हिंद वतन आजादी है
विजय गुप्ता "मुन्ना"
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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(ताटंक छंद, देश प्रेम)
संस्कारों के महा वतन में, कर्म-धर्म आजादी है।
बस देश प्रगति की गाथा ही, हिंद वतन आजादी है।
पत्ते, डाली, तना, जड़ यात्रा, हरियाली जता रही है।
संकल्प से सिद्धि के प्रकल्प, दीवाली दिखा रही है।
आजाद राष्ट्र आवाम को, स्वाभिमान सिखा रही है।
दिया तले तम साबित करने, बैठे कुछ जल्लादी है।
उनको विरोध द्रोह तर्क की, कड़वी दवा पिला दी है।
संस्कारों के महा वतन में, कर्म-धर्म आजादी है।
बस देश प्रगति की गाथा ही, हिंद वतन आजादी है।
दोनों आंख सलामत फिर भी, विकास गर्व नहीं भाता।
पर काने अंधे मानव भी, माटी में पर्व मनाता।
पड़ोसी गोद में पलते जो, दंभ शान ही दिखलाता।
स्वाभिमान भारत दर्शन से, उनको क्या पाबंदी है।
सुनो! विश्व सम्मान से भारत, अव्वल पथ आसंदी है।
संस्कारों के महा वतन में, कर्म-धर्म आजादी...






















