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लागी तुझसें लगन
कविता

लागी तुझसें लगन

डोमेन्द्र नेताम (डोमू) मुण्डाटोला डौण्डीलोहारा बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** लागी तुझसें लगन ऐ रिश्ता क्या कहलाता है । अनु दामिनी वीरा कसम से भाग्य विधाता है ।। दीया और बाती हम पवित्र है जिनका बंधन । चाहे रक्षा बंधन हो या सात फेरों का हो गठबंधन ।। तहे दिल से करते है हम सादर वंदन प्रणाम । स्वीकार किजिऐगा हमारा नमस्कार सलाम ।। पुष्प गुछ और तिलक चंदन स्वागत और वदंन । माटी जिनकी चंदन, शत्-शत् हार्दिक अभिनंदन।। हम साथ-साथ है तो साथ निभाना साथी मेरे । प्रेम प्यार विश्वास को मत छोडना यारना मेरे ।। श्री राम-सीता श्री कृ‌ष्णा-राधा खिले जहां पे चमन । आपको हमारा सादर तहे दिल से सौ-सौ बार नमन ।। परिचय :- डोमेन्द्र नेताम (डोमू) निवासी : मुण्डाटोला डौण्डीलोहारा जिला-बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
तेजोपुंज महान्
कविता

तेजोपुंज महान्

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** सप्त घोड़ों पर सवार जब तुम आते नभ पर हर बार जीवन, कालचक्र, तेज और बल सबके बन जाते संबल गतिमान् तुम, जगत् प्रकाशक तुम रवि, आदित्य, दिवाकर ,विवस्वान अनेक शुभ नामों से होता तुम्हारा गुणगान धरा हमारी घूम घूम कर लगाती फेरे चारों ओर पा कर नव ऊष्मा तुमसे बांध रही सबके जीवन की डोर सृष्टि के तुम पालनहार न तुमको कोई मान गुमान उदय होते, अस्त होते रहते सदा एक समान बादलों को भी देना है मान तुमने कर लिया है यह ठान जब वे आते आसमान खुश हो दे देते तुम अपना स्थान सर्वशक्तिमान तुम, तेजोपुंज हो महान् ।। परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अ...
रिटायरमेंट
लघुकथा

रिटायरमेंट

नितेश मंडवारिया नीमच (मध्य प्रदेश) ******************** रिटायरमेंट के बाद खुद से सम्मुख होने का मौका मिला। जिंदगी बेफिक्री से उनके कंधे पर सर रख कर थकान मिटा रही थी... रिटायरमेंट के बाद मंडवारिया जी एक दम फ्री हो गए थे। बच्चों की शादियां कर दी थीं। बस एक सपना था कि रिटायरमेंट के बाद मिले पैसों से पत्नी को विदेश की सैर करवानी है। सो टिकट ऑनलाइन बुक करवाया। स्विट्ज़रलैंड में होटल बुक करवाया। बच्चों को पहले ही खबर कर दी थी। बच्चे खुश थे कि पापा अब तो अपनी जिंदगी मम्मी के साथ खुल कर जिएं। आखिर वो दिन भी आ गया। पहली बार हवाई जहाज में सफर करने का मौका मिला। नौकरी के दौरान जिम्मेदारी के बोझ ने कभी जिंदगी को खुल के जीने का मौका ही नहीं दिया। कभी होम लोन, कभी बच्चों की पढ़ाई तो कभी बच्चों की शादी की चिंता। पत्नी की दबी हुई आकांक्षाए मन में घुटती रहीं। कभी कोई शिकायत नहीं की। बस पति,...
तेरा मेरा रिश्ता
कविता

