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हवा महसूस होती है हवा देखी नहीं जाती।

नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार म.प्र.
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सदा जिसकी हक़ीक़त में सुनी, समझी नहीं जाती।
हवा महसूस होती है हवा देखी नहीं जाती।

घटा से दोस्ती रखकर, हवा में उड़ चलें लेक़िन,
ज़मीं से दुश्मनी हमसे बड़ी रख्खी नहीं जाती।

उठाई है ख़ता हमनें वफ़ा देकर सभी उनको,
करें हम लाख कोशिशें लगी अपनी नहीं जाती।

बड़ा ही ख़ौफ़जादा है जहाँ का क़ायदा लेक़िन,
हँसी को देखकर हमसे हँसी रोकी नही जाती।

उड़ें चाहे कहीं ऊपर, उठे हम आसमानों तक,
ज़मीं पाँवों तले जो थी कभी छोड़ी नहीं जाती।

परिचय :- नवीन माथुर पंचोली
निवास – अमझेरा धार म.प्र.
सम्प्रति – शिक्षक
प्रकाशन – देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित।
सम्मान – साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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