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तीज विशेष -खटमल की सरगही
कविता

तीज विशेष -खटमल की सरगही

************ रचयिता : भारत भूषण पाठक उठकर अहले सुबह तीज के दिन। घड़ी में बजे थे तभी साढ़े तीन।। बोली खटमल की तब पत्नी । जानूँ ...सरगही लेट्स राॅक्स। खटमल प्यारा धीरे- से बोला जानूँ..... सरगही हाऊ यू राॅक्स।। बोली फिर से खटमल की पत्नी। बनकर थोड़ी -सी मीठी चाश्नी।। प्यारे प्रियतम पति देव जी हमारे। यह बात नहीं समझ आती तुम्हारे।। दिन भर करना है मुझे उपवास। होता नहीं है क्या तुम्हें विश्वास ।। जाओ मानव का ला दो खून। चौंक गया यह पति फिर सुन।। बोला आई एम सो शाॅक्ड। वाट डू यू से ओ माई गाॅड।। बोली फिर भी खटमल की पत्नी। जानूँ ,इट्स नॉट ए प्राॅब्लेम। सरगही तो राॅक्स सो राॅक्स। सो जानूँ सरगही लेट्स राॅक्स।। लेखक परिचय :-  नाम :- भारत भूषण पाठक लेखनी नाम :- तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी :- ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र :- आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग...
समस्या एक जीवन की कड़ी है
संस्कार

समस्या एक जीवन की कड़ी है

*********** रचयिता : राजेश कडोले समस्या एक जीवन की कड़ी है, और समाधान भी जीवन की एक कड़ी है अगर समस्या ना आए, तो समाधान कहां से लाओगे और अगर समाधान मिल जाए मतलब वहां समस्या का समावेश है इसी तरह सुख और दु:ख भी जीवन की एक कड़ी है सुख के बिना दु:ख नहीं मिलता और दु:ख के बिना सुख नहीं मिलता तो यह जीवन की कड़ियां हैं कभी जीवन समस्या पर है तो कभी समाधान पर कभी सुख पर है तो कभी दु:ख पर जीवन में कभी निराश नहीं होना चाहिए लेखक परिचय :-  राजेश कडोले उपनाम :- कविराज जन्मतिथि :- २६/०६/१९९८ भाषा ज्ञान :- हिंदी, अंग्रेजी शिक्षा :- इंजीनियरिंग  ट्रेड  (आईटीआई),बीएससी, जर्नलिज्म (बीजेएमसी) चलायमान कार्यक्षेत्र :- कोचिंग संस्था संचालक शिक्षक जीव विज्ञान रुचि :- मंच संचालन करना सामाजिक गतिविधि :- मार्गदर्शन और प्रेरणा लेखन विद्या :- लेख कविता मोटिवेशन शायरी लेखनी का उद्देश्य :-  सामाजिक समस...
कुछ लोग दूसरो को मिटाते मिटाते खुद ही मिट जाते है
कविता

कुछ लोग दूसरो को मिटाते मिटाते खुद ही मिट जाते है

*********** जीतेन्द्र कानपुरी जिसमे कुछ करने का साहस नही होता वो लोग दूसरों पर उगलियॉ उठाते है ।। धूल मे उड़ जाती है सारी जिन्दगी । फिर भी अपनी पीठ थपथपाते है ।। याद रखना जिन्दगी बहुत कीमती है जो नही समझते , वही मात खाते है ।। जिन्हें खबर नहीं होती सूरज निकलने की वो दिन को भी रात बताते है ।। रोशनी मे रहकर भी ,अधेरा खाते है । इनका भरोसा नहीं ,किसी से भी उलझ जाते है कुछ लोग होते ही है ,,,,,,ऐसे बेपरवाह । दूसरों को मिटाते मिटाते ही खुद मिट जाते है ।। लेखक परिचय :- राष्ट्रीय कवि जीतेन्द्र कानपुरी का जन्म ३०-०९-१९८७ मे हुआ। बचपन से कवि बनने का कोई सपना नही था मगर अचानक जब ये सन् २००३ कक्षा ११ मे थे इनको अर्धरात्रि मे एक कविता ने जगाया और जबर्जस्ती मन मे प्रवेश होकर सरस्वती मॉ ने एक कविता लिखवाई। आर्थिक स्थित खराब होने की बजह से प्रथम कविता को छोड़कर बॉकी की २०० कविताऐ परिस्थितियों पर ही ...
जाम लब से छलकता नही है
कविता