तेरा मेरा रिश्ता

कीर्ति मेहता "कोमल" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** भाई तेरा मेरा बचपन, था इमली सा खट्टा मीठा रूठ के जब मैं सो जाती थी, तेरी खुशियाँ खो जाती थी मुझे मनाने को तुम कितने जतन लगाते थे आखिर में आँगन के पेड़ से इमली तोड़ लाते थे एक चुटकी नमक लगा फिर जबरन मुझे खिलाते थे मेरे चटकारों में तुम, अपनी हँसी लुटाते थे खट्टी सी इमली में भी तुम प्यार भरकर लाते थे बीत गया अब वो बचपन, इमली सी न बात रही दूर हुए हम दोनों ही, कहीं तो थोड़ी खटास रही बदल गए क्यों रंग जीवन के, मीठा सा अब वो साथ नहीं बदल गया है सबकुछ अब तो हम दोनों के बीच में बूढा हुआ क्या रिश्ता हमारा उस आँगन के पेड़ सा वो शरारती बचपन मेरा फिर से लौटा लाओ ना फिर उस बूढ़े पेड़ से, एक इमली तोड़ लाओ ना। परिचय :- कीर्ति मेहता "कोमल" निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बीए संस्कृत, एम ए हिंदी...
साहित्य तथा शिक्षा में उत्कृष्ट कार्य करने पर राजीव डोगरा को मिला स्वामी विवेकानंद सम्मान २०२२
साहित्यिक

साहित्य तथा शिक्षा में उत्कृष्ट कार्य करने पर राजीव डोगरा को मिला स्वामी विवेकानंद सम्मान २०२२

कांगड़ा/हिमाचल प्रदेश। कांगड़ा के युवा कवि लेखक और भाषा अध्यापक राजीव डोगरा को शांति फाउंडेशन गोंडा उत्तर प्रदेश द्वारा साहित्य तथा शिक्षा के क्षेत्र में लगातार किए जाने वाले प्रयासों और उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए उनको स्वामी विवेकानंद सम्मान २०२२ देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. विजय कुमार शाह पद्मश्री महाराष्ट्र, अति विशिष्ट अतिथि ज्ञान बहादुर पासी प्रवक्ता डायट-गोण्डा विशिष्ट अतिथि डॉ.विनय कंसल पर्यावरणविद दिल्ली, मुख्य वक्ता-कवयित्री अन्नपूर्णा मालवीया (सुभाषिनी) संस्कृत प्रवक्ता गौरी पाठशाला इंटर कॉलेज प्रयागराज, संचालन-श्री गया प्रसाद आनन्द, संयोजक-श्री सुनील कुमार आनन्द के द्वारा विवेकानन्द जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद उनके विचारों पर प्रकाश डालते हुए स्वामी जी के योगदान को बताया गया। कार्यक्रम संयोजक सुनील कुमार आनन्द ने बताया कि पूरे भारत २०० से अधिक विभि...
मिलकर उन्हें करें नमन
कविता

मिलकर उन्हें करें नमन

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** (१५ जनवरी थल सेना दिवस) आओ मिलकर उन्हें करें नमन जिनके लिए सब कुछ है वतन..! देश की रक्षा के लिए जिन्होंने निछावर कर दी तन और मन…!! घर से दूर वतन के लिए लड़ते मुश्किलों से लड़कर आगे बढ़ते..!! देकर दुश्मनों को जंग में मात भारत माँ की हिफाजत करते..!! आओ मिलकर उन्हें करें नमन जिनके लिए सब कुछ है वतन..! सरहद में दुश्मन से टक्कर लेते तिरंगे को कभी झुकने न देते..!! ठंडी,गर्मी और बरसात को सहते ईट का जवाब, पत्थर से देते ..!! दुश्मनों की गोली सीने में खाकर अपने वतन को महफूज रखते.है.!! आओ मिलकर उन्हें करें नमन जो देश के लिए कुछ करते है परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्...
नारी हूँ अभिशाप नहीं
कविता

