परिंदे उड़ चले दिनमान छूने
नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार म.प्र.
********************
परों पर होंसले परवान छूने।
परिंदे उड़ चले दिनमान छूने।
चले अपने इरादे साथ लेकर,
नई मंज़िल ,सफ़र अन्ज़ान छूने।
कभी आँखों में जो सपनें पले थे,
वही निकले सही पहचान छूने।
किसी को आसमाँ का डर नहीं है,
उठें हैं दिल सभी अरमान छूने।
हवाओं से रुकेंगे वो भला क्या,
चलें हैं जो वहाँ तूफ़ान छूने।
परिचय :- नवीन माथुर पंचोली
निवास : अमझेरा धार म.प्र.
सम्प्रति : शिक्षक
प्रकाशन : देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित।
सम्मान : साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिच...