व्याकरण चालीसा
डाॅ. दशरथ मसानिया
आगर मालवा म.प्र.
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अनुस्वार अनुनासिका, सदा राखिये ध्यान।
अनुनासिक में लघु लखो, अनुस्वार गुरु जान।।
अनुनासिक में एक है, अनुस्वार दो होय।
हँसते-हँसते जानिये, हंस हँसा नहि कोय।।
भाषा का संविधान बनाया।
परिभाषा व्याकरण कहाया।।१
व्याकरणा के तीन हैं भेदा।
वर्ण शब्द अरु वाक्य सुभेदा।।२
पाणिनि मुनि ने बहु तप कीना।
हो प्रसन्न शिव ने वर दीना।।३
डिम डिम डमरु नाद सुनाया।
शिव ने चौदह बार बजाया।।४
देव नागरी ध्वनी सुनाई ।
यही वर्णमाला कहलाई।।५
नागरि लिपि है ज्ञान की धारा।
समय समय विज्ञान विचारा।।६
वर्णों के दो भेद बताये।
स्वर व्यंजन में रहे समाये।।७
दीरघ लघु दो स्वर के भेदा।
अइउऋ लगति मात्रा एका।।८
ए ऐ ओ औ ऊ अरु आ ई।
सातों दीरघ दो कहलाई।।९
अं अः तो आयोग कहाते।
ये भी मात्रा दो लगाते।।१०
स्पर्श उष्मा अरु अंतस्था।
व्यंजन संयुक्त अरु है रुढ़ा।।११
अष्टाध्यायी ग...