नारी हूँ अभिशाप नहीं

महेश चंद जैन 'ज्योति' महोली ‌रोड़, मथुरा ******************** चिड़ियों के बिन सूना आँगन, कलियाँ बिन सूनी डाली। कन्या के बिन सूना लगता, पूरा घर आँगन खाली।। जब ये किलकें‌ खेलें चहकें, तृप्त नयन हो जाते हैं। जीवन में जब पुण्य फलें तो, कन्या का फल पाते हैं।। मुझे जन्म लेने दे माता, मैं भी अंश तुम्हारी हूँ। बड़ी लड़ोधर हूँ पापा की, घर की राजदुलारी हूँ।। बचा-खुचा खाकर जी लूंगी, भैया गोद खिलाऊंगी। एक दिवस तेरे आँगन से चिड़िया सी उड़ जाऊंगी।। पढ़ा लिखा कर मुझको भी माँ, खड़ी पैर पर कर देना। होकर बड़ी करूंगी सेवा, अच्छा सा चुन वर देना।। तू भी नारी मैं भी नारी, नारी होना पाप नहीं। सूना जग नारी बिन सारा, नारी हूँ अभिशाप नहीं।। परिचय :- महेश चंद जैन 'ज्योति' निवासी : महोली ‌रोड़, मथुरा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्...
मुझको आदत नही ठगने की जमाने को
ग़ज़ल

मुझको आदत नही ठगने की जमाने को

लाल चन्द जैदिया "जैदि" बीकानेर (राजस्थान) ******************** मुझको आदत नही ठगने की जमाने को, हर रोज निकलता कमर कस कमाने को। साफगोई ने दुश्मन बना लिऐ, चारो ओर, जुबां जब बोले बचता न कुछ छुपाने को। तुम भी कभी कर के देखो मेरी तरहा से, तुमको भी मजा आऐगा सच दिखाने को। माना कि मुश्किल है मगर पिछे न हठना, बढ़ाऐं कदम जब कहे कोई आजमाने को। करते रहे यूं ही गर हम हर बार नादानियां, रहेगा न इक पल पास हमारे पछताने को। दौर-ऐ-गर्दिश आते जरुर सभी के "जैदि" थोड़ा कहीं ज्यादा,छोड़ो न इस पैमाने को। अर्थ :- साफगोई :- स्पष्ट वादिता दौर-ऐ-गर्दिश :- बुरा समय परिचय -  लाल चन्द जैदिया "जैदि" उपनाम : "जैदि" मूल निवासी : बीकानेर (राजस्थान) जन्म तिथि : २०-११-१९६९ जन्म स्थान : नागौर (राजस्थान) शिक्षा : एम.ए. (राजनीतिक विज्ञान) कार्य : राजकीय सेवा, पद : वरिष्ठ तकनीक सहायक, सरदार पटेल...
पौधे से बात
कविता

पौधे से बात

सरिता चौरसिया जौनपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** एक दिन अपने घर के बरामदे में खड़ी कुछ विचारों में डूबी देख रही थी, गमले के पौधों को बड़े ही गौर से जाने मन क्यूं खो गया एक छोटा सा नन्हा सा पौधा झांक रहा था मिट्टी के भीतर से मुझे देखा उसने और मुस्कुराया लगा कुछ कहना चाहता है, पूछा मैंने क्यूं मुस्कुराए, वो बोला, मैं आज दुनिया को देख रहा हूं कल मैं भी बड़ा हो जाऊंगा फलदार वृक्ष बनूंगा, हरा-भरा हो जाऊंगा पर सोचा है कभी मुझे यह तक कौन लाया? एक बीज था मुझसे पहले इस धरती पर उसने खुद को मिटा दिया सौंप दिया खुद को इस मिट्टी के हाथों में कि भले ही मैं ना रहूं पर संभाल लेना मेरी इस अमानत को मेरा अस्तित्व नहीं मिटने देना, मत जाने देना व्यर्थ मेरा ये त्याग, समर्पण, मैं जड़ बन कर भी मिट्टी के भीतर से उसको देखूंगा जो है मेरी ही परछाईं। पौधा फिर से बोला मुझसे ...
बेटी बचाओ
कविता

