वो नव प्रभात फिर आएगा
रुचिता नीमा
इंदौर म.प्र.
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जब फिर से नई सुबह होगी
बच्चे स्कूल को जाएंगे
फिर से जिंदगी दौड़ेगी
और बाजारों में फिर रौनक होगी
लेकिन क्या वो अनजाना भय न होगा
क्या फिर से पहले सा सब होगा
मन की उलझन क्या खत्म होगी
आपस की दूरी कैसे कम होगी????
इसका हल भी हमें ही पाना है
खुद को मजबूत बनाना है
विश्वास की नई बेल पर
उम्मीदों के फूल उगाना है
चल उठ मुसाफिर
जीवन की नई राह पकड़,,,,
उस नव प्रभात की बेला का
पूरे दिल से तू स्वागत कर
चेहरे पर एक मुस्कान लिये
नव पथ पर तू आगे बढ़........
जो बीत गया उसे भूलकर
अपने आप को सशक्त कर
वर्तमान को स्वीकार कर
इस नव प्रभात का स्वागत कर,,,
स्वागत कर......
परिचय :- रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप...

























