एक श्वान की आत्मकथा “जीवित हूँ जीना चाहता हूँ”
श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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है अधिकार तुम पर मेरा भी
मुझे दो स्वत्व धड़कन बन
जीवित रहना चाहता हूँ
तुम्हारे दिल में थोड़ा सा
पनाह चाहता हूँ
मन और आत्मा में
तुम्हारे बसना चाहता हूँ
मैं जीवित रहना चाहता हूँ!!!!
सुख दुःख महसूस करता हूँ
अकेलापन तुम्हारा
बांटना चाहता हूँ
अपने साथ रहने की
अनुमति दो मुझे
तुम्हारी घुटन, नाराजगी,
शिकायतें मिटाना चाहता हूँ
मैं जीवन जीना चाहता हूँ !!
मैं भी पथिक हूँ उसी राह का
संग संग तुम्हारे चलना चाहता हूँ
वेदनाओं से सामना हो जब तुम्हारा,
शीतल चाँदनी बनकर
प्यार लुटाना चाहता हूँ
अश्रु पूरित नेत्रों से मैं भी
छुटकारा चाहता हूँ
जीवन हूँ जीना चाहता हूँ!!
बंधन से जकड़ा स्वप्न
सा जीता हूं मैं
ठिठुरन, अकड़न, सड़न,
भूख से तरबतर रहता हूँ मैं
घर में तुम्हारे थोड़ी सी
पनाह चाहता हूँ
स्वयं के...
