बेटी बचाओ

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** बेटी बचाओ ओ दुनिया वालो बाबुल करता है अब ये गुहार दुनिया रहेगी जब होगी बेटी कहती है ये माँ की पुकार। खिल जाते है मन सभी के बिटियाँ हो हर घर सभी के दुःख दूर होगा सुख होगा पास बस करना तुम सब पे ये उपकार बेटी बचाओ ...................। पायल बजेगे अब हर घर अंगना बिटियाँ से घर ना होगा सुना माँ अब अभी ना होना उदास होगी रोनक बिटियाँ से हर द्वार बेटी बचाओ .....................। अब कभी गीत होंगे ना सूने श्रृंगार को कोई अब ना छीने ऐसा संकल्प लेवे सब हम आज बिटियाँ करे इस जग पर राज बेटी बचाओ ...................। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचन...
नई दिशा
कविता

नई दिशा

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** राग अनुराग गीत हम गाएंगे प्रकाशमान हो चहुं ओर ऐसा ऐसा दीप हम जलाएंगे गर राह में कांटे आए मुस्कान प्रतीक वह पुष्प सा हम खिल जायेंगे पिछड़े समाज की मान- मर्यादा को पूर्ण स्वरूप में लाएंगे परिवेश जैसा भी हो समाज को नई दिशा हम दिखलाएंगे खंडित रहने से कुछ नहीं होता है जग में संगठन की ताकत सर्वजन को हम बतलाएंगे चाहे लाख आए परेशानी बस भरोसा खुद पर कुछ कर गुजरने का दम वह दर्पण स्रदिस हम बन जाएंगे परिवेश जैसा भी हो समाज को नई दिशा हम दिखलाएंगे जागरूक स्वयं होकर समाज की महत्ता सर्वजन तक हम फैलाएंगे करेंगे मेहनत खुद को मिसाल हम बनाएंगे इन्हीं नेक इरादों से हम ध्रुव तारे सा चमककृत कर जाएंगे जात-पात, ऊंच-नीच ईष्र्या-द्वेष के बंधन से मुक्त हो समाज ऐसा सूत्र हम बनाएंगे ना रहेगी छुआछूत का कोई अंश एक...
स्वयं चले आये
ग़ज़ल

स्वयं चले आये

प्रमोद गुप्त जहांगीराबाद (उत्तर प्रदेश) ******************** हम सीते जा रहे, उधड़ता जाता है- ये भाग्य क्या-क्या गुल खिलाता है। कर्म की सुई को, जो न देता विराम निश्चित ही एक दिन मंजिल पाता है। स्वयं चले आये, बहुत दूर उजालों से- अंधेरों में हमको अब हौवा डराता है। चढ़कर उतरना है, उतरकर चढ़ना है। प्रतिदिन ही सूरज, यही तो बताता है। अर्जुन बनकर कुरुक्षेत्र में उतरना तुम- अभिमन्यु हर-बार युद्ध हार जाता है। एक हाथ मे शस्त्र, दूसरे से कृपा बरसे ऐसा प्रतापी ही श्रेष्ठ शासन चलाता है। वीर नहीं, वह तो केवल बिजुका ही है- जो आवश्यक होने पे शस्त्र न उठाता है। परिचय :- प्रमोद गुप्त निवासी : जहांगीराबाद, बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) प्रकाशन : नवम्बर १९८७ में प्रथम बार हिन्दी साहित्य की सर्वश्रेठ मासिक पत्रिका-"कादम्बिनी" में चार कविताएं- संक्षिप्त परिचय सहित प्रकाशित ...
जीवन – निर्झर
कविता

