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न जाने क्या बदला है

डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”
ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी
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वो बदल गये
समझ नहीं आया।
न जाने
क्या बदला है।
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वक्त के साथ
हर चीज बदलती है।
पर तुम न बदल जाना
वक्त के साथ।
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कली बदलकर
फूल बनती है।
बच्चा युवा
बन जाता है।
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बदलना प्रगति
की निशानी है।
जिंदगी के आगे
बढ़ने की कहानी है।
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मौसम भी बदलता है
ख्याल भी बदलते है।
चुनाव जीतने के बाद
नेता भी बदलता है।
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बहुत दुख होता है
जब अपना कोई
बदल जाता है।
हमें छोड़कर किसी
दूसरे की बाहों
में समा जाता है।
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केवल वक्त को
बदलने दीजिए।
अपना स्वभाव और
संस्कार मत बदलिए।
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कोई दल बदलता है
कोई शहर बदलता है।
होता हैं जिसमें फायदा
आदमी वह चीज बदलता है।
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बदलो जरूर बदलो
मगर इतना मत बदलो।
कि तुमसे बदला लेने
की इच्छा हो।
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परिचय : डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”
निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।

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