दिवाली वक्तव्य प्रकटीकरण
विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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सत्ता आए जाए, क्रिया कह जाती है।
संवाद ढंग से प्रतिक्रिया रह जाती है।
सत्ता संग खेला करते हैं नूरा कुश्ती
आरोप अफवाह से भरा तमाशा है
सता विपक्ष अंदर बाहर खेल कबड्डी
मौका पाते ही भरपूर लगे तमाचा है
काली गोरी चमड़ी सबका लोकतंत्र
बेशर्म मोटी चमड़ी कुचक्र चलाती है।
सत्ता आए जाए, क्रिया कह जाती है।
संवाद ढंग से प्रतिक्रिया रह जाती है।
संस्कार विकास कदमों की खातिर
व्यक्तित्व प्रशिक्षण के विषय बनाए
प्रभावी भाषण कला के बदले अब
कुतर्क नजारा निरंतर दर्शाता जाए
बड़े सफेदपोश की बोलियां सुनकर
भाषण कला बेभाव जहां शर्माती है
सत्ता आए जाए, क्रिया कह जाती है।
संवाद ढंग से प्रतिक्रिया रह जाती है।
खुद के निर्णय कथन का युग देखते
सुनते ही रहिए बस आत्म प्रवंचना
बड़बोले खुद अपना संसार हैं रचते
श्रेष्ठतम मनवाने में वक्...