जीवन – निर्झर

माधवी तारे (लन्दन से) इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** छंद लिखो, छंद भेजो, छंदों का बनेगा अंक।। छंद की धुन में, मन में उठी अक्षर-तरंग। छंदानुकुल विषय खोज में, मन मे मचा द्वंद।। सब सीमा रेखाएँ लाँघ, आया कोरोना, निगलते नर-संघ। उम्र, जाति, और लिंग भेद बिना, किया सर्वनाश स्वच्छंद।। राजा हो या रंक, सबकी खातिर एक समान। जनजन का "अंति गोत्र", कोरोना का संविधान।। अर्थनीति हो या धर्म नीति, जन्म-मृत्यु या प्रणय-प्रीति। जीव से जीव का ना हो संग सब पर कोरोना का प्रतिबिंब।। सहे हर सदी में मानव ने प्रलय भयंकर, लेकिन, आत्मसंयम, मनो-धैर्य से, "बहता रहा जीवन निर्झर"॥ संकलन (लंदन से प्रेषित हैं) परिचय :- माधवी तारे वर्तमान निवास : लन्दन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक...
सिंदूरी पल
कविता

सिंदूरी पल

रागिनी स्वर्णकार (शर्मा) इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** आज अचानक खुला क्या दराज ! लगा अंदर कुछ खुल गया है! और खुलता ही जा रहा है... मैं जा रही हूँ अंदर ...बहुत अंदर! उस बीते समय मे; पल-पल मुस्कुराता खड़ा! महकता हुआ वह ख़त, प्रथम गुलाबी स्पर्श, गुलाबी हुईं धड़कनें..! मैं सांगोपांग धड़कती हुई, हाथ में पत्र चारों ओर देखती विस्मित!!!!! एकांत में पढ़ने लगी पत्र! कुसुम-कली सी लज्जा, फैली हुई चेहरे पर..!I मानों ! सामने तुम! हर शब्द धड़क रहा दिल के संग! प्रथम अछूता एहसास ! महक गया था; सम्पूर्ण वजूद, चाहत की खुशबू से !! भला क्यों न महकता??? आज भी महक रहा पल जो मौलश्री हो गया स्मृतियों में!!! गुलमुहर-सा बिखेरता लालिमा, आज भी खड़ा है वह जीवन्त पल, सिंदूरी पल, जब भावनाओं ने रचा था स्वयंवर !!! परिचय :- रागिनी स्वर्णकार (शर्मा) निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)। ...
जिंदगी मिल गई
ग़ज़ल

जिंदगी मिल गई

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** तू मिली तो हमे जिंदगी मिल गई । जिंदगी में हमें हर खुशी मिल गई ।। इस जहाँ में अकेले थे हम अब तलक । साथ तेरा मिला तो जहाँ मिल गई ।। हमने सोचा नहीं था ये दिन आयेगा । इस जहाँ में हमे कोई मिल पायेगा ।। रब ने चाहा तो ऐसा समय आ गया । राह में इस कदर हमसे टकरा गई ।। हम थे किस्मत के मारे भटकते रहे । मुश्किलें जो भी आया वो सहते रहे ।। चैन था दिन में ना रात में थी सूकून । वक्त मुठ्ठी से मानो फिसलती गई ।। दर्द किससे कहें अपना किसको कहें । कब तलक हम अकेले सिसकते रहें ।। दिल था रहता सदा गम में खोया हुआ । आँख से मानो आंसू भी सूख सी गई ।। उस विधाता का दिल से दुवा मांगता । जब भी मांगा तो उससे यही मांगता ।। हम सफर मेरा कोई नही है यहाँ । कब मिलायेगा मुझको उमर बीत गई ।। तू मिली तो हमे जिंदगी मिल गई परिचय :...
कितना सहूं झूठ कि
ग़ज़ल