जाम लब से छलकता नही है

************ रचयिता : मुनीब मुज़फ्फ़रपुरी मैकदों भूल जाओ मुझे तुम जाम लब से छलकता नही है तेरी आँखों में अब प्यार हमदम पहले जैसा झलकता नही है यूँ बग़ीचे में हैं फूल इतने कोई तुझसा महकता नही है तुम मुझे याद आते नही हो अब मेरा दिल धड़कता नही है पहले थी कुछ ख़यालों की उलझन फ़र्क़ अब मुझको पड़ता नही है बारिशों में जो ख़ुशबू थी पहले अब वो बादल बरसता नही है से सबा उससे जा कर के कहना तेरा आशिक़ तड़पता नही है मैं उसे याद करता नही हूँ वो भी मुझमें उलझता नही है यूँ ग़ज़ल मैंने कहली है लेकिन हाथ मेरा बहकता नही है वो सफ़र से परिशाँ है लेकिन हमसफ़र साथ रखता नही  है यूँ ‘मूनीब’ उससे दूर होगए हम वो निगाहों में जंचता नही है। लेखक परिचय :- नाम: मुनीब मुजफ्फरपुरी उर्दू अंग्रेजी और हिंदी के कवि मिथिला विश्वविद्यालय में अध्ययनरत, (भूगोल के छात्र)। निवासी :- मुजफ्फरपुर कविता...
अब मेहनत को फल तौ निकरैे ?
ग़ज़ल

अब मेहनत को फल तौ निकरैे ?

=============== रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" अब मेहनत को फल तौ निकरैे ? दो नइं, एक फसल तौ निकरैे ? ट्यूबवेल तौ, सौ खुदवा लो, जा जमीन में जल तौ निकरैे ? जस के तस हैं, प्रश्न जुगन सें, इन प्रश्नों कौ, हल तौ निकरै ? सन्नाटे से खिंचे गांव में, थोड़ी चहल-पहल तौ निकरै ? "प्रेम" मुनाफ़ा गओ चूल्हे में, लग्गत लगी, असल तौ  निकरै ? लेखक परिचय :-  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासि...
आज तीज है तुम्हारा
कविता

आज तीज है तुम्हारा

*********************** रचयिता : शशांक शेखर अच्छा आज तीज है तुम्हारा निर्जल उपवास रखोगी मेरी लम्बी उम्र के लिए तो इसके बदले उपहार चाहिए तुम्हें व्रत के बहाने मेरी जेब ढीली चाहिए तुम्हें उपहार में सदमा दूँ तुम्हें हृदय को बेधड़क कर दूँ तुम्हारी चलो रहने दो तुम्हारे पापा को हृदय रोग है कहीं अनुवंशिकता हुयी और कुछ हो गया तुम्हें तब तो मेरे बुढ़ापे की शाम अधूरी रह जाएगी क्या करूँ बहुत पेट में दर्द हो रहा है इच्छा हो रही है बता ही दूँ तुम्हें अपने पेट का दर्द कम कर ही लूँ अच्छा सदमे की तरह नहीं कहानी की तरह सुनाता हूँ तुम्हें एक बात बतानी है हौले से बता ही देता हूँ तुम्हें तुम्हें याद हैं चलचित्र निर्माता यश चोपड़ा जिनकी कई अनमोल कृतियाँ हैं सिलसिला अभिमान और ना जाने कितनी उनमें से एक है दिलवाले दुल्हनियाँ ले जाएँगे भी है हमारे किशोरावस्था के चलचित्र यूँ तो हम हम हैं ...
टकरा गईं आँखें
कविता

टकरा गईं आँखें

*************************** रचयिता : शिवम यादव ''आशा'' हुस्न की दीवार से वो तो टकरा गई चाँदनी चाँद से भी है शरमा गई मज़हबी लोग भी मोहब्बत को करने लगे तेरी मोहब्बत ही मज़हब पर असर कर गई तेरी चाहत ने उसपर कयामत है ढाई आंखों से आंखें  लड़कर भी हैं मुस्कुराईं चाह में दर बदर तेरा इस कदर मिलना तू शाम थी या सुबह मेरे समझ में न आई लेखक परिचय :-  नाम :- शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ''आशा'' है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं, अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !! काव्य संग्रह :- ''राहों हवाओं में मन " आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प...
शिक्षक पर मुक्तक
मुक्तक

