Monday, May 20राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

लेखनी मुझसे रूठ जाती है

शिवदत्त डोंगरे
पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)
*******************

जब भी मैं लिखने बैठता कविता,
लेखनी मुझसे रूठ जाती है,
वह कहती मेरा पीछा छोड़ दो,
मुझसे अपना नाता तोड़ दो,
क्या तुम मुझे सौंदर्य में ढाल सकोगे,
इस घुटन भरे माहौल से निकाल सकोगे,
क्या तुम कुछ अलग लिख सकोगे,
या तुम भी दुनिया की बुराइयों को,
अपनी रचना में दोहराओगें?
दहेज, भूख, बेकारी के शब्द में
अब ना मुझको जकड़ना,
हिंसा दंगों या अलगाव के चक्कर
में ना पड़ना,
नेताओं को बेनकाब करने में
मेरा सहारा अब ना लेना,
बुराइयां ना गिनाना
अब बीड़ी सिगरेट या शराब की,
उकता गई हूं अब मैं,
बलात्कार हत्या या हो अपहरण,
इन्हीं शब्दों ने किया है
जैसे मेरे अस्तित्व का हरण।
लेखनी बोलती रही,
मुझे मालूम है तुम इंसानियत
की दुहाई दोगे,
इसलिए मैं पास होकर भी हूं पराई।
अगर लिखना हो तो लिखो,
प्रकृति की गोद में बैठ कर,
फेंक दो सारी बुराइयों को समेट कर,
चार दिन की जिंदगी है
कविता की जिसमें बचना चाहती है,
नफरत मिटाकर प्रेम बांटना चाहती है,
नये सपने सजाना चाहती हूं,
जो भी सुने, जो भी पढ़े
अपने गम भूल जाए
अब शब्द डलेंगे मेरी मर्जी से
और मैं सोच रहा था !
क्या मैं ऐसा कर पाऊंगा?
समाज में फैली बुराइयों से
क्या मैं मुंह फेर पाऊंगा
अन्य समस्याओं को
कैसे भुला पाऊंगा।

परिचय :- शिवदत्त डोंगरे (भूतपूर्व सैनिक)
पिता : देवदत डोंगरे
जन्म : २० फरवरी
निवासी : पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *