संजीवनी बूटी कहा ढुढोगें
गगन खरे क्षितिज
कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश)
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तबाह कर दिये जंगल पठार,
पर्वत, बची थी खेती जमीन
उस पर भी बना लिए
पत्थर के जंगल
मानवता इंसानियत भी
खत्म होती जा रही है,
बतलाऔ कहा ढुढोगें
अब संजीवनी बूटी
और मर रहा है आदमी।
हां हां कर मचा विश्व में
कृत्रिम आक्सीजन के लिए
इस लॉकडाउन महामारी में,
उजाड़कर सृष्टि को जो खूबसूरत है,
कभी तुमसे कुछ नहीं मांगा
बल्कि दिया हमेशा
अतुलनीय अनमौल उपहार,
आज आदमी बन गया है,
आदमी का दुश्मन
और मर रहा है आदमी।
शैतानी दिमाग पाया है,
ईश्वर में भी
आस्था कम हो गई है,
कुछ अविष्कार क्या कर लिया,
ईश्वर को झुठलाने लगा है
गगन और तो और
अपनी गलती छुपाने के लिए
कलयुगी दुहाई देकर
बच जाना चाहता है,
देख नहीं रहा
अपनी गलती
आज मर रहा है आदमी।
परिचय :- गगन खरे क्षितिज
निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश
उम्र : ६६वर्ष
शिक्षा : हायर सेकंडरी मध्य प्रदे...