शिक्षक पर मुक्तक

******************************* रचयिता : रशीद अहमद शेख 'रशीद' सृष्टि के सारे उत्सव शिक्षक होते हैं! प्रकृति के विस्तृत वैभव शिक्षक होते हैं! जीवन शाला में अनंत शिक्षक हैं किन्तु, कभी-कभी अपने अनुभव शिक्षक होते हैं! युगों-युगों से करता है वह ज्ञान-दान जग में अविराम! चरण कोई छूता है उसके कोई करता उसे सलाम! धर्म-जाति, भूगोल से परे उसका शुभ इतिहास, गुरूदेव,शिक्षक,अध्यापक,व्याख्याता उसके उपनाम। हितकारी अपरिमित गुणों का सुखदाई भंडार है शिक्षक! ज्ञान दीप है, सकारात्मक अनुभव का संसार है शिक्षक! प्रमुख परामर्श दाता, पंडित, पारंगत, निज विषय प्रवीण, राष्ट्ररूपी उच्चतम दुर्ग का अविचल दृढ़ आधार है शिक्षक! लेखक परिचय :-  नाम ~ रशीद अहमद शेख साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अ...
आज का पञ्चांग ०३ सितम्बर सन २०१९ ईस्वी
राशिफल

आज का पञ्चांग ०३ सितम्बर सन २०१९ ईस्वी

📜««« आज का पञ्चांग »»»📜 कलियुगाब्द........................५१२१ विक्रम संवत्.......................२०७६ शक संवत्.........................१९४१ रवि............................दक्षिणायन मास...............................भाद्रपद पक्ष..................................शुक्ल तिथी................................पंचमी रात्रि ११ .३२ पर्यंत पश्चात षष्ठी सूर्योदय...........प्रातः ०६ .१० .११ पर सूर्यास्त...........संध्या ०६ .४२ .३६ पर सूर्य राशि.............................सिंह चन्द्र राशि............................तुला नक्षत्र.................................चित्रा प्रातः ०६ .१९ पर्यंत पश्चात विशाखा योग...................................ब्रह्मा रात्रि १० .५४ पर्यंत पश्चात इंद्र करण...................................बव दोप १२ .४० पर्यंत पश्चात बालव ऋतु....................................वर्षा दिन........
मैं सावन के गीत लिखू पर
कविता

मैं सावन के गीत लिखू पर

********** रचयिता : विनोद सिंह गुर्जर मैं सावन के गीत लिखू पर अभी लिखे ना जाऐंगे। झूलों और मधु गीतों के शब्द संवर ना पाऐंगे।। मन में एक सैलाब उठा है जन-गण-मन के क्रंदन  का। भ्रष्टाचार से दूषित वायु और मांटी के चंदन का। आज भुजाऐं कवि की कंपित और लेखनी बोल रही। भारत मां के गद्दारों के, छुपे राज वो खोल रही।। नेताओं के वादे सुनकर पाँच साल कब बीत चले। इनकी मीठी चुपड़ी बातों के, घट अब सारे रीत चले।। रोड हमारी बनी नहीं, पानी घर तक ना पहुँचाया। किसको व्यथा सुनायें अपनी, किसने हमको समझाया। अपराधों को जन्म दे रहे नित नूतन परिवेश में। कल फिर बनकर आयेंगे भाग्य विधाता देश में।। जिसके कानो में जन की पीड़ा का, दर्द अरे कुछ कहता हो। किसी गरीब के आंख का आंसू , जिसकी आंखों बहता हो।।... वही शास्त्री जैसा नेता आज हमें नहीं दिखता है। अपनी जेब को भरने वाला सफेद पोश में दिखता है।। नेहरू कट टोपी पहन युवाओं क...
परिश्रमि राहि
कविता

