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पिता का घना साया

प्रीति जैन
इंदौर (मध्यप्रदेश)

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जीवन की उजली धूप में,
पिता का घना साया
पीपल की घनी छांव,
कड़ी धूप में शीतल छाया

दुख के बादलों में गर,
कभी तुम घिर जाओ
डगमग डगर जीवन की,
राह चलते तुम गिर जाओ
उंगली थाम के तुम्हारे
पिता ने ही मंजिल तक पहुंचाया

दिन रात करके मेहनत,
करते वो हर जिद्द पूरी
चाहे कुछ भी हो फरमाइश,
तुम्हारी ख्वाहिश ना रहे अधूरी
पेट औलाद का भर के,
खुद भूखे पेट है सोया

हर पिता चाहे अपने
बच्चों का भविष्य संवारना
जिंदगी के हर सुख दुख से
बच्चों को रूबरू कराना
गोद में बिठा प्यार से,
जीवन का गणित समझाया

नरम दिल रखते सीने में,
ऊपर से वो है सख्त
पिता ही मजबूत आधार,
चाहे समझो कड़वा
नीम का दरख़्त
मिठास भर दे जीवन में,
बरगद सी वो विशाल काया

आज तलक दुनिया में सिर्फ
मां की ही होती महिमा
गीत गजल कविताओं में,
ना कभी बखाणी पिता की गरिमा
हर बात को कर दिल में दफन,
दुनिया का हर बोझ उठाया

लगती सबको मां नरम दिल,
जग में दिखती पिता की सख्ती
जीवन की सांझ तक मिले आशीष,
बन जाए तुम्हारी हस्ती
जीवन संवर जाए तुम्हारा,
मां सा दर्द ना पिता बांट पाया

परिचय :- प्रीति धीरज जैन
निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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