शत शत नमन सभी माँओं को
अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
********************
तीनों माँयें पूजनीय हैं,
जिननें ऐसे लाल जने।
हुए शहीद युवावस्था में,
पर भारत की ढाल बने।
वैदेही वन गमन हुआ जब,
तब जन-जन रोया था,
धैर्य देख लो उन माँओं का,
जिनका सुत खोया था।
धन्य धरा है, धन्य देश है,
जिसमें थे तीनों जनमें।
हैं सतवार धन्य माताएं,
निज सुत भेजे थे रण में।
भगत सिंह सुखदेव राजगुरु,
तीनों की थी तरुणाई।
भारत माता की रक्षा हित,
ली,तीनों ने अँगड़ाई।
खट्टे दाँत किये दुश्मन के,
कोई पास न आता था।
हर अँग्रेजी सैनिक डर से,
नाकों चने चबाता था।
सिंह गर्जना सुन तीनों की,
गोरे भी थर्राते थे।
चाँद सितारे भरी दोपहर,
नजर उन्हें भी आते थे।
भीषण अत्याचार किया था,
गोरों ने ही झाँसी पर।
माँ का फटा कलेजा होगा,
लाल चढ़े जब फाँसी पर।
चूमा था तीनों ने फंदा,
हो बुलंद हँसते-हँसते।
जैसे शाही ...