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विश्व हिंदी दिवस

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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 हिंदी की लोकप्रियता को लेकर समूचे विश्व में १० जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी प्रेमियों के लिए इस दिवस का विशेष महत्व है।
२०१८ की जानकारी के अनुसार विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी भाषा हिंदी लगभग ७० करोड़ से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है। जबकि १.१२ अरब के साथ अग्रेंजी शीर्ष पर है। चीनी भाषा १.१० अरब, स्पेनिश भाषा ६१.२९ करोड़, अरबी भाषा ४२.२ करोड़ लोगों द्वारा बोले जाने के साथ क्रमशः दूसरे, चौथे और पाँचवें।
स्थान पर है।
२०१७ में प्रकाशित पुस्तक ‘एथनोलाग’ के अनुसार दुनिया भर में २८ ऐसी भाषाएँ है, जिन्हें ५ करोड़ से अधिक लोग बोलते हैं। यह पुस्तक दुनिया में मौजूद भाषाओं की जानकारी पर प्रकाशित हुई थी।
भारत को बहुभाषाओं का धनी देश मानने के बावजूद भारत की मूल भाषा हिंदी ही मानी जाती है। विश्व पटल पर हिंदी के प्रचार, प्रसार और स्थापित करने के उद्देश्य से दुनियां भर में आज १० जनवरी को विभिन्न आयोजन किए जाते है। विश्व हिंदी दिवस की शुरुआत १० जनवरी २००६ में हुई। ज्ञातव्य है कि अपने भारत देश में पहले से ही राष्ट्रीय हिंदी दिवस १४ सितंबर को प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
वर्ष २००६ में तत्कालीन डा. मनमोहन सिंंह जी द्वारा विश्व हिंदी दिवस की घोषणा के साथ ही विश्व के अलावा विभिन्न देशों में भारतीय दूतावासों में विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। पहला विश्व हिंदी दिवस मनाने का श्रेय नार्वे स्थिति भारतीय दूतावास को जाता है। जबकि दूसरा और तीसरा विश्व हिंदी दिवस लेखक सुरेश शुक्ल जी की अध्यक्षता में भारतीय नार्वे सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के सौजन्य से संपन्न हुआ।
बताते चलें कि पहला हिंदी दिवस सम्मेलन १० जनवरी १९७५ को नागपुर, महाराष्ट्र में दुनियाभर में हिंदी के प्रचार प्रसार के उद्देश्य से किया गया था। जिसमें दुनिया के ३० देशों के १२२ प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। सम्मेलन के प्रथम दिवस को ही हिंदी दिवस घोषित कर दिया गया, तभी से विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है।
जबकि संविधान सभा द्वारा देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी भाषा को अंग्रेज़ी के साथ आधिकारिक भाषा के तौर पर १४ सितंबर १९४९ को स्वीकार किया गया था। संविधान के अनुच्छेद ३४३ के प्रावधानों के अनुसार देवनागरी के साथ हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला। तभी से राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है।
दोनों दिवसों का उद्देश्य एक ही है हिंदी का प्रचार, प्रसार। हिंदी को आधिकारिक दर्जा प्राप्त होने के कारण पहले से राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है।
जबकि हिंदी को विश्व में भी आधिकारिक भाषा का दर्जा मिल सके, इसलिए विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। दोनों का उद्देश्य एक है हिंदी का प्रचार प्रसार और स्वीकार्यता बढ़ाना।
आइए हम सब मिलकर हिंदी का प्रचार, प्रसार कर हिंदी को गौरवमयी बनाने में अपना योगदान दें। हिंदी का भाल ऊँचा कर खुद भी गौरवान्वित महसूस करें।
‌मेरी हिंदी, आपकी हिंदी, राष्ट्र की हिंदी, विश्व की हिंदी, सबकी हिंदी, जय जय हिंदी।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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