पिता का साया
अशोक पटेल "आशु"
धमतरी (छत्तीसगढ़)
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जीवन मे पिता का साया
होती है सुकून भरी छाया।
पिता से है जो प्यार पाया
जीवन में आनन्द समाया।
पिता हैं बच्चों का साया
जो बुरी नजरों से बचाया।
जिसने प्यार सदा लुटाया
तभी पिता वो कहलाया।
पिता ने गिरने से बचाया
अपने को बैसाखी बनाया।
पिता ने चलना सिखाया
गिरते हुए हृदय से लगाया।
पिता ने मुझे खड़ा कराया
मंजिल का राह दिखाया।
पिता ने कष्टों को भगाया
मेरे बोझ कंधों से उठाया।
परिचय :- अशोक पटेल "आशु"
निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़)
सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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