कितना सहूं झूठ कि

जुम्मन खान शेख़ बेजार अहमदाबादी अहमदाबाद (गुजरात) ******************** कितना सहूं झूठ कि मर क्यों नहीं जाते। सच है जिधर लोग उधर क्यों ‌नहीं जाते। हर मील ‌के‌ पत्थर पे यहां झूठ लिखा है, मंजिल से पहले ‌ही ठहर‌ क्यों नहीं जाते। दर दर भटक रहा हूं मैं सच की तलाश में, कहते हैं मुझे लोग कि ‌घर क्यों नहीं जाते। अब उधर भी कौन सा सच होगा नसीब में, मझधार में कश्ती से उतर क्यों नहीं जाते। बेबस की बद्दुवा का असर "बेजार" देखना, रब के अज़ाब से तुम डर क्यों नहीं जाते। परिचय :- जुम्मन खान शेख़ बेजार अहमदाबादी निवासी : अहमदाबाद (गुजरात) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते है...
तुम्हें बहुत लिखना है
कविता

तुम्हें बहुत लिखना है

सूरज सिंह राजपूत जमशेदपुर, झारखंड ******************** तुम्हें बहुत लिखना है मुझे बहुतों को तुम्हें भुख से मरने वालों की संख्या मुझे कारण। तुम्हें बलात्कार का सरकारी आंकड़ा मुझे हर उच्चारण। तुम्हें मरते किसानों की संख्या मुझे निवारण। तुम्हारे लेख राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय मेरे साधारण। परिचय : सूरज सिंह राजपूत निवासी : जमशेदपुर, झारखंड सम्प्रति : संपादक- राष्ट्रीय चेतना पत्रिका, मीडिया प्रभारी- अखिल भारतीय साहित्य परिषद जमशेदपुर घोषणा : मैं सूरज सिंह राजपूत यह घोषित करता हूं कि यह मेरी मौलिक रचना है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindira...
हिंदी की वैश्विक चमक
आलेख

हिंदी की वैश्विक चमक

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** एक भाषा के रूप में हिंदी हमारी पहचान है हमारे, जीवन मूल्यों संस्कृति संस्कार, का संप्रेषक परिचायक है हिंदी विश्व की सहज सरल वैज्ञानिक, भाषा है हिंदी अधिक बोले जाने वाली ज्ञान प्राचीन सभ्यता आधुनिक प्रगति के बीच सेतु है। वंदेमातरम की शान है। हिंदी, देश का मान है, हिंदी संविधान का गौरव हिंदी है भारत की आत्म-चेतना हिंदी है। राष्ट्रीय भाषा भारत की पहचान हिंदी, आदर्षों की मिसाल है हमारी हिंदी, सूर और मीरा की तान भी हिंदी है। हमारे वक्ताओं की शक्ति है। फूलों के खुशबुओं-सी महक है हमारी हिंदी और संपूर्ण देश में छाई है।हिंदी हमारे साहित्य पुराणों की आत्मा में बसी है। हिंदी देव नागरिक लिपि भी हिंदी है। मां की बोली से प्रथम संवेदना में हिंदी ही है परंन्तु अंग्रेजी पूरे देश में छाई है, हिंदी देश की राष्ट भाषा होने के पश्चात हर जगह अग्रेजी का वर...
तुम्हारी जुदाई में
कविता

तुम्हारी जुदाई में

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** तुम्हारी जुदाई में आंखों से आंसू ही नहीं बहे।। एक वक्त बाद। आंसुओ के साथ बहे तुम्हारी यादें.... तुम्हारी बातें.... वो मुलाकातें.... वो जगाती रातें.... और बह गई वो सब उदासियां। बह गई वो सब बैचेनीयां।। बह गई वो सब परेशानियां।। बह गई वो सब दुरियां।। और बहते- बहते ठहर गएं वो आंसू मेरी कलम में आकर.... उतरने लगीं वो सारी बातें कागज़ पे समाकर.... और फिर मैं तुम्हें याद करने लगी.... तुमसे बात करने लगी.... अकेले में मुलाकात करने लगी.... सोकर फिर तुममें जागने लगी.... मुझे अच्छी लगने लगी उदासियां.... सखी बन गई बैचेनीयां.... समझाने लगी परेशानियां.... पास रहने लगी दुरियां.... फिर मैं प्रेम के उस द्वौर में चली गई जहां प्रेम ने मुझे प्रेम समझायां था। और मैं समझ गई कि प्रेम को कभी समझा ही नहीं जा सकता है.....
हिन्दी मेरी पहचान है
कविता

