Thursday, December 4राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

जंगल हर दिन रोता है

डॉ. भगवान सहाय मीना
जयपुर, (राजस्थान)
********************

एक दिन मैं गुजर रहा था,
शाहाबाद के जंगल से।
पहाड़ों को काटकर बनाई गई,
खुबसूरत डामर की सड़क पर।
अद्भुत मनोहर कांतार,
पर्वत के शिखर से तलहटी तक
सघन आच्छादित सुरम्य।
नदी, झरने, घाटी, जलाशय
से भरा पूरा परिवार।
असंख्य जीव,जन्तु,पशु,पक्षी,
भ्रमर, तितलियाँ, फूल,फल,
चारों दिशाओं में व्यापक विस्तार।
मुझे देखकर सिसकने लगे पेड़,
महुआ, पलास, शीशम, छिला।
दहाड़े मारने लगे शमी,नीम और
कानन के सब पहरेदार।
असीम अरण्य रुदन सुनकर
मैं भयग्रस्त कम्पित हृदय से
विनीत स्वर में पूछा..
हे! विपिन क्या, कोई
प्रलय का आभास हुआ
या दावानल कही जल उठी।
बियाबान में क्रंदन कैसा..?
क्यों कोमल किसलय रो उठी।
यह सुनकर मेरी मीठी बात,
कुछ धीरज धरकर चुप हो
फिर अटवी बोला मेरे से,
ना प्रलय का आभास हुआ
ना दावानल से डरता मैं।
मेरे कंद,मूल,फल,फूल,लकड़ी,
सब समर्पित मानव को।
पर परवाह कब तू किया,
मेरे इस बलिदान की।
तू उठ सवेरे रोज काटता,
जड़ मूल मेरी संतान की।
तू आस्तीन का सांप है,
विकास में तेरे मनुज,
मेरा विनाश पलता है।
देख कुल्हाड़ी हाथ में तेरे
जंगल हर दिन रोता है।

परिचय :- डॉ. भगवान सहाय मीना (वरिष्ठ अध्यापक राजस्थान सरकार)
निवासी : बाड़ा पदम पुरा, जयपुर, राजस्थान
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *