी होती, कि पार नहीं पा सकते

कहते सुनते आये सब, नंगा क्या धोए क्या निचोड़ता है
हौसलेदार और धर्मपिता जैसों से ही वो ताकत पाता है

जैसी सोच हृदय में रखता, साम्राज्य वैसा ही पाता है।
अवसर अलग सजधज कर, दमखम रखकर आता है।

राजनीति में जानेवालों को घर की तरफ से छूट चाहिए
केवल आजादी नहीं साथ में साथी संपर्क संपदा चाहिए

कस्बे गाँव सेवार्थी भी बापू शास्त्री मोदी नेता होता है
झोला लेकर आनेवाले कुछ खोने खौफ नहीं रखता है।

जैसी सोच हृदय में रखता, साम्राज्य वैसा ही पाता है।
अवसर अलग सजधज कर, दमखम रखकर आता है।

मात्र कलम रखने से कलमकार कभी नहीं बन सकता
देश अदालत मसलों में कलम, तख्ता ही पलट सकता

कलम कसम और कदम चाल नियंत्रण रखना होता है
कुशल कलमकार की कठिन कलम कर्मठता रचता है

जैसी सोच हृदय में रखता, साम्राज्य वैसा ही पाता है।
अवसर अलग सजधज कर, दमखम रखकर आता है।

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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