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इतिहास का पुनर्लेखन अत्यंत आवश्यक है – डाॅ. धर्मवीर शर्मा

इंदौर। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के आईएमएस ऑडिटोरियम में डॉक्टर हेडगेवार समिति द्वारा ‘चिंतन यज्ञ’ नामक व्याख्यान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक डॉ. धर्मवीर शर्मा का व्याख्यान संपन्न हुआ। अपने कार्य अनुभवों को साझा करते हुए श्री शर्मा ने कहा कि इतिहास का पुनर्लेखन बहुत आवश्यक है। आर्किटेक्ट सिलेबस में जब तक हम अपने इतिहास का अवलोकन नहीं करेंगे, तब तक अपने बारे में नहीं जान पाएँगे। आगे उन्होंने कहा कि जब उन्होंने फतेहपुर सीकरी के ३० किलोमीटर क्षेत्र में उत्खनन करवाया, तो उन्हें कई मंदिरों के अवशेष मिले। अकबर से पहले यह मंदिरों का एक नगर था। मात्र अकबर को महिमामंडित करने के लिए यह झूठ गढ़ा गया कि फतेहपुर सीकरी अकबर द्वारा बनवाया गया। इसी प्रकार ताजमहल भी पूरी तरह से भारतीय आर्किटेक्चर की निशानी है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि किसी भी बात को मानने से पूर्व स्वयं शोध करें और उसके बाद ही तय करें कि सही और गलत क्या है।
कार्यक्रम का संचालन आदित्यनाथ झा ने किया, प्रस्तावना के. सी. शर्मा ने एवं आभार डॉ. अविनाश यादव ने प्रकट किया।


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