हिन्दी मेरी पहचान है

मधु टाक इंदौर मध्य प्रदेश ******************** हिन्दी सिर्फ भाषा नहीं हिन्दी मेरी पहचान है हिन्दी एक उँची उड़ान है सबकी आन और बान है ह्रदय में सबके रस घोल दे ऐसी मीठी जुबान है हिन्दी मेरी पहचान है हिन्द का अभिमान है राग द्वेष से अनजान है शब्द शब्द इसकी धरोहर अन्तरमन का कराती भान है हिन्दी मेरी पहचान है बंसी में छिपी तान है कर्मणता की पहचान है ईश्वर को भी नाज है जिस पर ऐसी पुनीत पावन है हिन्दी मेरी पहचान है अध्यात्म का सोपान है कृष्ण की मुस्कान है भावनाओं को जो करे उजागर कुदरत का दिया वरदान है हिन्दी सिर्फ भाषा नहीं हिन्दी मेरी पहचान है परिचय :- मधु टाक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छाय...
हिंदी माता सम सदा
कविता

हिंदी माता सम सदा

ओमप्रकाश श्रीवास्तव 'ओम' तिलसहरी (कानपुर नगर) ******************** हिंदी होती है सदा, प्रेम भाव आधार। सुंदर शोभित वाक्य दें, अटल ज्ञान भंडार। अटल ज्ञान भंडार, रही भाषा की जननी। प्रांजलि का अभिमान, यही है भाषा अपनी। भाषा की सिरमौर, लखे मस्तक में बिंदी। छोड़ो सोच विचार, पढ़ो बच्चों नित हिंदी। हिंदी माता सम सदा, देती अनुपम ज्ञान। हिंदी पढ़ पढ़ के बने, तुलसी दास महान। तुलसी दास महान, लिखी प्रभुवर की माया। करने जग उद्धार, रखी मानव की काया। होता विधिवत ज्ञान, समझ कामा वा बिंदी। आती लेखन धार, रचो रचना नित हिंदी।। परिचय :- ओमप्रकाश श्रीवास्तव 'ओम' जन्मतिथि : ०६/०२/१९८१ शिक्षा : परास्नातक पिता : श्री अश्वनी कुमार श्रीवास्तव माता : श्रीमती वेदवती श्रीवास्तव निवासी : तिलसहरी कानपुर नगर संप्रति : शिक्षक विशेष : अध्यक्ष राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय बदलाव मंच...
हिंदी से पहचान है, हिंदी से सम्मान
कविता

हिंदी से पहचान है, हिंदी से सम्मान

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी ******************** हिंदी से पहचान है, हिंदी से सम्मान। हिंदी भारत देश है, हिंदी भारत गान। हिंदी से है मान हमारा। करें काम हिंदी में सारा। हिंदी पर ही तन मन वारा। इसके गुण गाये जग सारा। सूर कबीरा तुलसी गाते। हिंदी से ही भाव जगाते। कोयल भ्रमर पपीहा बोले। हिंदी द्वार हृदय के खोले। हिंदी हिंद देश की भाषा। हिंदी जन-जन की अभिलाषा। जीवन में हिंदी अपनाएं। इसको जीवन सूत्र बनाएं। हिंदी है अभिमान हमारा। हिंद देश है सबसे प्यारा। आओ हिंदी के गुण गाएं। सब मिल ऊँचे शिखर चढ़ाएं। हिंदी ही है जान हमारी। लगती है प्राणों से प्यारी। माँ हिंदी में लोरी गाती। झप्पी देकर हमें सुलाती। हिंदी में ही नानी मेरी, मुन्ना कह कर हमें बुलाती। फिर क्यों हम हिंदी को भूले। पर, भाषा के कर में झूले। अम्मा के माथे की बिंदी। अपने सिर पर रखती हिंदी। हिंदी भाषा है अ...
विश्व हिंदी दिवस
आलेख

