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चिंतन-मनन कराती कविताओं का संग्रह है ‘हिमकिरीट’

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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समीक्षक : सुधीर श्रीवास्तव (गोण्डा, उ.प्र.)

 ‘हिमकिरीट’ हिंदी काव्य संग्रह के प्रकाशन की योजना और संग्रह के हाथों में आने तक की प्रत्येक गतिविधि का मैं गवाह हूँ। संवेदनशील और सृजन के प्रति पूरी चैतन्यता का उदाहरण भूपेश प्रताप सिंह का प्रस्तुत संग्रह के रूप में सामने आया। कवि ने अपने संग्रह की रचनाओं में प्रकृति, संवेदना, अध्यात्म और मानव जीवन की जटिलताओं को बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है। ‘हिमकिरीट’ हिम यानी बर्फ, और किरीट यानी मुकुट-जो शीतलता, ऊँचाई और सौंदर्य के संयोजन का बिंब के रूप में जाना जाता है, उसे शीर्षक देना किसी बड़े का आदर करने जैसा है l प्रस्तुत संग्रह को पढ़ते समय आप महसूस करेंगे कि इसमें शब्द- चित्रों के माध्यम से भावनात्मक विचारों का अद्भुत संगम है, जिसका अनुभव आत्मचिंतन और अनुभूति करने को विवश करने में सक्षम है। कवि ने हिमालय, बर्फीली चोटियों, वनों, नदियों और ऋतुओं के माध्यम से प्रकृति को जहाँ जीवंत किया है, वहीं संवेदी रूप भी देने का प्रयास भी किया है।आत्मा को छूने वाली- प्रेम, विरह, करुणा, और आध्यात्मिक वैराग्य तक ले जाने का भाव भी महसूस कराया है l
कवि की भाषा, शैली में उनके संपादक संप्रति का असर साफ़ झलकता है, जिससे संग्रह की भाषा सरल, परिष्कृत और काव्यात्मक बनाने में निश्चित ही औरों से अधिक सुगमता महसूस हुई होगी। संस्कृतनिष्ठ शब्दों यत्र-तत्र बेहतर प्रयोग मन मोहने वाला है, जिससे कविताओं की गंभीरता और सौंदर्य का बढ़ना स्वाभाविक है। कहीं-कहीं बिंबों और प्रतीकों का प्रयोग अत्यंत प्रभावी बन पड़ा है। ‘हिमकिरीट’ में प्रकृति की प्रधानता के साथ सामाजिक, दार्शनिक, आत्म-चिंतनपरक तथा प्रेमपरक रचनाएँ इसे बहुआयामी बनाती हैं, जिसमें प्रत्येक संवेदनशील पाठक को अपने लिए कुछ विशेष तो मिल ही रहा है। संग्रह में छंद और मुक्त शैली का समन्वय वाली कुछ रचनाओं के साथ छंदमुक्त रचनाएँ कवि के निश्चित दायरे से अलग, स्वच्छंद और चिंतनशीलता का आभास कराती हैं।
हिमकिरीट संग्रह के रचनाकार भूपेश प्रताप सिंह की सोशल मीडिया और पत्र पत्रिकाओं में पढ़ते हुए जितना मैंने महसूस किया उसके आधार पर मैं कह सकता हूँ कि संग्रह की रचनाएँ गंभीर और चिंतनशील पाठकों के लिए अनमोल निधियों के समान हैं l संग्रह की रचनाएँ आपको चिंतन मनन करने हेतु प्रेरित करती हैं, आपको अपने संदर्श के मूल्यांकन का संकेत करती हैं। संबंधित रचना अपने में झाँकने के लिए विवश करती है। कुछ रचनाएँ ऐसी भी हैं जो अलग -अलग पाठक को दो- चार या कई बार पढ़ने को बाध्य करती लगेंगी। इससे रचनाकार की बौद्धिकता का पता चलता है। मेरे विचार से शांति के साथ गहराई और आत्मिक सुकून प्रदान करने वाले प्रस्तुत काव्य-संग्रह को केवल पढ़ा ही नहीं जाना चाहिए, बल्कि अनुभव भी किया जाना चाहिए l कथ्यों में झाँकने के साथ संग्रह की रचनाएँ आपसे कुछ कहना चाहती हैं, आप से कुछ जानना भी चाहती हैं l यही रचनाकार की उपलब्धि मानी जानी चाहिए ।
संग्रह के अंतिम पायदान पर कुछ मुक्तकों से संग्रह की ग्राह्यता प्रभावी लगती है। प्रस्तुत संग्रह नवोदित रचनाकारों को काफी कुछ सीख देने वाली है, जिसमें उन्हें विशिष्ट शैली, भाव- समृद्धि और दृष्टिकोण के साथ शब्द संयोजन का बेहतर उपयोग स्वमेव दिखेगा परंतु यह तभी हो सकता है जब पाठकगण वास्तव में काव्य यात्रा के समर्पित यात्री बनने का हौसला रखते हों। यह भीड़ से अलग दिखने वाले संग्रहों में एक है l यह काव्य संग्रह निश्चित रूप से संग्रहणीय है। कवि को प्रस्तुत संग्रह की सफलता और उनके निकट भविष्य में अगले संग्रह प्रकाशन की असीम बधाइयाँ शुभकामनाएँ।

शुभेच्छा सहित …

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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