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नौं दिन माता रानी के

संजय कुमार नेमा
भोपाल (मध्य प्रदेश)

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नवरात्र का त्योहार मां की
शक्ति और भक्ति का आया।
सब मिल करें नौं दिन
माता रानी के, विविध
स्वरूपों की
आराधना एवं साधना।

प्रथम दिवस होती पर्वतराज
शैलपुत्री की आराधना।
द्वितीय दिवस आती,
देवी ब्रह्मचारिणी अपने
स्वरूप का दर्शन देने।।
जप की माला एवं कमंडल लेकर।

तीसरा दिवस आता
देवी चंद्रघंटा स्वरूप का,
वाहन है इनका शेर।
असुरों के सहार के लिए।।
हाथों में सजते सभी अस्त्र-शस्त्र।

चौथा दिवस करते पूजा
माता के कुष्मांडा स्वरूप के।
इनके स्वरूप में समाया पूरा
ब्रह्मांड का तेज, अपने
स्वरूप में ही पायी
तेजस्वी जगत आभा की।

पांचवा दिवस आता
आराधना का देवी के
स्कंदमाता स्वरूप का।।
माता दर्शन देती ममत्त्व का,‌
बैठी गोद में लेकर बालक
रूप भगवान स्कंद का।

छठवां दिन आराधना का
आया माता दर्शन देती
कात्यायनी रुप में।
भव्य स्वरूप की देवी
पूजन से भक्तों के सारे
मनोरथ पूर्ण करती मां
धर्म अर्थ काम मोक्ष सब देती।

सातवां दिन देवी का कालरात्रि
का स्वरूप काआता,
भक्तों को दिव्यदर्शन देती।
भूलोक की आसुरी
शक्तियों का संहार करती।।
अंधकार में उजियारा करती
तभी मां कालरात्रि कहलाती।

आठवां दिन आराधना का आता
महागौरी का स्वरूप कहलाता।।
भगवान शिव से वर लेकर
अति गौर वर्णरूप
देवी ने जगत में पाया।
इनकी आराधना से
पापों से मुक्ति पायें।

देवी का नौवां दिन
पुण्य भक्ति से सराबोर
सिद्धिदात्री की आराधना कर,
भक्त मां से आशीर्वाद पाते।
सभी सिद्धियां पाते।
पूजा कर अपने
जीवन को सफल बनाते।
देवी की जय-जय कार करते
अपना मनवांछित फल पाते।
देवीजी की जयजयकार करते।

परिचय :- संजय कुमार नेमा
निवासी : भोपाल (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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