परिश्रमि राहि

============================= रचयिता : राजेश कडोले "मिली है, जिंदगी इसे तू बेकार मे मत गवाना। थोड़ा सब्र रखना और बहुत पसीना बहाना। आज नहीं तो कल तू जीत जाएगा। यही भरोसा तू अपने आपको दिलाना। मिली है जिंदगी इसे तू बेकार में मत गवाना। और एक बात याद जरूर रखना। भला दूसरों का करना और अपना कर्तव्य मत भूलना। भले ही कछुए की चाल चलना पर खरगोश की तरह मत उछलना। मिली है जिंदगी से तू बेकार में मत गवाना। लोग तुझे रोकेंगे, तू मत रुकना और उनको कुछ मत समझाना। बस तू चलते रहना और लोगों से किताबों से सीखते रहना। विश्वास रखना कि एक न एक दिन मंजिल मिलना है, यही हौसला रखना। बस तू चलते रहना और आगे बढ़ते रहना। मिली है जिंदगी इसे तू बेकार में मत गवाना। लेखक परिचय :-  राजेश कडोले उपनाम :- कविराज जन्मतिथि :- २६/०६/१९९८ भाषा ज्ञान :- हिंदी, अंग्रेजी शिक्षा :- इंजीनियरिंग  ट्रेड  (आईटीआई),बीएससी, जर्नलिज्म (...
हिंदी रक्षक  मंच तुम्हें नमन
कविता

हिंदी रक्षक  मंच तुम्हें नमन

============================= रचयिता : श्याम सुन्दर शास्त्री हिंदी रक्षक  मंच तुम्हें नमन करते हम अभिनन्दन विश्व पटल  भारत धरा पर स्थित तेरा सदन लेखक,कवि, रचनाकार का हो रहा यहां सम्मिलन वेद ऋचाओं से जहां होता पूजन ,हवन मातृ , पितृ, देवों का जहां होता चरण वंदन गद्य,पद्य , साहित्य रचना  तुम्हें सुमन समर्पण नव उपवन सृजन पाता छत्रछाया में मार्गदर्शन सब पाते सम्मान अलंकरण, पुलकित जन मन लेखक परिचय :- श्याम सुन्दर शास्त्री, सेवा निवृत्त शिक्षक (प्र,अ,) मूल निवास:- अमझेरा वर्तमान खरगोन शिक्षा:- बी,एस-सी, गणित रुचि:- अध्यात्म व विज्ञान में पुस्तक व साहित्य वाचन में रुचि ... आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करन...
क्या लाए ? क्या ले जाओगे ?
ग़ज़ल

क्या लाए ? क्या ले जाओगे ?

=========================== रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" क्या लाए ? क्या ले जाओगे ? क्या खोया है, जो पाओगे ? जिस दिन मौत तुम्हें घेरेगी, जाग रहे हो, सो जाओगे ? ठहरो, एक सांस तो ले लूं, इतनी भी मोहलत पाओगे ? अभी पड़ा है पूरा जीवन, कब तक ख़ुद को बहलाओगे ? बोझ बढ़ाते ही जाते हो, इतना बोझा ? ढो पाओगे ? "प्रेम" बता दो, कुछ बदलोगे ? या सब जैसा दुहराओगे ? लेखक परिचय :  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ -"पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  ...
मै कल भी अकेला था आज भी अकेला हूँ
कविता

मै कल भी अकेला था आज भी अकेला हूँ

============================= रचयिता : जीतेन्द्र कानपुरी खतरो से खेला हूँ बहुत दर्द झेला हूँ ।। मै कल भी अकेला था आज भी अकेला हूँ ।। लोग मिलते है हजारो मगर सब स्वार्थ से बस इसी बात का गम बहुत झेला हूँ ।। मै कल भी अकेला था आज भी अकेला हूँ ।। लेखक परिचय :- राष्ट्रीय कवि जीतेन्द्र कानपुरी का जन्म ३० -०९ १९८७ मे हुआ। बचपन से कवि बनने का कोई सपना नही था मगर अचानक जब ये सन् २००३ कक्षा ११ मे थे इनको अर्धरात्रि मे एक कविता ने जगाया और जबर्जस्ती मन मे प्रवेश होकर सरस्वती मॉ ने एक कविता लिखवाई। आर्थिक स्थित खराब होने की बजह से प्रथम कविता को छोड़कर बॉकी की २०० कविताऐ परिस्थितियों पर ही लिखीं, इन्हे सबसे पहले इनकी प्रथम कविता को नौएडा प्रेस क्लब द्वारा २००६ मे सम्मानित किया गया।इसके बाद बिवॉर हीरानन्द इण्टर कॉलेज द्वारा हमीरपुर मे, कानपुर कवि सम्मेलन द्वारा, अरमापुर पुलिस द्वारा, प्रकाश मह...
मेरा मन
कविता

