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अपनी तकदीर लेके आया हूं

आलोक रंजन त्रिपाठी “इंदौरवी”
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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अपनी तकदीर लेके आया हूं
अब न तेरे लिए पराया हूं

दूर तक देख लो मुझे तुम भी
याद का सिलसिला बनाया हूं

जिंदगी खुद नहीं समझ पाई
कितने किरदार में समाया हूं

वक्त को हम समझ नहीं पाए
आस फिर भी कहीं लगाया हूं

लोग नफरत की बात करते हैं
बस इसी खौफ का सताया हूं

जितने गम भी मिले जमानें में
उनको दिल में छुपा के लाया हूं

खुद पे मुझको यक़ीन है रंजन
अपना रस्ता नया बनाया हूं

परिचय :- आलोक रंजन त्रिपाठी “इंदौरवी”
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एमए (हिंदी साहित्य)
लेखन : गीत, गजल, मुक्तक, कहानी, तुम मेरे गीतों में आते प्रकाशन के अधीन, तीन साझा संग्रह में रचनाएं प्रकाशित, १० से ज्यादा कहानियां पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, ५० से ज्यादा गीत के चल पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, २०१६ से लेखन में अभिरुचि
विशेष : आध्यात्मिक प्रवक्ता एस्ट्रोलॉजर
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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