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सनातन की छाया

अंजनी कुमार चतुर्वेदी “श्रीकांत”
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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जिसके मन में सदा सदा से,
रही सनातन की छाया।
सुचिता शुभता और धर्म सँग,
धन यश वैभवभी पाया।
हमें सनातन ने सिखलाया,
चलते रहें सुपथ पर हम।
नेक राह चलकर सुख पायें,
नहीं रहे जीवन में गम।

बने दीन हितकारी हम सब,
काम सभी के हम आयें।
दीन दुखी की पीड़ा हर कर,
दीन बंधु हम कहलायें।
सबके घर में करें उजाला,
दुनिया को रोशन कर दें।
अंधकार को दूर हटाकर,
खुशियों से घर को भर दें।

धर्म सनातन ही सिखलाता,
औरों के दुख दूर करें।
जिन्हें गुमान देह,दौलत का,
उन सबका मद चूर करें।
दें सम्मान, सभी धर्मों को,
धर्म सनातन बतलाता।
जो सारे जग का शुभ चाहे,
सच्चा मानव कहलाता।

जिसके जीवन में पल भर भी,
रही सनातन की छाया।
धर्म सनातन धारण करके,
राम धाम उसने पाया।
करें धर्म की रक्षा हर पल,
मन का मैल हटा लें हम।
मान गुमान भरा जो दिल में,
पल-पल उसे घटा लें हम।

परिचय :अंजनी कुमार चतुर्वेदी “श्रीकांत”
निवासी : निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.एस.सी एम.एड स्वर्ण पदक प्राप्त
सम्प्रति : वरिष्ठ व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक २ निवाड़ी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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