मेरा मन

======================== रचयिता : अनुपम अनूप "भारत" कई दिनों से पूछँ रहा मैं, भूले भटकें मेरे मन से। कहा गई शरारते क्यूँ, खुश रहता यूँ बेमन से। कभी हुआ करती थी बातें, क्लास रूम फुल्की ठेले में। कितना मजा आया करता था, सब संग जाते थे जब मेले मे। बेल्ट मे रस्सी बाधँ बाधँ कर, फिर सबकी पूछँ बनाते थे। बिना बताए हसँ हसँ कर, सब अपना पेट दुखाते थे। कितनी बारी ही सबसे ज्यादा, नम्बर लाने की शर्त लगाई थी। प्रभू कृपा दुआ मेहनत से, हर बार सफलता पाई थी। बड़ा मजा आया करता था, थके हुए कोमल बचपन मे। कई दिनों से पूँछ रहा मैं, इस भूले भटकें मेरे मन से। लड़ते थे खुब ताल ठोककर, खूब शरारत करते थे। काम पड़े तो बड़े प्यार से, भाई भाई कहते थे। नादानी थी मनमानी थी, कुछ हरक़त बचकानी थी। कितनी भी करें गलतियाँ, पर दिल मे न बेमानी थी। आज सोचता कभी कभी मैं, कितना बदल चुका सच से। कई दिनों से पूछँ रहा मैं, भूले ...
लगा मैं हवा हूँ
कविता

लगा मैं हवा हूँ

======================== रचयिता : शिवम यादव ''आशा'' लिखूँ मौसम की क्या ताकत   तेरे कदमों में लाने को    मुशाफ़िर बन चुका हूँ मैं      तेरी चाहत को पाने को... बना हूँ सिरफ़िरा खुद मैं अभी आज़ाद बनने को लगा मैं हूँ हवा की बारिश खुद को भिगाने को...   यहाँ की भीड़ बस्ती को मैं हवा का झोंका लगता हूँ यहाँ की ख्वाब खामोशी के बदले ज़रा सा प्यार दो मुझको... लेखक परिचय : नाम :- शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ''आशा'' है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं, अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !! काव्य संग्रह :- ''राहों हवाओं में मन " आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं...
आज का पञ्चांग ०२ सितम्बर सन २०१९ ईस्वी
राशिफल

आज का पञ्चांग ०२ सितम्बर सन २०१९ ईस्वी

📜««« आज का पञ्चांग »»»📜 कलियुगाब्द.......................५१२१ विक्रम संवत्......................२०७६ शक संवत्.........................१९४१ मास...............................भाद्रपद पक्ष..................................शुक्ल तिथी.......................... .....चतुर्थी रात्रि ०१ .५६ पर्यंत पश्चात पंचमी रवि............................दक्षिणायन सूर्योदय...........प्रातः ०६ .०९ .४१ पर सूर्यास्त...........संध्या ०६ .४३ .३८ पर सूर्य राशि.............................सिंह चन्द्र राशि...........................कन्या नक्षत्र..................................हस्त प्रातः ०८ .३० पर्यंत पश्चात चित्रा योग..................................शुक्ल रात्रि ०१ .५८ पर्यंत पश्चात ब्रह्मा करण...............................वणिज दोप ०३ .२६ पर्यन्त पश्चात विष्टि ऋतु...................................वर्षा दिन..........
मोहब्बत बड़ी ‘फालतू’ चीज है
व्यंग्य

मोहब्बत बड़ी ‘फालतू’ चीज है

======================= रचयिता : आशीष तिवारी "निर्मल" सन् १९७८ में फिल्म आई थी 'त्रिशूल' जिस पर साहिर लुधियानवी साब द्वारा लिखा हुआ एवं लता जी किशोर कुमार जी के युगल स्वर में गाया हुआ एक गीत 'मोहब्बत बड़े काम की चीज है' काफी लोकप्रिय हुआ था। शायद...!ऐसा संभव रहा होगा कि उन दशकों में मोहब्बत बड़े काम की चीज रही होगी तभी तो यह गीत लिखा गया था। मोहब्बत करके लैला-मजनूं,शीरी-फरहाद बिना सोशल मीडिया में वायरल हुए ही लोकप्रिय हो गए और उनकी मोहब्बत 'ट्रेंड' पर रही। उनके किस्से कहानियों को सुनते-सुनते मोहब्बत करने की सनातनी परम्परा तभी से चली आ रही है। एक दौर ऐसा भी आया जब मोहब्बत करना मतलब पीएचडी करने जैसा होता था भोली भाली सूरत जिस पर मन ही मन मर मिटे होते थे उसका नाम और पता,पता करते-करते उसकी शादी का कार्ड घर आ जाता था, और आशिक को तभी पता चलता था कि उसकी लैला का नाम 'लक्ष्मीरनिया' था जो अब किसी...
मैं मंजिल हूँ तुम्हारी
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मैं मंजिल हूँ तुम्हारी

