गुरुवर वंदना
मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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अंतस में विश्वास भरो प्रभु,
तामस को चीर।
प्रेम भाव से जीवन बीते,
दूर हो सब पीर।।
मान प्रतिष्ठा मिले जगत में,
उर यही है आस।
शीतल पावन निर्मल तन हो,
सुखद हो आभास।।
कोई मैं विधा नहीं जानूँ,
गुरु सुनो भगवान।
भरदो शिक्षा से तुम झोली,
दो ज्ञान वरदान।।
शिष्य बना लो अर्जुन जैसा,
धनुषधारी वीर।
बैर द्वेष तज दूँ मैं सारी,
खोलो प्रभो द्वार।
न्याय धर्म पर चलूँ सदा मैं,
टूटे नहीं तार।।
आप कृपा के हो सागर,
प्रभो जीवन सार।
रज चरणों की अपने देदो,
गुरु सुनो आधार।।
सेवा में दिनरात करूँ प्रभु,
रहूँ नहीं अधीर।
एकलव्य सा शिष्य बनूँ मैं,
रचूँ फिर इतिहास।
सत्य मार्ग पर चलता जाऊँ,
हो जग उजास।।
ब्रह्मा हो गुरु आप विष्णु हो,
कहें तीरथ धाम।
रसधार बहादो अमरित की,
जपूँ आठों याम।।
दीपक ज्ञान का अब जला दो,
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