विश्व हिंदी दिवस

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ********************  हिंदी की लोकप्रियता को लेकर समूचे विश्व में १० जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी प्रेमियों के लिए इस दिवस का विशेष महत्व है। २०१८ की जानकारी के अनुसार विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी भाषा हिंदी लगभग ७० करोड़ से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है। जबकि १.१२ अरब के साथ अग्रेंजी शीर्ष पर है। चीनी भाषा १.१० अरब, स्पेनिश भाषा ६१.२९ करोड़, अरबी भाषा ४२.२ करोड़ लोगों द्वारा बोले जाने के साथ क्रमशः दूसरे, चौथे और पाँचवें। स्थान पर है। २०१७ में प्रकाशित पुस्तक 'एथनोलाग' के अनुसार दुनिया भर में २८ ऐसी भाषाएँ है, जिन्हें ५ करोड़ से अधिक लोग बोलते हैं। यह पुस्तक दुनिया में मौजूद भाषाओं की जानकारी पर प्रकाशित हुई थी। भारत को बहुभाषाओं का धनी देश मानने के बावजूद भारत की मूल भाषा हिंदी ही मानी जाती है। ...
हिन्दवासी हिंदी बोलो
कविता

हिन्दवासी हिंदी बोलो

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हम हिंद के रहवासी हैं हिंदुस्तानी कहलाते हैं हिंदी हमारी मातृभाषा है यह देश की राजभाषा है राष्ट्रभाषा भी बन जाएगी ए हिंदवासियों हिंदी बोलो जननी जन्मभूमि हमारी स्वर्ग से भी महान होती तीसरी माँ है ये मातृभाषा प्रथम पूजनीय को त्याग क्यूँ पहने विदेशी ये जामें सबसे पहले हिंदी ही बोले यह सहज सरल व मधुर है झोपड़ी से महल तक जाती है संचार विचार का आधार है देश का अभिमान पहचान है एकता की भी ये सूत्रधार है संस्कृत की संस्कारी बेटी है विश्व बोलियों में तृतीय नं है विश्व में देश का अस्तित्व है सबने माना हमारा प्रभुत्व है इतिहास भी इसका भव्य है बने भारतीयों का व्यक्तित्व है हम सबको मिला मातृत्व है विज्ञान पर भी खरी उतरती है ध्वनि सिद्धांत पर आधारित है जो सोचे वही बोले व लिखते अंकल आँटी घोटाला नहीं है हर भाव के पृथ...
मस्तक की बिंदी है हिंदी
कविता

मस्तक की बिंदी है हिंदी

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** भारत मां के मस्तक की बिंदी है हिंदी। भारत मां का अलंकार है हिंदी, भारत मां का शीश सुशोभित करती है हिंदी, देव-भाषा की अनमोल कृति है हिंदी, जन गण मन की शक्ति है हिंदी, भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति है हिंदी, नन्हे मुन्नो की तुतलाई बोली है हिंदी विद्वानों की विद्वता को परिभाषित करती है हिंदी जब-जब इस पर संकट की परछाईं भी दिखती, कलमकारों की कलम से निकली हर हुंकार हिंदी रक्षण में आंदोलन करती, भारत मां के मस्तक की बिंदी है हिंदी। भाषाओं में सर्वोपरि राष्ट्रभाषा है हिंदी हर जन मानस में रची बसी है हिंदी हर भारतवासी को एक सूत्र में बांधती है हिंदी, भारत मां के मस्तक की बिंदी है हिंदी। परिचय :-  प्रभात कुमार "प्रभात" निवासी : हापुड़, (उत्तर प्रदेश) भारत शिक्षा : एम.काम., एम.ए. राजनीति शास्त्र बी.एड. सम्प्रति :...