========================== रचयिता : दीपक्रांति पांडेय मैं मंजिल हूँ तुम्हारी, ये सच है, इसे तुम मान लो, मैं पहली और आखरी ख्वाइश हूँ, तुम्हारी, जान लो, मैं तुम्हारी ताकत हूँ, ताकत और हौंसला भी, किसी भी कसौटी में परख कर, इसे मान लो, नाराजगी, झगड़े, और दूरियाँ ना टिकेंगी हमारे बीच, अधूरे हो मेरे बिन तुम, हकीकत है इसे पहचान लो, सच्चे प्यार की ताकत को वक्त रहते पहचान लो, दुनियाँ ने जो तुम्हें बताया, वो तुमने मान लिया, दूसरों ने जो मंजर दिखाया उसे सच जान लिया, खुद की आंखें खोलो और सच को खुद जान लो, फ़र्क होता है बहुत, सच और झूठ के बीच, बस इसी सूक्ष्म फ़र्क को देखो, पहचान लो, नमी मेरे निगाहों से, छलकती है अगर हरपल, हो खुश कैसे, दिले हालत से पूँछो, और जान लो, मैं हूँ अकेली और तन्हा, ज़िन्दगी के सफर में तो, हो भीड़ में तन्हा तुम भी, खुद से पूछो ये जान लो, मैं मंजिल हूँ तुम्हारी, ये सच है, इस...
इतना आसान नहीं की कोई मेरी जड़ों को खोद लेे
कविता

इतना आसान नहीं की कोई मेरी जड़ों को खोद लेे

============================= रचयिता : जीतेन्द्र कानपुरी आज भी मै अपने हालातो से लड़ रहा हूँ । कोई मेरी जड़े खोद रहा है मै और भी गहरा हो रहा हूँ ।। इतना आसान नहीं की कोई मेरी जड़ो को खोद ले । क्योंकि मै पाताल के पानी से सिंचित हो रहा हूँ  ।। लेखक परिचय :- राष्ट्रीय कवि जीतेन्द्र कानपुरी का जन्म ३० -०९ १९८७ मे हुआ। बचपन से कवि बनने का कोई सपना नही था मगर अचानक जब ये सन् २००३ कक्षा ११ मे थे इनको अर्धरात्रि मे एक कविता ने जगाया और जबर्जस्ती मन मे प्रवेश होकर सरस्वती मॉ ने एक कविता लिखवाई। आर्थिक स्थित खराब होने की बजह से प्रथम कविता को छोड़कर बॉकी की २०० कविताऐ परिस्थितियों पर ही लिखीं, इन्हे सबसे पहले इनकी प्रथम कविता को नौएडा प्रेस क्लब द्वारा २००६ मे सम्मानित किया गया।इसके बाद बिवॉर हीरानन्द इण्टर कॉलेज द्वारा हमीरपुर मे, कानपुर कवि सम्मेलन द्वारा, अरमापुर पुलिस द्वारा, प्रकाश महि...
आज का पञ्चांग ०१ सितम्बर सन २०१९ ईस्वी
राशिफल

आज का पञ्चांग ०१ सितम्बर सन २०१९ ईस्वी

📜««« आज का पञ्चांग »»»📜 कलियुगाब्द..........................५१२१ विक्रम संवत्.........................२०७६ शक संवत्............................१९४१ मास.................................भाद्रपद पक्ष....................................शुक्ल तिथी................................द्वितीया प्रातः ०८ .२७ पर्यंत पश्चात तृतीया रवि..............................दक्षिणायन सूर्योदय............प्रातः ०६ .०९ .२५ पर सूर्यास्त............संध्या ०६ .४४ .५२ पर सूर्य राशि..............................सिंह चन्द्र राशि............................कन्या नक्षत्र.......................उत्तराफाल्गुनी प्रातः ११ .०८ पर्यंत पश्चात हस्त योग...................................साध्य प्रातः ०९ .३१ पर्यंत पश्चात शुक्ल करण................................कौलव प्रातः ०८ .२७ पर्यन्त पश्चात तैतिल ऋतु..................................
मां
कविता

