प्रकृति और हम।
स्वरा त्रिपाठी
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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आओ प्रकृति से प्रेम करे हम।
आओ प्रकृति से प्रेम करे हम।।
जिसको भूल गये हैं हम।
आओ प्रकृति से...........।।
वृक्ष लगायें बरगद,
पीपल और नीम।
ये हमको आक्सीजन देगें,
इससे जीवन पाएँगे हम।।
आओ प्रकृति से...
पेड़ नहीं तो जीवन नहीं।
पेड़ नहीं तो आक्सीजन नहीं।
पेड़ों से मिलता आक्सीजन।।
आओ प्रकृति से...
ईश्वर हमसे लेते नहीं
आक्सीजन की कीमत।
इसके लिए कीमत
क्यों चुकाएँ हम ?
आओ पेड़ लगाएँ हम।।
आओ प्रकृति से प्रेम करें हम।
आओ प्रकृति से प्रेम करें हम।।
परिचय :-स्वरा त्रिपाठी
उम्र : ७वर्ष
कक्षा : ३
निवासी : लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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