बचपन
विनीता मोटलानी
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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राह अपनी में बनाने लगी हूं
मंज़िल को भी पाने लगी हूं
अपने हिस्से का आसमान चुनकर
सुनो बचपन में बड़ी होने लगी हूं
गुड्डे गुड़ियों का ब्याह रचाना
कभी रूठना सभी मनाना
खेल खेल में कुछ सीखने लगी हूं
सुनो बचपन में बड़ी होने लगी है
तुम से जुड़ी है मीठी सी यादें
चुलबुली चंचल जाने कितनी बातें
यादों की पोटली बनाने लगी हूं
सुनो बचपन में बड़ी होने लगी हूं
तुम मेरे साथ ताउम्र रहना
कभी भी मेरा दामन न छोड़ना
इसी वादे के साथ जीने लगी हूं
सुनो बचपन में बड़ी होने लगी हूं
राह अपनी में बनाने लगी हूं
मंजिल को भी पाने लगी हूं
अपने हिस्से का आसमान चुनकर
सुनो बचपन में बड़ी होने लगी हो...
परिचय :- विनीता मोटलानी
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
प्रकाशन : दो सिंधी पुस्तकें प्रकाशित हैं। जिसमें से एक लघुकथा संग्रह है एवं दुसरी कहानी...