मां

============================= रचयिता : श्याम सुन्दर शास्त्री  मेरी कविता हो तुम मन विचार की सरिता हो तुम विष्णु की रमा, शिव की उमा कृष्ण की राधिका ,जगत जननी जगदम्बा हो तुम रिश्ते, परिवार, आचार विचार जग के सारे व्यवहार की शुचिता हो तुम जाति-धर्म, संस्कृति , संस्कार आगत स्वागत ,विगत विचार दुनिया नहीं दुहिता हो तुम वेद पुराण , बाइबिल, कुरान सांई, नानक, गुरु ग्रंथ आख्यान ज्ञान विज्ञान की गीता हो तुम गंगा-यमुना, सरस्वती सती, गौरी या पार्वती रामायण की जनकनंदिनी सीता हो तुम यम , नियम, आसन , प्राणायाम क्षिति, जल , पवन,समीर आसमान हृदय कमल की सविता हो तुम नव जीवन सृजन पालन पोषण स्नेह, वात्सल्य, प्रेम, आलिंगन ज्ञान की गायत्री गरिमा हो तुम सप्तवर्ण, वार , सप्तर्षि, सप्तसागर,सप्तविवाह संस्कार सप्तलोक,सप्तस्वर की रचयिता हो तुम लेखक परिचय :- नाम - श्याम सुन्दर शास्त्री सेवा निवृत्त शिक्ष...
राज
कविता

राज

============================= रचयिता : डॉ. अर्चना राठौर "रचना" ये राज न कोई जान सका , दुनियाँ ये कैसे चलती है , दिन - रात ये कैसे होते हैं और घूमती कैसे धरती है| ये राज न कोई जान सका, क्यों सूरज आग उगलता है , क्यों चाँद ये घटता - बढ़ता है, कैसे शीतलता देता है | साइंस ने राज ये खोल दिया, कि धरती कैसे घूमती है , सूरज क्यों आग उगलता है, ये चाँद क्यों घटता-बढ़ता है| पर क्या ये साइंस बता सका कि क्यों केदारनाथ शेष रहा , क्यों दैदीप्यमान ज्वालादेवी,क्यों गौमुख से जल बह रहा | धरती क्यों गोल-गोल घूमें , किस पर आखिर ये टिकी हुई , क्यों आसमान नीला दिखता , क्यों दिखे है बादल जैसे रुई | क्या राज ये कोई जान सका, क्यों सागर में ही हैं मोती , क्यों सोना उगले ये धरती, क्यों इस पर ही होती खेती | गर साइंस में इतनी है शक्ति, तो आसमान में करें खेती | क्या राज ये कोई जान सका, क्यों नारी ही सृष्टि कर्त...
शिक्षक
हाइकू

शिक्षक

********** रीतु देवी "प्रज्ञा" शिक्षक दीप आलोकित करते अंधेरी रात पाथर पर सुमन हैं खिलाते जीवन भर सहन कर मौसमों की मार अटल रह कर निर्माण आने वाली पीढी को लिए मुस्कान विकास दीया बिखरे नव पुंज इच्छा है हिया   लेखीका परिचय :-  नाम - रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने मोबाइल पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें...🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com  कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने मोबाइल पर प्राप्त करने हे...
खत हजारों मुझे
कविता

खत हजारों मुझे

============================= रचयिता : शिवम यादव ''आशा'' तूने लिखे थे खत   हजारों मुझे... मगर उस वक़्त एक भी न मिल सका मुझे... आज देख रहा हूँ तेरे पुराने से पुराने खत में रखी हैं छिपी तेरी यादें उन्हीं में उलझकर दिल ने तेरी याद दी मुझे... तेरी यादों ने मज़बूर   कर दिया अब तेरे साथ बीते पल    के लम्हों को लिखने को मुझे... लेखक परिचय : नाम :- शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ''आशा'' है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं रुचि :- अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !! काव्य संग्रह :- ''राहों हवाओं में मन " आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्...