ये काश्मीर हमारा है
आनंद कुमार पांडेय
बलिया (उत्तर प्रदेश)
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माँ वैष्णों का धाम यहाँ की
शोभा और बढ़ाता है,
खड़ा हिमालय इसकी महिमा,
मूक स्वर में हीं गाता है।
मैं कितना गुणगान करूँ
प्रकृति ने रूप सँवारा है,
बोले हिन्द के रखवाले
ये काश्मीर हमारा है।।
सोने की चिड़ियाँ कहते हैं,
ये भी क्या कुछ कम है।
जो आँख दिखाये इसको उसका,
काल बन खड़े हम हैं।।
इसी हिमालय से निकली
गंगा की निर्मल धारा है।
बोले हिन्द के रखवाले
ये काश्मीर हमारा है।।
हिन्दू-मुस्लिम-सिख-इसाई,
चारो धर्म समान यहाँ।
अनेकता में भी एकता है,
होता नित है गान यहाँ।।
धूल चटाया वीरों ने
जिसने इसको ललकारा है।
बोले हिन्द के रखवाले
ये काश्मीर हमारा है।।
संजीवनी सी कितनी जड़ी,
बूटियों का ये संगम है।
हिंदुस्तान से बाहर भी इसकी,
महिमा का वर्णन है।।
गीतकार आनंद ने अपना
तनमन इसको वारा है।
बोले हिन्द के रखवाले
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