मेरी आधुनिकता
डॉ. सुभाष कुमार नौहवार
मोदीपुरम, मेरठ (उत्तर प्रदेश)
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आज मेरे पास मोबाइल फोन है और रंगीन टीवी भी है।
आधुनिक ज़माने को परिभाषित करती एक सुशिक्षित बीवी भी है।
ज़रूरी नहीं है आधुनिकता के लिए बंगले और बड़ी कार का होना,
दुमंज़िला मकान और एक अच्छी-सी नौकरी भी है।
सोफे पर बैठकर बड़ा इतरा के दबाता हूँ रिमोट टी.वी का,
और ए.एक्स.एन चैनल की गौरांगनाएँ घेर लेती हैं मुझे।
उनके सफेद बालों को देखकर पिता जी के सन जैसे सफेद बाल
तैर जाते हैं मेरी आँखों में।
धरी रह जाती है मेरी आधुनिकता।
कुछ लिपटने के अंदाज में पत्नी कहती है:-
जानू, तुम फिर क्यों उदास हो गए?
ले आइए ना पिता जी को यहाँ, रख लेंगे किसी वृद्धाश्रम में!
तुम्हारी चिंता भी जाती रहेगी और मिल भी लिया करना एक-दो महीने में।
मुझसे तुम्हारी ये उदासी देखी नहीं जाती,
कम-से-कम अपना नहीं तो मेरा तो खयाल किया करो!
और मनान...